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बर्फीली हवाओं से सूरज के तेवर भी ठंडे... पारा तीन डिग्री लुढ़का; दो जनवरी से ऐसा रहेगा मौसम
बर्फीली हवाओं ने सूरज के तेवर भी ठंडे कर दिए हैं। कानपुर में पारा तीन डिग्री लुढ़क गया है। कानपुर में 30 दिसंबर का दिन चार साल में सबसे ठंडा दिन रहा। दो जनवरी बादल और हल्की बारिश के आसार हैं। ठंड में लगातार इजाफा हो रहा है।
कानपुर में दोपहर में निकले सूरज की बर्फीली हवाओं के सामने एक न चल सकी। शनिवार को पूरे दिन लोग ठंडी हवाओं में ठिठुरते रहे जबकि दिन का तापमान लगभग तीन डिग्री की तीखी गिरावट के साथ 15.8 डिग्री पर आ गया। एक दिन पहले तापमान 18.4 डिग्री दर्ज किया गया था।
मौसम विभाग के अनुसार चार सालों में 30 दिसंबर का दिन सबसे ठंडा रहा। रात के तापमान भी 0.8 डिग्री की गिरावट के साथ 9 डिग्री रिकार्ड किया गया।चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विभाग प्रमुख डॉ. एसएन पांडेय के अनुसार बर्फीली हवाओं की रफ्तार बढ़ रही है।
इससे ठंड में इजाफा हो रहा है। उन्होंने बताया कि दो जनवरी बादल और हल्की बारिश के आसार भी बन रहे हैं। इस बीच हवा में अधिकतम नमी में पांच प्रतिशत की बढ़त के साथ 95 और न्यूनतम 76 प्रतिशत रही।
पिछले वर्षों में 30 दिसंबर 2022 में 22.2 डिग्री
साल 2021 में 19.0 डिग्री
साल 2020 में 21.0 डिग्री
साल 2019 में 9.6 डिग्री
प्रदेश के कई शहरों से ठंडा रहा महानगर
बर्फीली हवाओं की वजह से महानगर आसपास के कई जिलों से ज्यादा ठंडा रहा। जिसमेंं आगरा, प्रयागराज, चित्रकूट सहित कई जिले शामिल हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग की ओर से जारी सूचना के अनुसार अभी महानगर का तापमान और नीचे जा सकता है। जिन शहरों में कानपुर से ज्यादा पारा रहा उसमें आगरा में 17.6, प्रयागराज में 20.2, सुल्तानपुर 16.4, चित्रकूट 18.1, फतेहपुर 16.8 और लखीमपुर खीरी में 16.0 डिग्री पारा रहा। जबकि कानपुर में अधिकतम तापमान 15.8 डिग्री रिकार्ड किया गया।
200 एक्यूआई पहुंचा प्रदूषण 2.5 पीएम
कानपुर। कोहरे और शीतलहर के बीच शहर मेें प्रदूषण की मात्रा भी सुबह से लेकर देर रात तक कम ज्यादा होती रही। रात के करीब 10 बजे यह 200 एक्यूआई पीएम 2.5 तक आ गई। सबसे ज्यादा एक्यूआई नेहरू नगर में दर्ज हुआ। जबकि किदवई नगर में 180 और कल्याणपुर में 135 एक्यूआई रहा। दिन में धूप और हवा रहने की वजह से प्रदूषण की मात्रा 150 के आसपास रही।
गेहूं की फसल के लिए फायदेमंद
शीतलहर और ठंडक गेंहू की फसल के लिए फायदेमंद मानी जा रही है। सीएसए के कृषि एवं मौसम विज्ञानी डा. एसएन पांडेय के अनुसार गेहूं के लिए शीत जरूरी मानी गई है। जिससे बीच का अंकुर तेजी से होता है।