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'लोकतंत्र का पर्व'- एक त्योहार : मुक्ता वार्ष्णेय
-आकाशवाणी कलाकार मुक्ता वार्ष्णेय की कलम से
गाजियाबाद। हमारा देश त्योहारों का देश है, हम विभिन्न त्योहार जैसे होली, दीपावली, ईद, रक्षाबंधन आदि खूब हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। हम जिस प्रकार अपने हर त्योहार की तैयारी बहुत पहले से ही शुरू कर देते हैं। ठीक इसी प्रकार आजकल देश में भी 'लोकतंत्र के पर्व' की तैयारी खूब जोरों से की जा रही है। देश के प्रत्येक जिलों के जिला प्रशासन में ही नहीं अपितु देश के प्रत्येक जागरूक नागरिक में भी इस पर्व के प्रति अद्भुत उत्साह देखने को मिल रहा है। बड़े-बूढ़े, महिलाओं समेत सभी इसमें भाग लेने को उत्साहित हैं, वहीं देश के युवाओं में विशेषकर जो प्रथम बार वोट डाल रहे हैं उनमें एक अलग ही ऊर्जा देखने को मिल रही है।
इस लोकतंत्र के पर्व को सफल बनाने में देश की सरकार द्वारा इस दिन अन्य त्यौहारों की भांति छुट्टी प्रदान की जाती है। यही नहीं जिला प्रशासन समेत विभिन्न संस्थाएं, विद्यालय, व्यापारी व व्यक्तिगत तौर पर देश के जागरूक नागरिक भी अपने-अपने स्तर पर विभिन्न प्रयास कर रहे हैं। विभिन्न जागरूकता के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है, जगह-जगह मतदान को प्रेरित करते गीत व नुक्कड़-नाटकों की प्रस्तुति हो रही है, सड़क पर रैलियाँ निकाली जा रहीं हैं, व्यापारियों द्वारा नागरिकों को मतदान के पश्चात विभिन्न ऑफर प्रदान किये जा रहे हैं, यह पूरा माहौल निश्चित रूप से एक भव्य त्यौहार या पर्व को ही दर्शाता है।
इन सभी का उद्देश्य बस यह है कि लोग अपने वोट का मूल्य समझें, अधिक से अधिक संख्या में मतदान के अधिकार का उपयोग करें और अपने देश के लिए एक मजबूत व सशक्त सरकार का चयन करके, देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाते हुए देश की प्रगति में अपना योगदान दें। ध्यान देने योग्य बात यह है कि हमारे गाजियाबाद में लोकतंत्र का पर्व 26 अप्रैल को मनाया जाएगा, इस दिन के लिए समस्त नागरिकों से अपने गीत की पंक्तियों के माध्यम मेरी विनम्र प्रार्थना है कि -- आओ मिलकर लोकतंत्र का पर्व मनाएं, वोट डालकर हम अपना दायित्व निभाएं।
आओ साथी सब आओ साथी......
-- मुक्ता वार्ष्णेय ( AIR Artist)
संगीत शिक्षा केंद्र, वसुंधरा