Begin typing your search above and press return to search.
उत्तर प्रदेश

सावन के तीसरे सोमवार पर श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर में शिवभक्तों की उमड़ी भीड़

Neelu Keshari
5 Aug 2024 1:40 PM IST
सावन के तीसरे सोमवार पर श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर में शिवभक्तों की उमड़ी भीड़
x

- भगवान शिव के तीन स्वरूपों की उपासना के लिए सावन का तीसरा सोमवार सबसे ज्यादा होता है महत्वपूर्ण

गाजियाबाद। सावन के तीसरे सोमवार को जलाभिषेक के लिए सिद्धपीठ श्री दूधेश्वर नाथ मठ महादेव मंदिर में शिवभक्तों की भीड़ उमड़ी। भगवान के दरबार में हाजरी लगाकर उनकी पूजा-अर्चना करने और जलाभिषेक करने के लिए मंदिर में बड़ी संख्या में शिवभक्त पहुंचे। शिवभक्तों ने भगवान की पूजा-अर्चना कर श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के महंत नारायण गिरि महाराज से मुलाकात कर उनका आशीर्वाद लिया।

गिरी महाराज ने कहा कि वैसे तो पूरा सावन मास और इस मास का प्रत्येक सोमवार ही खास है मगर सावन के तीसरे सोमवार का महत्व अलग ही है। इसका कारण यह है कि भगवान शिव सृष्टि के तीनों गुणों को नियंत्रित करते हैं। वे स्वयं त्रिनेत्रधारी भी हैं। साथ ही उनकी पूजा-अर्चना मूल रूप से तीन स्वरूपों में ही की जाती है। तीनों स्वरूपों की उपासना के लिए सावन का तीसरा सोमवार सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होता है। तीसरे सोमवार को तीनों स्वरूपों की उपासना करने भगवान शिव की कृपा से प्रत्येक मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर भगवान के जलाभिषेक का सिलसिला रात 12 बजे से शुरू हुआ मगर भक्तों की कतारें रात 10 बजे से ही लगने लगी थीं। मंदिर के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरि ने भगवान दूधेश्वर की पूजा-अर्चना और जलाभिषेक किया। उसके बाद भक्तों ने जलाभिषेक करना शुरू किया। जलाभिषेक का सिलसिला लगातार जारी है। भगवान के दर्शन और जलाभिषेक के लिए भक्तों की कतार सुबह 4 बजे तक जस्सीपुरा मोड तक पहुंच गई थी। कतार में घंटों लगाने के बाद ही भक्त भगवान के दर्शन कर पाए और जलाभिषेक कर पाए। जलाभिषेक के लिए जिला व पुलिस प्रशासन, नगर निगम की ओर से विशेष व्यवस्था की गई है। मंदिर के स्वयंसेवक भी व्यवस्था में सहयोग कर रहे हैं।

मंदिर के मीडिया प्रभारी एसआर सुथार ने बताया कि मंदिर श्रृंगार सेवा समिति के अध्यक्ष विजय मित्तल के नेतृत्व में भगवान दूधेश्वर का विशेष श्रृंगार किया गया। महंत गिरिशानंद गिरी महाराज ने भगवान की धूप व दीप आरती की। भगवान को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग भी लगाया गया।

Next Story