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पश्चिमी यूपी में पक रही है चुनावी गठबंधन की खीर, एनडीए और विपक्ष से बातचीत कर 2024 की तैयारी में जुटे हैं जयंत चौधरी
लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन का गणित नई शक्ल ले रहा है. राजनीतिक महत्वाकांक्षा के हाईवे पर खड़ी रालोद मजबूत गठबंधन पर सवार होगी, वहीं भाजपा के एक धड़े ने शिगूफा छोड़ बसपा के साथ जाने के लिए जयंत चौधरी पर दबाव बनाया है।
पश्चिमी यूपी की सियासत में दबाव का दंगल चल रहा है, जिसमें हर पार्टी चुनावी सौदेबाजी के नए हथकंडे अपना रही है. इससे राज्य की राजनीति पर असर पड़ेगा. 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन के पिरामिड बनाए जा रहे हैं और कागज पर उतारे जा रहे हैं.
छोटे चौधरी भाजपा को घेर रहे हैं
बीजेपी को घेरने के लिए कांग्रेस और एसपी एक सुर में बोल रहे हैं तो वहीं आरएलडी प्रमुख जयंत ने नया सुर छेड़ दिया है. वह विपक्ष की तीन सबसे बड़ी सभाओं में से दो से बाहर रहे, जिसके बड़े राजनीतिक मायने हैं.
सैद्धांतिक तौर पर तो जयंत विपक्ष का तमगा लगाए घूम रहे हैं, लेकिन व्यवहारिक धरातल पर वह नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए से ज्यादा दूर नहीं हैं. लेकिन इस बीच छोटे चौधरी ने 'मजबूत चुनावी रिटर्न' पाने के लिए विपक्ष पर दबाव बना दिया है और 14 सीटों की मांग कर दी है, जिससे हालत खराब होते ही एनडीए के लिए रास्ता खुल जाएगा. इसे भाजपा पर दबाव बनाने की रणनीति भी माना जा रहा है।
बेशक यहां सीटें कम मिलेंगी, लेकिन जीत के लड्डू से लेकर सत्ता की खीर तक खाने की संभावना ज्यादा रहेगी. जयंत चौधरी एनडीए और विपक्ष दोनों को एक साथ संदेश दे रहे हैं. वह मुंबई में विपक्ष की बैठक में शामिल होने के लिए तैयार हो गए हैं, जबकि हाल ही में दिल्ली सेवा विधेयक पर वोटिंग के दौरान राज्यसभा से अनुपस्थित रहकर उन्होंने एनडीए के मुकाबले समीकरण बेहतर बनाए रखा है. मतलब साफ है कि छोटे चौधरी एनडीए और विपक्ष दोनों पर दबाव बनाने की रणनीति पर चल रहे हैं.|