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'बाबू का खेल': DCP के फर्जी हस्ताक्षर कर देता रहा छुट्टी, डिप्टी CM से कराया फोन...बर्खास्तगी तय, पढ़ें मामला
कानपुर के पुलिस विभाग में फर्जीवाड़े का एक और खुलासा हुआ है। पुलिस कर्मियों को प्रमोशन के लिए सर्विस बुक से पन्ने गायब करने वाला बाबू देवेंद्र मौर्या (लिपिक) अब आईपीएस के फर्जी हस्ताक्षर कर पुलिस कर्मियों को अवकाश देने के मामले में भी दोषी पाया गया है
फोरेंसिक रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद एडिशनल पुलिस कमिश्नर मुख्यालय ने लिपिक पर कार्रवाई के लिए फाइल तलब की है। ऐसे में अब लिपिक की बर्खास्तगी तय मानी जा रही है। पुलिस मुख्यालय में तैनात लिपिक (दरोगा) देवेंद्र मौर्या ने तीन कांस्टेबल के प्रमोशन के लिए सर्विस बुक से बैड एंट्री के पन्ने गायब कर दिए थे।
मामला संज्ञान में आने के बाद तत्कालीन पुलिस कमिश्नर ने चारों को निलंबित करने के साथ ही विभागीय जांच बैठा दी थी। जांच में दोषी पाए जाने पर तीनों कांस्टेबल को तीन साल के लिए न्यूनतम वेतन की सजा सुनाई थी।
इस बीच लिपिक देवेंद्र मौर्या का एक और कारनामा सामने आ गया।
फर्जी हस्ताक्षर कर कई पुलिसकर्मियों को अवकाश दे दिया
देवेंद्र मौर्या ने छह नवंबर 2021 से 31 जनवरी 2024 के बीच डीसीपी मुख्यालय के फर्जी हस्ताक्षर कर कई पुलिसकर्मियों को अवकाश दे दिया। इस दौरान शिवाजी शुक्ला डीसीपी मुख्यालय पद पर तैनात थे। मामला संज्ञान में आने के बाद डीसीपी मुख्यालय ने इस पर विभागीय जांच कमेटी गठित की।
हस्ताक्षर मिलान के लिए फोरेंसिक लैब भेज दी थी फाइल
साथ ही, मामले की जांच एसीपी लाइन को सौंपी गई थी। वर्तमान में अंजनी विश्वकर्मा के पास एसीपी लाइन का चार्ज है। अधिकारियों की प्राथमिक जांच में पता चला कि आठ पुलिस कर्मियों के अवकाश की अनुमति पर फर्जी हस्ताक्षर मिले थे। डीसीपी ने हस्ताक्षर के मिलान हेतु फाइल फोरेंसिक लैब भेज दी थी।
जांच रिपोर्ट में लिपिक देवेंद्र मौर्या के ही हस्ताक्षर मिले
उसकी हाल ही जांच रिपोर्ट भी आ गई है। फोरेंसिक की रिपोर्ट में लिपिक देवेंद्र मौर्या के ही हस्ताक्षर मिले हैं। अब एडिशनल पुलिस कमिश्नर विपिन मिश्रा ने देवेंद्र मौर्या की फाइल तलब की है। ऐसे में अब देवेंद्र मौर्या की बर्खास्तगी तय मानी जा रही है।
जांच शुरू होते ही डिप्टी सीएम से कराया था फोन
देवेंद्र मौर्या ने जांच शुरू होते ही डिप्टी सीएम से फोन कराकर दबाव बनाने का प्रयास किया था। देवेंद्र वर्तमान में डिस्पैच में कार्यरत है। दरअसल, देवेंद्र मौर्या का फर्जीवाड़ा वर्ष 2022-23 में पकड़ा गया था। उस दौरान एडिशनल पुलिस कमिश्नर मुख्यालय के पद पर आईपीएस आनंद कुलकर्णी तैनात थे।
जातिवाद मुद्दा उठा अपनी करनी का ठीकरा दूसरे पर फोड़ा
फर्जीवाड़ा पकड़े जाने के बाद देवेंद्र मौर्या ने खुद को बेगुनाह बताते हुए जातिवाद मुद्दा उठा अपनी करनी का ठीकरा विभाग में तैनात विमल उपाध्याय पर थोप दिया था। इसी के बाद आनंद कुलकर्णी के पास डिप्टी सीएम का फोन आ गया था।
विमल उपाध्याय को मिल गई थी क्लीनचिट
आनंद कुलकर्णी ने डिप्टी सीएम को हकीकत बताते हुए मामले की इंटरनल जांच बैठा दी थी। जांच में विमल उपाध्याय को क्लीनचिट मिल गई थी, जबकि देवेंद्र मौर्या पर लगाए गए सभी आरोप सही पाए गए थे। इस बीच कुलकर्णी का अलीगढ़ तबादला हो गया और कार्रवाई ठंडे बस्ते में चली गई थी।
आसान हस्ताक्षर का उठाया फायदा
पुलिस विभाग के सूत्रों के अनुसार, आईपीएस शिवा जी शुक्ला के हस्ताक्षर सभी अधिकारियों में सबसे आसान थे, जिसका फायदा लिपिक ने उठाया। वह पुलिस कर्मियों के अवकाश पर फर्जी हस्ताक्षर कर देता था। जिसके बाद मुख्यालय से संबंधित अन्य दस्तावेजों को भी खंगाला जा रहा है।
लिपिक की फाइल मंगाई गई है। फाइल की गहनता से जांच की जा रही है। जो भी नियम संगत में होगी उस आधार पर लिपिक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। -विपिन मिश्रा, एडिशनल पुलिस कमिश्नर, क्राइम/मुख्यालय