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कांवड़ यात्रा के लिए हजारों की संख्या में पेड़ काटे जाने को लेकर पर्यावरणविद् व अधिवक्ता ने जताया विरोध
नेहा सिंह तोमर
गाजियाबाद। पर्यावरणविद् व अधिवक्ता आकाश वशिष्ठ ने 15 दिन की कांवड़ यात्रा के लिए हजारों की संख्या में पेड़ काटे जाने को लेकर विरोध जताया है। उन्होंने बताया कि एनजीटी ने भारतीय सर्वेक्षण विभाग को ऊपरी गंगा नहर के किनारे काटे गए पेड़ों की सीमा और विस्तार की उपग्रह छवि दाखिल करने का निर्देश दिया है। एनजीटी ने यूपी अधिकारियों द्वारा दिए गए जवाबों पर असंतोष व्यक्त करते हुए राज्य अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि अनुमेय सीमा से परे पेड़ों की कोई अवैध कटाई न हो।
हस्तक्षेपकर्ताओं, विक्रांत तोंगड़, सतेंद्र सिंह और राजेंद्र त्यागी के अधिवक्ता और वकील आकाश वशिष्ठ ने अदालत को बताया कि इतनी बड़ी संख्या में पेड़ों की कटाई, सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के अनुरूप है, जिसमें कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक के पास जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभावों से मुक्त होने का अधिकार, अनुच्छेद 14 और 21 द्वारा मान्यता प्राप्त है और यह ट्रिब्यूनल के अपने आदेशों के भी विपरीत है कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई या कटाई अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
आकाश वशिष्ठ ने बताया कि अगर नहर के किनारे इतनी बड़ी संख्या में पेड़ काटे गए, तो नहर अगले 4 वर्षों में गायब हो जाएगी, जैसा कि पश्चिम यूपी में अधिकांश अन्य नहरें हैं। ऊपरी गंगा नहर के किनारे के इलाकों में रहने वाले लोगों की 365 दिनों की पानी, सिंचाई और पर्यावरणीय जरूरतों को साल में सिर्फ 15 दिनों के लिए कांवड़ तीर्थयात्रियों के लिए बनाई जाने वाली सड़क की बलि नहीं चढ़ाया जा सकता है।