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उत्तर प्रदेश

एशियन गेम्स विजेता अजय बोले : लक्ष्य हासिल करने के लिए मेहनत से ज्यादा जुनून जरूरी, ओलंपिक में भी जीतेंगे मेडल

Abhay updhyay
9 Oct 2023 10:02 AM GMT
एशियन गेम्स विजेता अजय बोले : लक्ष्य हासिल करने के लिए मेहनत से ज्यादा जुनून जरूरी, ओलंपिक में भी जीतेंगे मेडल
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चीन में आयोजित एशियाई खेलों में 1500 मीटर दौड़ में रजत पदक जीतकर भारत का तिरंगा झंडा फहराने वाले अजय कुमार सरोज का सोमवार को प्रयागराज पहुंचने पर जोरदार स्वागत किया गया। खिलाड़ियों और प्रशंसकों ने उन्हें फूल मालाओं से लाद दिया। इसके बाद मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में अजय का स्वागत किया गया. अजय सरोज ने कहा कि अपनी मंजिल पाने के लिए मेहनत से ज्यादा जरूरी पागलपन है। लक्ष्य के प्रति जुनून ही खिलाड़ी को उसकी मंजिल तक पहुंचाता है। नए खिलाड़ियों से कहा कि वे कड़ी मेहनत करें और अपने कोच पर आंख मूंदकर भरोसा करें। कोच वह मार्गदर्शक है जिसकी मदद से आप अपने लक्ष्य तक पहुंच सकते हैं। अपनी मर्जी से कोई कदम न उठाएं. कोच के निर्देशानुसार ही आगे बढ़ें। इंसान को अपने दिमाग का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. खुद पर विश्वास के साथ-साथ कोच पर भी विश्वास रखें। पूरी ईमानदारी से मेहनत करने पर आपको शत-प्रतिशत सफलता मिलेगी।

पदक परिवार को समर्पित

अजय सरोज ने बताया कि कड़ी मेहनत और लगन के बाद उन्होंने यह सफलता हासिल की है। इसमें उनके कोच, परिवार और भाई का योगदान वह कभी नहीं भूल पाएंगे। परिवार ने कष्ट सहकर उन्हें आगे बढ़ाने का काम किया है। वह एशियाई खेलों में अपना पदक अपने माता-पिता और परिवार को समर्पित कर रहे हैं। वह 2009 से एशियाड की तैयारी कर रहे हैं। उन्हें 15 साल बाद सफलता मिली।

वह लगातार ट्रेनिंग ले रहे थे. उनका चयन ओलंपिक में रैंकिंग के आधार पर किया जाना चाहिए. वह ओलंपिक के लिए पदक जीतने की भी तैयारी कर रहे हैं. इस मौके पर सोरांव के पूर्व विधायक एवं अपना दल एस के राष्ट्रीय महासचिव जमुना प्रसाद सरोज, क्रीड़ाधिकारी विमला सिंह, प्रयागराज एथलेटिक्स एसोसिएशन के संयुक्त सचिव सत्येन्द्र सिंह आदि मौजूद रहे। इससे पहले अजय का प्रयागराज जंक्शन पहुंचने पर ढोल-नगाड़ों के साथ जोरदार स्वागत किया गया.

अजय के सभी भाई-बहन धावक हैं।

आपको बता दें कि 1500 मीटर रेस में अजय का प्रदर्शन काफी अच्छा रहा था. एक समय ऐसा लग रहा था कि वह स्वर्ण पदक भी जीत सकते हैं. आख़िरकार उसकी झोली में चाँदी आ ही गई। अजय ने 3:38.94 के समय में अपनी दौड़ पूरी की। अजय के पिता धर्मराज प्लंबिंग का काम करते हैं। उनके पांचों बच्चे धावक हैं। पिता की इच्छा पर अजय के भाई अजीत ने सबसे पहले दौड़ना शुरू किया। पिता चाहते थे कि उनका बेटा सेना में भर्ती हो। जब अजीत ने एथलेटिक्स में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में पदक जीता, तो उनके पिता की इच्छा थी कि उनका बेटा देश के लिए पदक जीते।

अपने पिता की इस इच्छा का पालन करते हुए दोनों छोटे बच्चों ने कड़ी मेहनत करना शुरू कर दिया। भाइयों को देखकर बहनें भी धावक बनना चाहती थीं। पिता ने समाज के चलन को नजरअंदाज कर अपने बच्चों को दौड़ने के लिए प्रेरित किया. यही कारण था कि बच्चे बिना किसी चिंता के मेहनत करते रहे और अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया।

जब अजय के बड़े भाई अजीत को स्पोर्ट्स कोटे के तहत रेलवे में सीटीआई की नौकरी मिल गई तो परिवार की स्थिति में सुधार होने लगा। अजीत को नौकरी मिलने के बाद उन्होंने अजय की मदद की और उसे प्रोत्साहित किया, यही कारण है कि अजय धीरे-धीरे अपनी मंजिल की ओर बढ़ने लगे और वैश्विक मंच पर भारत के लिए पदक जीतकर परिवार का नाम रोशन किया। फिलहाल अजय भी रेलवे में कार्यरत हैं।

Abhay updhyay

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