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उत्तर प्रदेश

गाजियाबाद में टीबी के मामलों में इजाफा, संक्रमण से बचाव के लिए नई रणनीतियां

Nandani Shukla
17 Dec 2024 3:43 PM IST
गाजियाबाद में टीबी के मामलों में इजाफा, संक्रमण से बचाव के लिए नई रणनीतियां
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- जिला मिले 3800 से ज्यादा मरीज

- जिले में 39,385 लोगों को टीपीटी के तहत दी जा रही है दवा

मोहसिन खान

गाजियाबाद। जिले को टीबी मुक्त बनाने के नाम पर अब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के माथे पर तनाव साफ दिखाई देने लगा है। रिपोर्ट के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में सबसे अधिक टीबी रोगी 3,865 लोनी में नोटिफाइड हुए हैं। लोनी अब टीबी का नया हॉट स्पॉट बन गया है, जो चिंता का कारण बन रहा है। लोगों को समय पर दवाई लेनी चाहिए, ताकि वे टीबी से मुक्ति पा सकें। मरीज दिल्ली में जांच कराकर लोनी में दवा लेना भी एक मुख्य कारण है। इससे पहले खोड़ा और विजयनगर में सबसे अधिक टीबी रोगी मिल रहे थे। प्रतिदिन 2 से 5 ऐसे रोगी ट्रेस किए जा रहे हैं, जो तीन महीने से टीबी की जांच कराने को लेकर असमंजस में रहते हैं और फिर जांच कराते हैं। ऐसे में कई लोग संक्रमण फैला देते हैं, जिससे संक्रमण की चेन टीबी मुक्त भारत अभियान के लिए खतरा बन रही है।

चालू वित्त वर्ष में 18,000 से अधिक टीबी रोगी नोटिफाइड किए गए हैं। संक्रमण से बचाव के लिए पिछले तीन महीने से संक्रमित के परिवार के बच्चों के अलावा अन्य सदस्यों को टीबी प्रिवेंटिव थैरेपी (टीपीटी) के तहत तीन महीने में 12 डोज दी जा रही हैं। एक महीने में चार डोज देना जरूरी है। जिले में 39,385 लोगों को टीपीटी के तहत दवाएं दी जा रही हैं।

टीबी रोगियों की संख्या:

डीसीएच लोनी: 1974

सीएचसी लोनी: 1055

पीएचसी मंडौला (लोनी): 562

पीएचसी चिरौड़ी (लोनी): 274

पीएचसी पसौंडा: 676

यूपीएचसी कनावनी: 976

सीएचसी मोदीनगर: 933

डीटीसी गाजियाबाद: 2398

डीसीएच संजयनगर: 2133

सीएचसी बम्हैटा: 1203

हेल्थ पोस्ट विजयनगर: 1277

ईएसआइसी साहिबाबाद: 1419

यूपीएचसी साहिबाबाद: 1123

यूपीएचसी खोड़ा कोलानी: 1068

सीएचसी डासना: 684

सीएचसी मुरादनगर: 436

पीएचसी भोजपुर: 583

पीएचसी फरीदनगर: 225

जिले में जल्द ही सीवाई-टीबी, टीबी संक्रमण (टीबीआइ) का पता लगाने के लिए अगली पीढ़ी का त्वचा परीक्षण शुरू होने वाला है। सीवाई-टीबी में दो विशिष्ट प्रतिजन होते हैं, जो माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस काम्प्लेक्स (एमटीसी) द्वारा स्रावित होते हैं। जिला क्षय रोग अधिकारी डा. अनिल यादव के अनुसार लखनऊ से इस जांच के लिए वायल मंगवाई गई हैं और अगले पांच दिनों में वायल मिलने की संभावना है। इसके साथ ही त्वचा जांच से भी टीबी का पता लगाया जा सकेगा।

टीबी के लक्षण:

बुखार आना, तीन सप्ताह से अधिक समय तक चलने वाली नई या बदतर खांसी, बलगम आना (कभी-कभी बलगम में खून के साथ), सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, गर्दन में ग्रंथियां, हड्डियों या पीठ में दर्द, जोड़ों में दर्द, वजन कम होना, थकान होना, रात को पसीने आना।

टीबी से बचाव एवं इलाज:

बीसीजी का टीका टीबी के खिलाफ एक प्रमुख बचाव है। बचाव के लिए संक्रमित को खांसते या छींकते समय हमेशा अपना मुंह और नाक ढकना चाहिए। टीबी हाथ मिलाने, सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग करने, भोजन और बर्तन साझा करने, या आकस्मिक संपर्क से नहीं फैलता है। टीबी के मरीज इलाज पूरा होने के बाद अपना सामान्य जीवन जी सकते हैं। जांच पाजिटिव आने पर नियमित दवाएं लेनी चाहिए और बीच में दवा नहीं छोड़नी चाहिए।

जिले में टीबी उपचार के लिए मेडिकल संसाधन:

256 कुल टीबी सेंटर पर जांच के सैंपल लिए जाते हैं और दवाएं दी जाती हैं। 24 घंटे जिला टीबी अस्पताल में गंभीर मरीज भर्ती होते हैं। इस साल 18,997 टीबी के मरीजों की संख्या नोटिफाइड हो चुकी है, जिनमें कुछ स्वस्थ भी हो गए हैं।

सीएमओ अखिलेश मोहन के अनुसार, टीबी संक्रमण रोकने के लिए सामुदायिक सर्वे, जांच और उपचार का बेहतर इंतजाम किया जा रहा है। टीबी रोगियों को गोद लेकर उनकी निगरानी की जा रही है और नियमित दवा लेने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। निक्षय योजना के तहत एक हजार रुपये सीधे खातों में भेजे जा रहे हैं और पुष्टाहार पोटली भी वितरित की जा रही है। लोनी में अतिरिक्त शिविर लगाने की योजना है। टीबी रोकथाम के लिए पहली बार संक्रमित सदस्य के पूरे परिवार को दवाएं दी जा रही हैं।

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