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उत्तर प्रदेश

मधुमिता हत्याकांड: मधुमिता की बहन बोलीं- अमरमणि की रिहाई से हैरान, समर्थकों में खुशी; जानिए क्या है पूरा मामला

Abhay updhyay
25 Aug 2023 10:48 AM GMT
मधुमिता हत्याकांड: मधुमिता की बहन बोलीं- अमरमणि की रिहाई से हैरान, समर्थकों में खुशी; जानिए क्या है पूरा मामला
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निधि शुक्ला ने कहा कि उम्रकैद की सजा पाए अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमिता त्रिपाठी वर्ष 2012 से लगातार गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में रूम नंबर 15 और 16 में रह रहे हैं। जबकि वह उत्तराखंड की हरिद्वार जेल के कैदी हैं। इस संबंध में उन्होंने (निधि शुक्ला) ने सुप्रीम कोर्ट में कोर्ट की अवमानना की याचिका दायर कर रखी है। इसकी 25 अगस्त को सुनवाई थी। उन्होंने बताया कि इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को नोटिस जारी करते हुए आठ सप्ताह में जवाब मांगा है।

निधि शुक्ला ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की याचिका दाखिल करने के बाद पिछले 15 दिन से शासन और राज्यपाल को पत्र और मेल भेज कर लगातार अनुरोध करती रही हैं कि सुप्रीम कोर्ट से अवमानना की याचिका पर फैसला आने तक कोई कार्रवाई न की जाए। इसके बावजूद राज्यपाल के आदेश पर कारागार प्रशासन और सुधार विभाग ने अमर मणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी की जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी कर दिए इससे उन्हें काफी हैरानी हुई है। उनका कहना है कि सत्ता के दबाव में राज्यपाल को भ्रमित करके इस तरह का आदेश जारी कराया गया है। जबकि वह इस संबंध में पर्याप्त सबूत शासन को दे चुकी हैं। उन्होंने कहा कि इस आदेश से पीड़ित महिलाओं को न्याय की आस और विश्वास को धक्का लगा है।


बीस साल पहले हुई थी कवियत्री मधुमिता की हत्या

करीब बीस साल पहले कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या हुई थी। मामले की जांच सीबीआई ने की थी जिसमें सीबीआई ने अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को दोषी पाते हुए अदालत में चार्जशाीट दाखिल की थी। बाद में यह मुकदमा देहरादून स्थानांतरित कर दिया गया। कोर्ट ने उन्हें आजाीवन कारावास की सजा सुनाई थी। अमरमणि त्रिपाठी और मधुमणि त्रिपाठी 20 वर्ष एक माह और 20 दिन से जेल में हैं। मौजूदा समय में दोनो हरिद्वार जेल के कैदी हैं।

सीबीआई ने अमरमणि और मधुमणि को दिया था दोषी करार

बता दें कि करीब 20 वर्ष पहले राजधानी की पेपरमिल कॉलोनी में रहने वाली कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हत्या के मामले की जांच सीबीआई ने की थी। सीबीआई ने अपनी जांच में अमरमणि और मधुमणि को दोषी करार देते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था। बाद में इस मामले का मुकदमा देहरादून स्थानांतरित कर दिया गया था। दोनों जेल में बीते 20 वर्ष एक माह और 19 दिन से थे। उनकी आयु, जेल में बिताई गई सजा की अवधि और अच्छे जेल आचरण के दृष्टिगत बाकी बची हुई सजा को माफ कर दिया गया है। अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर रिहा किया गया है। दरअसल कोर्ट ने जेल में अच्छा आचरण करने वाले कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था, जिसके बाद अमरमणि और उनकी पत्नी ने दया याचिका दाखिल की थी। कोर्ट ने दोनों को रिहा करने का आदेश दिया, लेकिन इसमें देरी होने लगी। इस पर अमरमणि ने अवमानना का वाद दाखिल कर दिया, जिसके बाद दोनो को रिहा करने का आदेश शासन ने जारी कर दिया।

जेल में भी कम नहीं हुआ अमरमणि का दबदबा

लखनऊ में निशातगंज स्थित पेपर मिल कॉलोनी में 9 मई 2003 को मशहूर कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मारकर हुई हत्या से तत्कालीन बसपा सरकार में हड़कंप मच गया था। चंद मिनटों में मौके पर पहुंचे पुलिस अधिकारियों को मधुमिता और अमरमणि के प्रेम प्रसंग के बारे में नौकर देशराज ने जानकारी दी, तो तत्काल शासन के अधिकारियों को सूचित किया गया। दरअसल अमरमणि बसपा सरकार के कद्दावर मंत्रियों में शुमार किए जाते थे। इस हत्याकांड के बाद देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 24 अक्टूबर 2007 को अमरमणि, उनकी पत्नी मधुमणि, भतीजा रोहित चतुर्वेदी और शूटर संतोष राय को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन यूपी के सियासी गलियारों में अमरमणि की हनक कभी कम नहीं हुई।

तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सीबीसीआईडी को सौंपी थी जांच

बता दें कि इस हत्याकांड की जांच तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने सीबीसीआईडी को सौंपी थी। मधुमिता के शव का पोस्टमार्टम करने के बाद उसके गृह जनपद लखीमपुर भेजा गया। अचानक एक पुलिस अधिकारी की नजर रिपोर्ट पर लिखी एक टिप्पणी पर पड़ी, जिसने इस मामले की जांच की दिशा बदल दी। दरअसल, रिपोर्ट में मधुमिता के गर्भवती होने का जिक्र था। तत्काल शव को रास्ते से वापस मंगवाकर दोबारा परीक्षण कराया गया। डीएनए जांच में सामने आया कि यह बच्चा अमरमणि का था। निष्पक्ष जांच के लिए विपक्ष के बढ़ते दबाव की वजह से बसपा सरकार को आखिरकार इस मामले की जांच सीबीआई से कराने की संस्तुति करनी पड़ी। सीबीआई जांच के दौरान भी गवाहों को धमकाने के आरोप लगे तो मुकदमा देहरादून की फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थानांतरित कर दिया गया। देहरादून की अदालत ने चारों को दोषी करार दिया, जबकि एक अन्य शूटर प्रकाश पांडेय को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। हालांकि बाद में नैनीताल हाईकोर्ट ने प्रकाश पांडेय को भी दोषी पाते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

पत्नी भाग गई थी नेपाल, सीबीआई को मुश्किल से मिला देशराज

सीबीआई ने इस मामले की जांच शुरू की तो अमरमणि और उनकी पत्नी की संलिप्तता के पुख्ता प्रमाण मिले, जिसके बाद अमरमणि को गिरफ्तार कर लिया गया। उससे राजधानी के डालीबाग स्थित स्टेट गेस्ट हाउस में रिमांड पर लेकर पूछताछ की गई। वहीं मधुमणि नेपाल भाग गई और कई दिनों तक सीबीआई उसकी तलाश करती रही। इसी तरह मधुमिता का नौकर देशराज भी कई दिन तक फरार रहा। बाद में सीबीआई ने उसे लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया। देशराज ने अमरमणि और मधुमिता के रिश्तों के बारे में खुलासा किया तो पूरे मामले की पर्ते उधड़ती चली गई। जांच में सामने आया कि अमरमणि से मधुमिता के रिश्तों से नाराज होकर हत्या की साजिश मधुमणि ने रची थी।

बेटे पर भी है पत्नी की हत्या का आरोप

अमरमणि के बेटे अमनमणि पर भी अपनी पत्नी सारा सिंह की हत्या का आरोप लगा था। इस प्रकरण की जांच भी सीबीआई को सौंपी गई थी। जांच में सामने आया था कि सारा सिंह की मौत सड़क दुर्घटना में नहीं, बल्कि मोबाइल के चार्जर से गला घोंटकर अमनमणि ने की थी। सीबीआई ने अमनमणि के खिलाफ अदालत में आरोप पत्र भी दाखिल किया था। अमनमणि वर्ष 2017 में नौतनवा सीट से विधायक भी रह चुका है। उसके खिलाफ लखनऊ में अपहरण का एक मामला भी दर्ज हुआ था।

अमरमणि गोरखपुर में, जेल प्रशासन को पता नहीं

अमरमणि को सजा होने के बाद वह खुद को बीमार बताकर यूपी आ गया और लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल कॉलेज और गोरखपुर में रहने लगा। कुछ दिन पहले जब देहरादून जेल प्रशासन से अमरमणि के बारे में सूचना मांगी गई, तो अधिकारियों ने उनके बारे में पता नहीं होने की बात कही। गोरखपुर में अमरमणि ने अधिकांश समय जेल के बजाय अस्पताल में ही गुजारा।

मधुमिता की बहन और सारा की मां करती रही संघर्ष

अमरमणि और उसके कुनबे को राजनीतिक संरक्षण देने और जेल के बजाय अस्पताल में सुविधाएं मुहैया कराने को लेकर मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला कई सालों से लगातार संघर्ष कर रही हैं। उन्होंने कई बार मुख्यमंत्री और आलाधिकारियों को पत्र लिखा और धरना-प्रदर्शन किया। इसी तरह अमनमणि की पत्नी सारा सिंह की मां सीमा सिंह की अपनी बेटी काे इंसाफ दिलाने की लड़ाई आज भी जारी है।

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