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सोनू सिंह
गाजियाबाद। लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता उत्साह से लबरेज हैं। उन्होंने अयोध्या जैसी महत्वपूर्ण सीट जीती है और कई सीटों पर जबरदस्त टक्कर दी है। भाजपा सरकार बनाने में कामयाब रही है लेकिन उसकी मंथन चिंतन बैठकों में लगातार कम वोट को लेकर सवाल उठ रहे हैं और वो नए सिरे से रणनीति बना रही है। इसका पता इसी से लगता है कि उसने दस विधानसभा सीटों पर 30 मंत्री लगाये हैं। यानी एक विधानसभा सीट पर भाजपा ने अपने 3 मंत्री उतारे हैं।
जिन दस सीटों पर चुनाव होना है उनमें गाजियाबाद शहर सीट भी शामिल है। अब सवाल यही है कि यहां भाजपा की चुनावी रणनीति क्या रहेगी। भाजपा लगातार दो योजनाओं से शहर सीट पर काबिज है। अतुल गर्ग लगातार दूसरी बार यहां से विधानसभा का चुनाव जीते और अब वो लोकसभा चुनाव जीतकर सांसद बने हैं। भाजपा के लिए यह उसकी विनिंग सीट है और वो इसे किसी भी कीमत पर हाथ से नहीं जाने देना चाहेगी। इसके लिए उसके तीन मंत्री यहां लगाये गये हैं। सवाल ये है कि भाजपा की चुनावी रणनीति कितनी फलित होगी अगर यहां सपा या कांग्रेस ने दलित उम्मीदवार उतार दिया तो।
शहर विधानसभा सीट पर दलित वोटों की संख्या काफी बताई जाती है और ये वोट अगर एक मुश्त किसी भी उम्मीदवार को मिल गए तो वह चुनावी वैतरणी पार कर लेगा। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषक इस बात पर फोकस कर रहे हैं कि अगर जनरल सीट पर विपक्ष का उम्मीदवार दलित समाज से आ गया तो भाजपा की रणनीति को प्रभावित कर सकता है।