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कारगिल विजय दिवस: लोनी के लांस नायक ओमप्रकाश सिंह ने दुश्मनों के छक्के छुड़ाकर दिया था देश के लिए बलिदान
सोनू सिंह
गाजियाबाद। भारतीय सेना 26 जुलाई को पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ाकर कारगिल विजय हासिल की थी। भारतीय वीर जवानों की जांबाजी की दास्तां आज भी देशवासियों के जेहन में जिंदा है। इस युद्ध में जिन भारतीय जवानों ने अपने शौर्य से दुश्मन को घुटनों के बल ला दिया था। इन जांबाजों में लोनी इलाके के शहीद लांस नायक ओमप्रकाश सिंह भी शामिल थे।
शहीद ओमप्रकाश सिंह ने द्रास सेक्टर की दुर्गम पहाड़ी पर दो बार दुश्मनों को खदेड़कर तिरंगा फहराया था। पीछे से किए हमले पर उन्होंने कई दुश्मन को मौत के घाट उतार दिया था और स्वयं भी बलिदान हो गए। बलिदानी लांस नायक ओमप्रकाश सिंह मूल रूप से बुलंदशहर के खेरपुर गांव के रहने वाले थे। बचपन से ही वे देश सेवा का सपना देखते थे।
बताते हैं कि बचपन से ही उन्हें बंदूकों से खेलने का शौक था। पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पिता से देश सेवा के लिए सेना में भर्ती होने की इच्छा जताई। पहले तो पिता ने मना कर दिया लेकिन बेटे को मायूस देखकर परिवार ने सेना में जाने के लिए अनुमति दे दी। 1986 में उनका चयन राजपूताना राइफल्स में हुआ था। वर्ष 1990 में उनका विवाह राजकुमारी के साथ हुआ। नौ साल बाद 1999 में उनके बेटे कुलदीप का जन्म हुआ था।