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मोबाइल टावर चोरी का बड़ा खुलासा, लगभग 7 करोड़ के महंगे उपकरण बरामद

Nandani Shukla
23 Dec 2024 12:38 PM IST
मोबाइल टावर चोरी का बड़ा खुलासा, लगभग 7 करोड़ के महंगे उपकरण बरामद
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- आरोपी घटना के समय सीसीटीवी कैमरे भी उखाड़ ले जाते थे अपने साथ

मोहसिन खान

गाजियाबाद। क्राइम ब्रांच और थाना वेव सिटी पुलिस ने मोबाइल टावरों से चोरी करने वाले अंतर-राज्यीय गिरोह के पांच शातिर चोरों को गिरफ्तार किया है। उनके कब्जे से चोरी किए गए करीब 7 करोड़ रुपये कीमत के महंगे उपकरण बरामद किए गए हैं। यह गैंग एनसीआर में मोबाइल टावरों को निशाना बनाता था और एनसीआर, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा, बिहार, महाराष्ट्र, पंजाब, मध्यप्रदेश और असम में एयरटेल और जिओ कंपनियों के मोबाइल टावरों से रेडियो रिसीवर यूनिट, बेसबैंड यूनिट और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस चोरी करता था।

अपर पुलिस उपायुक्त क्राइम सच्चिदानंद ने बताया कि इंस्पेक्टर क्राइम ब्रांच अब्दुर रहमान की टीम ने यह गिरफ्तारी की है। पकड़े गए शाहरूख मलिक ने बताया कि उसने बीए में अपनी शिक्षा छोड़ दी थी। पढ़ाई छोड़ने के बाद उसने कुछ समय बिरयानी की दुकान खोली थी और फिर वर्ष 2021 से अपने पिता के साथ कबाड़ का काम करने लगा। उसका भाई नईम भी कबाड़ का काम करता था।

नईम और जावेद मीरापुरिया के संपर्क में आकर शाहरूख और नईम मोबाइल टावरों से चोरी किए गए इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसों की खरीद-फरोख्त में लग गए। करीब 8 माह पहले नईम आरआरयू की चोरी में गाजियाबाद से जेल चला गया था। उस समय नईम की गिरफ्तारी पर 50 हजार रुपये का ईनाम घोषित किया गया था।नईम के जेल जाने के बाद शाहरूख ने उसका काम संभाल लिया और अपने चचेरे भाई फईम के साथ मिलकर चोरी की वारदातों को अंजाम देने लगा।

वसीम भी कबाड़ का काम करता था

वसीम मलिक से पूछताछ के दौरान उसने बताया कि वह अपने पिता के साथ रांची गया था, जहां वे कबाड़ का काम करते थे। करीब 8-10 साल वहां काम करने के बाद वह मेरठ लौट आया और गाजियाबाद, मेरठ में कबाड़ की फेरी करने लगा। इस दौरान उसकी मुलाकात जावेद मीरापुर से हुई, जिसने उसे आरआरयू के काम के बारे में बताया। अधिक फायदे के लालच में वसीम ने मोबाइल टावरों से चोरी किए गए सामान को शाहरूख और उसके भाई नईम को देना शुरू कर दिया। पकड़ा गया अनस भी दसवीं फेल है। साहिल पहले सरिया बांधने का काम करता था।

दिन में करते थे रेकी, रात के समय घटना को अंजाम देते थे

पुलिस ने बताया कि यह लोग दिन में कबाड़ की फेरी करके कबाड़ का काम करते थे। जिस मोबाइल टावर से इनको चोरी करनी होती थी, वह दिन के समय ही कबाड़ की फेरी करते हुए उसे चिन्हित कर लेते थे। घटना स्थल पर जाने के लिए शाहरूख, वसीम और गोल्डी उर्फ फरहान गाड़ी का इंतजाम करते थे। रात के समय ये लोग अपनी गाड़ियों से चिन्हित किए गए टावर पर पहुंच जाते थे और इनके दो-तीन साथी मोबाइल टावर पर चढ़ जाते थे। औजारों की मदद से वे रेडियो रिसीवर यूनिट, बैट्री और अन्य कीमती सामान चोरी कर लेते थे। यदि वहां कैमरे लगे होते, तो उन्हें तोड़ दिया जाता। इसके बाद चोरी किए गए सामान को बेचकर पैसा बांट लिया जाता था।

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