Begin typing your search above and press return to search.
उत्तर प्रदेश

मिशन 2024: कांग्रेस में क्या चल रही हलचल? चर्चा में है ये बड़ा दांव, पढ़िए वेस्ट यूपी को लेकर यह खास रिपोर्ट

Abhay updhyay
20 Oct 2023 5:48 PM IST
मिशन 2024: कांग्रेस में क्या चल रही हलचल? चर्चा में है ये बड़ा दांव, पढ़िए वेस्ट यूपी को लेकर यह खास रिपोर्ट
x

अखिलेश यादव ने हाल ही में कांग्रेस के रुख स्पष्ट न करने पर विधानसभा चुनाव में भी राहें जुदा रहने का बयान दिया था, वहीं कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने सभी 80 सीटों पर कांग्रेस के लड़ने की तैयारी की बात कही थी। हालांकि पार्टी आलाकमान पर गठबंधन और सीटों के बंटवारे का जिम्मा होने और आलाकमान के फैसले के अनुरूप कार्य करने का उन्होंने एलान किया। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी मेरठ से हिंदू चेहरे को चुनाव लड़ाने की ख्वाहिशमंद है। कांग्रेस के जिलाध्यक्ष अवनीश काजला का कहना है कि मेरठ सीट के लिए विशेष तौर पर दावेदारी की गई है।


1952 से रहा कांग्रेस का कब्जा

1952 में देश की पहली लोकसभा के लिए हुए चुनाव में मेरठ को तीन लोकसभा क्षेत्रों में बांटा गया था। मेरठ जिला (पश्चिम), मेरठ जिला (दक्षिण), मेरठ जिला (उत्तर पूर्व)। तीनों ही सीट पर कांग्रेस जीती। इनमें मेरठ पश्चिम सीट से खुशी राम शर्मा, मेरठ दक्षिण से कृष्णचंद्र शर्मा और मेरठ उत्तर-पूर्व से शाहनवाज खान सांसद बने। 1957 में तीनों लोकसभा सीटों को एक कर मेरठ लोकसभा सीट का गठन किया गया। कांग्रेस ने इस चुनाव में शाहनवाज खान को फिर से चुनाव मैदान में उतारा। शाहनवाज यहां से लगातार दूसरी बार सांसद चुने गए। 1962 में क्रांतिकारी सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार महाराज सिंह भारती को हराकर शाहनवाज तीसरी बार सांसद बने।


1967 में पहली बार कांग्रेस को मिली हार

तीन बार लगातार जीत दर्ज कराने वाली कांग्रेस को 1967 में पहली बार मेरठ सीट पर हार का सामना करना पड़ा। 1967 में कांग्रेस के खिलाफ खड़े हुए सोशलिस्ट पार्टी के एमएस भारती ने शाहनवाज खान को मात दी। एक ही उम्मीदवार के बल पर लगातार तीन बार जीत हासिल करने वाली कांग्रेस के लिए यह बड़ा झटका था। एमएस भारती ने शाहनवाज खान को भारी वोटों के अंतर से हराया। भारती को जहां 146172 वोट मिले, वहीं शाहनवाज 107276 वोटों पर ही सिमट गए। यह पहली बार था जब कांग्रेस मेरठ सीट से हारी थी।


1971 में फिर जीती कांग्रेस

चौथे लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने के बाद भी कांग्रेस ने हार नहीं मानी और 1971 में फिर से शाहनवाज खान को इसी सीट से उतारा। पांचवीं लोकसभा में शाहनवाज ने फिर से जीत अपने नाम लिख दी और कांग्रेस की वापसी करवाई। शाहनवाज मेरठ के पांचवें सांसद चुने गए। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (ऑर्गनाइजेशन) उम्मीदवार हरी किशन को भारी वोटों के अंतर से हराया। शाहनवाज को जहां 180181 वोट मिले, वहीं हरी किशन 98382 वोटों पर ही सिमट गए। छठवीं लोकसभा चुनाव में बीएलडी के कैलाश प्रकाश ने शाहनवाज खान का मात दी। कैलाश ने शाहनवाज को 124732 वोटों के अंतर से हराया।


मोहसिना किदवई तीन बार यहां से जीतीं

1980 में कांग्रेस ने नई उम्मीदवार मोहसिना किदवई को मेरठ सीट से उतारा। मोहसिना ने कांग्रेस को शाहनवाज की हार से उबरने में मदद की और पार्टी के नाम जीत दर्ज की। 1980 और 1984 में लगातार दो बार मोहसिना यहां से सांसद चुनी गईं। 1980 में उन्होंने जनता पार्टी (एस) के उम्मीदवार हरीश पाल को हराया और 1984 में जनता पार्टी की अंबिका सोनी को हराया। 1989 में हुए आम चुनाव में कांग्रेस ने फिर से मोहसिना किदवई को खड़ा किया, लेकिन वह हार गईं। 1980 में मोहसिना से हारने वाले हरीश पाल ने ही उन्हें इस साल हराया। 1991 में बीजेपी ने अमर पाल सिंह को उतारा वह 1991, 1996, 1998 में लगातार तीन बार सांसद भी चुने गए।


1999 में भड़ाना ने कराई कांग्रेस की वापसी

1999 में मेरठ सीट पर हुए चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मार ली। 1999 में कांग्रेस उम्मीदवार अवतार सिंह भड़ाना ने कांग्रेस को फिर से जीत दिलाई। लेकिन ये जीत ज्यादा लंबी नहीं चल सकी और 2004 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने बाजी मार ली। इसके बाद 2009, 2014 व 2019 में लगातार भाजपा के राजेंद्र अग्रवाल सांसद बने।

Abhay updhyay

Abhay updhyay

    Next Story