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उत्तर प्रदेश

'मैं रखूंगा अपने भाई को जिंदा': कैप्टन शुभम गुप्ता के छोटे भाई ने वर्दी पहन खाई ये कसम, फट पड़ा मां का कलेजा

Abhay updhyay
25 Nov 2023 5:46 AM GMT
मैं रखूंगा अपने भाई को जिंदा: कैप्टन शुभम गुप्ता के छोटे भाई ने वर्दी पहन खाई ये कसम, फट पड़ा मां का कलेजा
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मां, भाई कहीं नहीं गया। वो जिंदा है। मैं उसे जिंदा रखूंगा। छोटे भाई ऋषभ ने यह बात बड़े भाई कैप्टन शुभम गुप्ता की पुरानी वर्दी पहनकर मां पुष्पा से कही। ऋषभ को शुभम की वर्दी में देख मां का कलेजा फट पड़ा। बिलखती मां से यह कह कर ऋषभ अपने भाई की वर्दी पहन उसका पार्थिव शरीर लेने एयरपोर्ट गया।

दो दिन से कैप्टन शुभम के पार्थिव शरीर के अंतिम दर्शन के लिए ताजनगरी में बेसब्री से इंतजार हो रहा था। शुक्रवार सुबह जब शुभम का पार्थिव शरीर घर आना था, तो ऋषभ एयरपोर्ट जाने के लिए तैयार हो गया। मां से बोला... मां, मैं जाऊंगा भाई को लेने। फिर ऋषभ ने शुभम की पुरानी वर्दी बक्से से निकाली और पहन कर मां के सामने आ गया।




ये खाई कसम

बोला, मां मैं कसम खाता हूं भाई को हमेशा यादों में जिंदा रखूंगा। यह कहकर दोस्त व परिजनों के साथ ऋषभ उस वर्दी को पहन खेरिया हवाई अड्डे की तरफ निकल पड़ा। भारतीय वायु सेना के हवाई अड्डे पर अमर बलिदानी कैप्टन शुभम गुप्ता का पार्थिव शरीर आना था। अपराह्न करीब सवा तीन बजे पार्थिव शरीर एयरफोर्स स्टेशन पहुंचा। जहां सैन्य जवानों ने कैप्टन को सलामी दी। फिर सेना के वाहन में पार्थिव शरीर को प्रतीक एंक्लेव स्थित शुभम के घर लाया गया।



कांपने लगे मां के हाथ-पैर

सेना के जवानों ने जब कैप्टन शुभम की वर्दी और तिरंगा सौंपा तो मां के हाथ-पैर कांपने लगे। मानों उनके हृदय पर दुनिया जहां का दुख टूट पड़ा हो। उनके आंसू नहीं रुक रहे थे, उन्होंने यही कहा कि मेरे बेटे की आखिरी निशानी तो ले आए, लेकिन उसे लेकर क्यों नहीं आए। इतना कहते ही वर्दी को बेटे की तरह दुलारने लगीं।




मेडल चूमती रही मां

वर्दी पर लगे मेडल चूमती तो कभी उसे सीने से लगा लेतीं। काफी देर तक मां बेटे की आखिरी निशानी को निहारती रहीं। मां की ये दशा देख परिजनों ने हमारा शुभम देश के लिए बलिदान हुआ कहते हुए समझाने की कोशिश की।



बलैया लेकर जांबाज को दी अंतिम विदाई

27 साल की उम्र में कैप्टन शुभम के बलिदान से हर किसी की आंखें नम थीं। अंतिम दर्शन कर लोग कैप्टन शुभम अमर रहे, जिंदाबाद के नारे लगाकर नमन कर रहे थे। भीड़ में ऐसे ही एक महिला भी पहुंची, जिन्होंने जांबाज को बलैया लेकर अंतिम विदाई दी। उनका कहना था कि आतंकियों से मुकाबला करते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ है। उसके बलिदान का गर्व महसूस करते हुए नजर उतारकर विदा किया है।

Abhay updhyay

Abhay updhyay

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