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खतरनाक: इस बार दिवाली से पहले ही लखनऊ की हवा हुई जहरीली, आतिशबाजी के बाद एक्यूआई बना देगा रिकॉर्ड
चारों तरफ बढ़ते प्रदूषण का शोर है। राजधानी की हवा जहरीली बनी हुई है। सर्वाधिक प्रभावित इलाके तालकटोरा और लालबाग मंगलवार को भी लाल श्रेणी में शामिल रहे। बीते वर्षों के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े बताते हैं कि शहर का एक्यूआई पहली बार दीपावली के बाद 200 के पार पहुंचा था, जबकि इस साल पटाखों के धूम धड़ाखे से 10 दिन पहले ही यह 275 तक पहुंच गया।
मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि फिलहाल लखनऊ समेत पूरे उत्तर प्रदेश में बारिश के कोई आसार नहीं हैं। एक सिस्टम 9 और 10 नवंबर के आसपास विकसित हो रहा है, हरियाणा-पंजाब की तरफ। यदि बारिश हो गई तो प्रदूषण धुल जाएगा और राहत पूरब से पश्चिम तक मिलेगी। वहीं, पर्यावरण विशेषज्ञों व भू-वैज्ञानिकों का कहना है कि तमाम प्रयास विफल दिख रहे हैं। कुछ स्थायी और लंबे समय तक प्रभावी उपाय करने होंगे।
मंगलवार को प्रदूषण का स्तर
शहर का औसत एक्यूआई 234 था, सोमवार को 251 था। तालकटोरा व लालबाग 342 और 302 एक्यूआई के साथ लाल श्रेणी में हैं। कुकरैल पिकनिक स्पॉट, गोमतीनगर और बीबीएयू इलाके नारंगी श्रेणी से निकलकर पुनः पीली श्रेणी में शामिल हो गए। यहां का एक्यूआई 200 से नीचे दर्ज हुआ।
वर्ष 2022 में दीपावली के आसपास एक्यूआई
21 अक्तूबर : 164
22 अक्तूबर : 175
24 अक्तूबर : 137 (दीपावली)
26 अक्तूबर : 235
27 अक्तूबर : 225
प्रदूषण रोकने में बारिश की भूमिका
आंचलिक मौसम विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अतुल कुमार सिंह के मुताबिक, पिछले वर्ष मानसून की विदाई देर से हुई थी, अक्तूबर के दूसरे पखवाड़े में अच्छी बारिश हुई थी। इस बार दीपावली देर से है और पोस्ट मानसून बारिश नगण्य है। नौ को पंजाब हरियाणा में बारिश के आसार बन रहे हैं, ये वायुमंडल के लिए अच्छा होगा। वर्तमान में वायुमंडल में स्थिरता है, ये परिस्थितियां अगले कुछ दिनों तक जारी रहेंगी।
छोटे-छोटे पौधे लगाने से नहीं होगा काम
लखनऊ विश्वविद्यालय के भू-विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. ध्रुवसेन सिंह कहते हैं कि तमाम प्रयास फेल हो रहे हैं, बढ़ता प्रदूषण ये बताता है। इसके खतरे को कम करने लिए जरूरी है कि छोटे-छोटे पौधे नहीं बल्कि नीम, कनेर, पीपल जैसे पौधे लगाने होंगे।