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उत्तर प्रदेश

शहर विधानसभा सीट उप चुनाव: भाजपा में बार-बार क्यों उठ रही है वैश्य को उम्मीदवार न बनाए जाने की आवाज?

Neelu Keshari
17 Aug 2024 11:31 AM GMT
शहर विधानसभा सीट उप चुनाव: भाजपा में बार-बार क्यों उठ रही है वैश्य को उम्मीदवार न बनाए जाने की आवाज?
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सोनू सिंह

गाजियाबाद। भारतीय चुनाव आयोग ने जम्मू कश्मीर और हरियाणा विधानसभा चुनावों की घोषणा शुक्रवार को कर दी है। अब जल्द ही उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए होने वाले उप चुनावों की घोषणा भी की जा सकती है। विधानसभा उप चुनावों की घोषणा के इंतजार के बीच ही उत्तर प्रदेश में गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट के लिए होने वाले उप चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी में वैश्य समाज से उम्मीदवार नहीं उतारे जाने की मांग रह-रह कर उठ रही है। आखिरकार इसके पीछे कौन है इसे लेकर भी सवाल बना हुआ है।

गाजियाबाद को भारतीय जनता पार्टी का एक मजबूत किला माना जाता है। गाजियाबाद जनपद की लोकसभा सीट से लेकर लगभग सभी उपचुनाव विधानसभा सीटों पर पिछले लंबे समय से लगातार भाजपा का ही कब्जा है। शहर विधानसभा सीट पर पिछले दो बार से अतुल गर्ग ही जीत दर्ज करते हुए आ रहे थे परंतु भाजपा ने इस बार उन्हें गाजियाबाद लोकसभा सीट पर चुनाव मैदान में उतार दिया था। लोकसभा सीट पर जीत के बाद अतुल गर्ग के इस्तीफा देने से रिक्त हुई इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी में ही सबसे ज्यादा दावेदारी का तूफान आया हुआ है। गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी में अभी तक चार दर्जन से ज्यादा दावेदारों के नाम सामने आ चुके हैं। भाजपा में दावेदारों के इस सैलाब के साथ ही वैश्य समाज से उम्मीदवार नहीं बनाए जाने को लेकर भी बार-बार आवाज उठ रही है। यह मांग करने वाले लोग अपनी इस मांग के समर्थन में ठोस तर्क भी पेश करते हैं। इन लोगों का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने वैश्य समाज से अतुल गर्ग को लोकसभा का सांसद बनाया है। अतुल गर्ग के अलावा मेयर सुनीता दयाल, एमएलसी दिनेश गोयल और हाल ही में निवर्तमान हुए राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल भी इसी समाज से आते हैं। ऐसे में राजनीतिक समीकरण साधने के लिए भाजपा को गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर किसी अन्य समाज से आने वाले चेहरे को चुनाव में प्रत्याशी बनाया जाना चाहिए। वैश्य समाज के उम्मीदवार की मुखालफत के साथ ही यहां ब्राह्मण समाज या फिर क्षत्रीय समाज के पक्ष में माहौल भी बनाया जा रहा है। कुछ लोग ब्राह्मण समाज के उम्मीदवार के पक्ष में हैं। तो वहीं कुछ लोग क्षेत्रीय उम्मीदवार की वकालत कर रहे हैं।

लोकसभा चुनावों के दौरान क्षत्रीय समाज की भाजपा से नाराजगी ने उत्तर प्रदेश में इसका खेल बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई थी। ऐसे में कुछ लोगों का मानना है कि भाजपा क्षत्रीय समाज को साधने के लिए इस समाज से आने वाले चेहरे पर भी दाव खेल सकती है। गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर ब्राह्मण मतदाताओं की भी एक अच्छी खासी संख्या है। ब्राह्मण समाज से भी रह रहकर भाजपा द्वारा इस समाज की उपेक्षा की खबरें सुर्खियों में दिखाई देने लगती हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि भाजपा ब्राह्मण समाज से आने वाले चेहरे को टिकट देकर गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर एक मजबूत दाव खेल सकती है। गाजियाबाद शहर विधानसभा सीट पर टिकट को लेकर यहां के सभी राजनीतिक दलों के बीच अभी देखो और इंतजार करो की रणनीति ही अपनाई जा रही है। भाजपा के साथ ही कांग्रेस की ओर से भी यहां ब्राह्मण समाज के उम्मीदवार पर ही दाव खेलने के कयास लगाए जा रहे हैं। आने वाले दिनों में यहां टिकट को लेकर जल्द ही तस्वीर साफ हो सकती है। तब तक सभी दलों में उम्मीदवार को लेकर कयासों का बाजार गर्म ही रहेगा।

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