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बोल बम-बोल बम... कांवड़ियों के लिए तैयार किए गए विशेष चार मार्ग
सोनू सिंह
गाजियाबाद। वार्षिक कांवड़ तीर्थयात्रा 22 जुलाई से शुरू होने वाली है। कावड़ यात्रा के लिए दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे सहित चार प्रमुख सड़कों पर खास प्रबंध किए गए हैं। कांवड़ यात्रा श्रावण महीने में की जाती है। हजारों तीर्थयात्री हरिद्वार से गंगा जल लेकर अपने गृह नगरों में लौटते हैं। जहां वे प्रमुख मंदिरों में भगवान शिव को जल चढ़ाते हैं। अधिकारियों ने बताया कि अधिकांश कांवड़िये पैदल, मोटरसाइकिल/साइकिल, कार और ट्रकों से लौटते हैं और चूंकि उनमें से अधिकांश दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा और मध्य प्रदेश राज्यों में वापस जाते समय गाजियाबाद से गुजरते हैं। इसलिए जिले में यातायात व्यवस्था सुनिश्चित करने के लिए 10-12 दिनों के लिए यात्रा प्रतिबंध लगाया जाता है।
गाजियाबाद के जिला मजिस्ट्रेट इंद्र विक्रम सिंह ने बताया कि इस साल हमने विभिन्न विभागों से कांवड़ियों के लिए व्यवस्था करने को कहा है। इसमें सड़क की मरम्मत, उचित स्ट्रीट लाइटिंग, पानी और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं की व्यवस्था आदि शामिल हैं। इस साल कांवड़िए हरिद्वार से लौटते समय चार प्रमुख सड़कों का इस्तेमाल करेंगे और उनमें से एक दिल्ली-मेरठ एक्सप्रेसवे (डीएमई) होगा। मेरठ में परतापुर टोल प्लाजा से 55 किमी डीएमई मार्ग के अलावा, अन्य तीन प्रमुख मार्ग हैं- एनएच-9 पर छजारसी टोल प्लाजा से सेक्टर 62, नोएडा तक 30 किमी मार्ग; जानी सीमा (मेरठ-गाजियाबाद सीमा) से लोनी के पास टीला मोड़ की ओर 35 किमी मार्ग और जेवर (गाजियाबाद-मेरठ) सीमा से दिल्ली-मेरठ रोड के माध्यम से दिल्ली की ओर 45 किमी मार्ग। यातायात पुलिस जरूरत के हिसाब से मार्ग परिवर्तन योजना बनाएगी।
अधिकारियों और विभिन्न विभागों से तीर्थयात्रियों की भीड़ के लिए तैयार रहने को कहा गया है। कांवड़ यात्रा के लिए चार मार्ग नियमित यातायात, खास तौर पर भारी वाहनों के लिए बंद रहेंगे। उम्मीद जताई जा रही है कि इस साल तीर्थयात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी होगी। अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम को कांवड़ियों के लिए 200 अतिरिक्त बसें चलाने के निर्देश दिए हैं। इसके अलावा कांवड़ मार्ग पर मंदिरों के पास स्थित मांस की दुकानों को बंद करने और शराब की दुकानों को नजर से दूर रखने के निर्देश दिए हैं। जिला प्रशासन से अनिवार्य अनुमति के बाद हर साल दिल्ली मेरठ रोड पर कई कांवड़ शिविर लगाए जाते हैं।