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कांवड़ नियमावली: अगर आप इस बार कांवड़ यात्रा में शामिल हो रहे हैं तो आपके लिए यह जान लेना जरूरी है...
गाजियाबाद। श्रावण मास में कांवड़ की परंपरा सदियों पुरानी है। शिवलिंग के जलाभिषेक का बड़ा महत्व है। कांवड़ भक्तों श्रद्धालुओं को पूरा धर्म कर्म लाभ कांवड़ लाकर जलाभिषेक करने का मिले इसके लिए कुछ नियमावली का पालन करना आवश्यक है। जिसका विस्तृत ब्यौरा निम्नवत है...
1. शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। कांवड़ शुद्ध, सच्चे मन व लगन से लानी चाहिये। किसी प्रकार की प्रतियोगिता न करें व अपने अहंकार का यथासंभव त्याग करें।
2. कांवड़ शुद्ध रूप से बनाकर, सजाकर, जैसा सम्भव हो सके, प्रेम सहित गंगाजल कांवड़ में रखकर, पहले स्वयं गंगा जी में स्नान करें फिर कांवड़ को भी स्नान करायें।
3. गंगा मैया का पूजन करें और कांवड़ की पूजा करें। भगवान का ध्यान कर उत्तर मुख होकर, घुटनों के बल बैठकर दोनों हाथों से कांवड़ को उठा कर दाहिने (सीधे) कन्धे पर धारण कर दायीं ओर को घूमना चाहिये।
4. कांवड़ में किसी भी प्रकार का दूषित या अपवित्र सामान या कपड़े नहीं होने चाहिये।
5. यदि सम्भव हो नंगे पैर यात्रा करें वरना कपड़े के जूते का प्रयोग करें।
6. यात्रा के दौरान पीताम्बर या केसरिया वस्त्र धारण करें और सिर पर कपड़ा अवश्य होना चाहिये।
7. यात्रा में पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करें। जमीन अथवा तख्त पर ही विश्राम करें। चारपाई का निषेध है।
8. यात्रा में तामसी वस्तुएं, मादक पदार्थ, गुटखा, मांस, अंडा, धूम्रपान तथा अश्लील साहित्य व वार्तालाप सर्वदा वर्जित है। इनका प्रयोग विनाशकारी है।
9. शरीर पर तेल मालिश, शेव, मंजन, साबुन और कंघी का प्रयोग मना है।
10. पूजा का सभी सामान अपने साथ रखें।
11. रास्ते में कांवड़ अपने स्थान से ऊंचे और शुद्ध स्थान पर ही रखें।
12. यदि संभव हो तो केवल दोपहर में ही सात्विक भोजन करें। अन्य समय फल और दूध का सेवन करें।
13. जहां भी विश्राम करें वहां से प्रस्थान से पूर्व कॉवड़ की पूरी पूजा करें।
14. यात्रा में हर समय हर-हर महादेव या नमः शिवाय का उच्चारण करते रहें।
15. शौच और विश्राम के पश्चात् स्नान अवश्य करें।
16. कांवड़ यात्रा में कांवड़ लेकर पीछे नहीं जाते हैं।
17. किसी भी व्यक्ति का खाद्य पदार्थ बिना मूल्य चुकाये सेवन न करें अन्यथा वह भी आपकी तपस्या का भागीदार बन जायेगा।
18. रास्ते में यदि गूलर का वृक्ष मिल जाये तो उससे बचकर ॐ नरसिंहाय नमः का जाप करते हुए निकले अन्यथा आपकी तपस्या का फ्ल गूलर को मिल जायेगा।
19. अगर विवशता हो तो ठीक है वरना नगर-प्रवेश एवं नगर-विश्राम न करें।
20. उपवास में भोजन त्याग दें केवल फलाहार करें।
21. मन्दिर पर प्रसाद वितरण करें तथा दान अवश्य दें।
22. मन्दिर में जल चढ़ाकर तुरन्त बाहर निकल आयें जिससे अन्य भक्तों को असुविधा न हो।
23. गर्भ गृह में कांवड़ लेकर न जायें। कांवड़ खंडित हो सकती है।
24. कांवड़ का जल तांबे के लोटे में करके तब शिवलिंग पर चढ़ायें।
25. शिवलिंग पर केवल जलाभिषेक करें। अन्य पूजन सामग्री शिव परिवार के सामने चढ़ायें।
26. शिवरात्रि व्रत करने वाले भक्त जनों को रात्रि जागरण करना अति आवश्यक है। इसके बिना पूजा अधूरी है।
27. अपनी यात्रा पूर्ण करने के पश्चात् घर पर पहुंच कर श्रद्धानुसार ब्रह्म भोज का आयोजन करें। पांच ब्राह्मण व पांच कन्याओं को भोजन करायें और भगवान की आनन्द पूर्वक स्तुति करें।