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गाजियाबाद में पार्किंग के नाम पर हो रहे अवैध कब्जा, सामाजिक कार्यकर्ता सुनील वैध ने नगर आयुक्त को लिखा पत्र, किया ये अपील
गाजियाबाद। सामाजिक कार्यकर्ता सुनील वैध ने पार्किंग के नाम पर हो रहे अवैध कब्जे को लेकर नगर आयुक्त को आज एक पत्र लिखा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि एंक्रोचमेंट बहुत बढ़ गया है। सड़कों के किनारे और ग्रीन बेल्ट पर खोखे लगाकर बिजनेस किया जा रहा है। नगर निगम की संपत्ति को लोग बिना किसी डर के इस्तेमाल कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह नगर निगम गाजियाबाद द्वारा सैक्टर 1 वैशाली वार्ड- 76 में बनाई गई है।
सामाजिक कार्यकर्ता सुनील वैध ने नगर निगम से सवाल करते हुए कहा कि सड़क और ग्रीन बेल्ट है जिस पर आपके विभाग ने कार पार्किंग का ठेका दिया है क्या? इसके लिए ठेकेदार 6 घंटे के लिए कर वसूल रहा है और नगर निगम की पर्ची जारी की है जिसका नंबर 1136 है। उन्होंने बताया कि पर्ची पर तारीख 21 मई और समय कुछ भी नहीं दिया है। इसके साथ ही वाहन संख्या 8100 लिखा है और कोई इसके ऊपर अमाउंट नहीं लिखा है कि कितने चार्ज हैं।
सुनील वैध ने कहा कि क्या आपने इस ठेकेदार को पूरी सड़कों का ग्रीन बेल्ट का AEZ और फायर ब्रिगेड ऑफिस के सामने की पूरी सड़कों का ठेका दिया है। इसने सबसे ज्यादा गाड़ियां लगा रखी है और सबसे पैसे वसूल रहे हैं। किसी को 1 घंटे के लिए भी जाना है तो 40 रुपए कम से कम लगेंगे क्या यह उचित है? इस पर आपको विचार करने की जरूरत है। इसको कितनी गाड़ी एक बार लगाने के लिए ठेका दिया गया है उसका बोर्ड वहां लगा होना चाहिए कि एक समय में इससे ज्यादा गाड़ी यहां नहीं लगेगी। सारी सड़कें क्या इनकी है जो कि सब जगह पैसे वसूली कर रहे हैं। जनता को इतना दुखी मत कीजिए की जनता में आक्रोश फैल जाए। उन्होंने बताया कि मई 2022 में प्रदेश के मुख्यमंत्री ने आदेश जारी किया था कि किसी की सड़कों पर अवैध पार्किंग नहीं होगी और पार्किंग माफिया को खत्म किया जाएगा। यह सब किसकी छत्रछाया में हो रहा है यह किसी को पता नहीं है।
सुनील वैध ने कहा कि सड़कों/ ग्रीन बेल्ट पर पार्किंग होने की वजह से आसपास के रहने वाले निवासियों को वहां से निकलने में दिक्कत होती है। साथ ही उन्होंने नगर निगम अधिकारियों से अपील की है कि सरकारी संपत्ति को कब्जों से मुक्त करवाइए और सड़कों के किनारे और पार्कों के किनारे ग्रीन बेल्ट पर जो कब्जे हुए हैं। इसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री ने भी कई बार आदेश जारी किए हैं लेकिन गाजियाबाद नगर निगम द्वारा कोई भी उचित कार्रवाई नहीं की जा रही है।