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All India Muslim Personal Law Board ने अब कही गजब की बात
नई दिल्ली, संवाददाता। All India Muslim Personal Law Board ने समान नागरिक संहिता पर विधि आयोग के सुझाव मांगे जाने को लेकर अपनी तीखी प्रतिक्रिया दी है. बोर्ड ने कहा है कि भारत में इस तरह का कानून बनाने बेवजह देश के संसाधनों को बर्बाद करना है और यह समाज में वेवजह अराजकता का माहौल बनाएगा. मुस्लिम बोर्ड का कहना है कि इस समय यह कानून लाना अनावश्यक, अव्यहारिक और खतरनाक है.
मुस्लिम लॉ बोर्ड के प्रवक्ता डॉ. एसक्यू आर. इलियास ने एक प्रेस बयान में कहा कि हमारा देश एक बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहु-भाषाई समाज है और इसकी यही विविधता ही इसकी पहचान है लिहाजा इस पहचान से छेड़छाड़ नहीं की जानी चाहिए.
उन्होंने कहा, इसके अलावा संविधान के अनुच्छेद 371 (ए) और 371 (जी) उत्तर-पूर्वी देश के उन आदिवासियों को विशेष प्रावधानों की गारंटी देते हैं जोकि संसद को किसी भी कानून को लागू करने से रोकते हैं जो उनके पारिवारिक कानूनों की जगह लेता हो. उन्होंने दावा किया, अगर ऐसा कानून प्रकाश में आता है तो वह देश के अधिकारों के साथ छेड़छाड़ करेगा.
यूसीसी का विरोध करते हुए डॉ इलियास ने तर्क दिया कि मुस्लिम लॉ बोर्ड में बने कानून उनकी पवित्र किताब कुरान से लिए गए हैं और उसमें लिखी बातों को काटने और बदलने की इजाजत खुद मुसलमान को भी नहीं है तो फिर सरकार कैसे एक कानून के जरिए इसमें कथित तौर पर दखलंदाजी कर सकती है.