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उत्तर प्रदेश

lucknow-आल इन्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने की अपील देश भर मे यूनीफॉर्म सिविल कोड के विरोध मे जुटाये जन समर्थन ,की ये अपील

Saurabh Mishra
21 Jun 2023 11:16 AM IST
lucknow-आल इन्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने की अपील देश भर मे यूनीफॉर्म सिविल कोड के विरोध मे जुटाये जन समर्थन ,की ये अपील
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लखनऊ. ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष हज़रत मौलाना ख़ालिद सैफ़ुल्लाह रह़मानी ने मंगलवार को कहा कि यूनिफार्म सिविल कोड देशहित में नहीं है. उन्होंने कहा कि यूनिफार्म कोड सिविल सिर्फ भारत के मुसलमानों के लिए ही नहीं बल्कि देश के अन्य धर्मों के लिए भी नुकसानदेय हैं. उन्होंने कहा कि इस कानून को रोकने के लिए लोकतान्त्रिक तरीके से जनसमर्थन जुटाया जाएगा ! रहमानी ने कहा कि ‘भारत के मुसलमानों से भावुक अपील जारी करते हुए कहा कि “एक मुसलमान जो नमाज़, रोज़े, हज और ज़कात के मामलों में शरीयत के नियमों का पालन करने के लिए पाबन्द (बाध्य) है, उसी प्रकार हर मुसलमान के लिए सामाजिक मामलों निकाह व तलाक़, ख़ुलअ, इद्दत, मीरास, विलायत व ख़ज़ानत वग़ैरह में भी शरीयत के नियमों का पालन करते रहना अनिवार्य है. इन आदेशों से सम्बंधित अधिकतर निर्देश क़ुरआन व हदीस से सिद्ध हैं और फुक़हा (न्यायविदों) के बीच सर्वसहमति है; इसलिए इन आदेशों का दीन (धर्म) में एक मौलिक महत्व है. रहमानी ने कहा कि भारत के विधि आयोग ने कुछ वर्ष पूर्व समान नागरिक संहिता के लिए एक प्रश्नावली जारी की थी, बोर्ड ने एक विस्तृत उत्तर भी दाख़िल किया और बोर्ड के एक प्रतिनिधिमंडल ने आयोग के अध्यक्ष से मुलाक़ात भी की और इस पर अपने विचार व्यक्त किए और अध्यक्ष महोदय ने बोर्ड की स्थिति की एक हद तक सराहना भी की. अब पुनः दिनांक 14 जून 2023 भारत के विधि आयोग ने अपनी वेबसाइट पर इससे सम्बंधित प्रश्नावली जारी की है और संगठनों और व्यक्तियों से इच्छा प्रकट की है कि वे एक महीने के भीतर अर्थात् 14 जुलाई 2023 तक अपने विचार दाख़िल करें। इस पृष्ठभूमि में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड विभिन्न व्यक्तियों और विशेषज्ञ अधिवक्ताओं और न्यायविदों के परामर्श से मुख्य प्रतिक्रिया के लिए एक संक्षिप्त और व्यापक प्रारूप तैयार कर रहा है. इसके अलावा एक विस्तृत प्रारूप (प्रस्तावित कानून के सभी पहलुओं का स्पष्टीकरण होगा) को बाद में विधि आयोग के सुपुर्द किया जाएगा. बोर्ड सदैव इस मुद्दे के प्रति सतर्क और जागरूक रहा है, समान नागरिक संहिता पर इसकी एक स्थायी समिति है, विशेषज्ञ वकीलों का एक पैनल गठित है, इस मुद्दे पर विभिन्न ग़ैर-मुस्लिम अल्पसंख्यक प्रतिनिधियों, विपक्षी नेताओं और दलितों से मुलाक़ात करके बोर्ड के दृष्टिकोण के लिए समर्थन प्राप्त करने का प्रयास किया जा रहा है और अल्हम्दुलिल्लाह इसमें सफलता भी मिल रही है. इस पृष्ठभूमि में सभी मुस्लिम संगठनों, विभिन्न व्यवसायों से जुड़े लोगों जैसे शिक्षक, डॉक्टर, वकील, सामाजिक कार्यकर्ताओं, धार्मिक नेताओं और विशेष रूप से महिलाओं और छोटे-बड़े दीनी व मिल्ली (धार्मिक एवं राष्ट्रीय) संगठनों से अपील है कि वे बोर्ड के निर्देश आने के पश्चात् उसके अनुसार अधिक से अधिक संख्या में भारत के विधि आयोग की वेबसाइट पर समान नागरिक संहिता के विरोध में अपनी आपत्ति दर्ज करें और उन्हें समझाएं कि यह केवल मुसलमानों की समस्या नहीं है बल्कि सभी वर्ग इससे प्रभावित होंगे. इसके साथ-साथ दुआ का भी एहतेमाम (आयोजन) करें कि इस देश में मुसलमानों को अपने धर्म का पालन करने की जो स्वतन्त्रता जो संवैधानिक रूप से मिली है, वह बरक़रार रहे. बोर्ड सन्तुष्टि कराता है कि वह प्रत्येक स्तर पर समान नागरिक संहिता को रोकने का भरसक प्रयास करेगा. इसके लिए सभी शांतिपूर्ण संभावित संसाधनों का उपयोग करेगा और भारत के सभी मुसलमानों से आशा करता है कि बोर्ड जब भी इस सम्बंध में कोई आवाज़ देगा, सभी लोग उस पर ‘लब्बैक’ कहेंगे, अल्लाह तआला हम सब का समर्थक और मददगार हो.”

Saurabh Mishra

Saurabh Mishra

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