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Gorakhpur: गीता के उपदेशों से मजबूत करेंगे चीन की संस्कृति, गोरक्षनाथ मंदिर में देखी छठ महापर्व की महत्ता
भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को समझने गोरक्षनगरी आई चीन के पांच प्रोफेसरों की टीम श्रीमद्भगवत गीता के उपदेशों से चीन की संस्कृति को मजबूत करेगी। सोमवार को टीम के सदस्य गीता प्रेस पहुंचे तो वहां श्रीमद्भगवत गीता के बारे में जानकर बहुत उत्साहित नजर आए। टीम ने गोरक्षनाथ मंदिर के भीम सरोवर पहुंचकर छठ महापर्व की महत्ता भी जानी।
दरअसल, भारत-चीन में तल्खी आने के बाद से दोनों ही देशों के चिंतक रिश्तों को बेहतर करने के लिए एक दूसरे की संस्कृति, धर्म, व्यापार और रहन-सहन को बारीकी से समझ रहे हैं। इसी क्रम में शंघाई के फुडन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर भारत दौरे पर हैं।
टीम जब गीता प्रेस पहुंची तो वहां दिवालों पर लिखे गए श्रीमद्भगवत गीता कुछ उपदेशों को उन्हें उनकी भाषा में समझाया गया। उन्हें अंग्रेजी भाषा में प्रकाशित श्रीमद्भगवत गीता पुस्तक भेंट की गई। सदस्यों ने कहा कि गीता के सार से चीन के लोगों को भी अवगत कराया जाएगा।
चीन की संस्कृति को इससे मजबूती मिलेगी। करीब एक घंटे तक चीन के चिंतकों की टीम गीता प्रेस में रही। इस दौरान लीला चित्र मंदिर और प्रेस में गई। टीम के सदस्यों ने गोरखपुर में चल रहे विकास के कामों को भी देखा।
टीम ने गोरखनाथ मंदिर के भीम सरोवर पर पहुंचकर छठ पर्व की महत्ता भी समझी। गोरखनाथ मंदिर में माथा टेका। टीम छठ पर्व के उल्लास में रंगी नजर आई। टीम की अगुवाई कर रहे दिल्ली इंडियन फाउंडेशन के चिंतक आलोक बसंल ने भारत की संस्कृति के बारे में बताया तो वहीं एसपी सिटी कृष्ण कुमार बिश्नोई ने उन्हें गोरखनाथ मंदिर के बारे में जानकारी दी। टीम, गोरक्षनाथ मंदिर में स्थित गोशाला भी गई। टीम में यूनिवर्सिटी के चांग चीया टंग, वेई चांगयू, ट्यू चाउ, शिए चाउ और लियू चावंगी शामिल थे।