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नशा: शराब ने दे दी दिमागी बीमारी इसलिए पूछती है- नशे में कौन नहीं है...
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गोरखपुर: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में भर्ती, नशे की आदी महिला के दिमाग पर यह लत पूरी तरह से हावी हो चुकी है। वह, नशे में कौन नहीं हैं... जरूर कह रही है, लेकिन उसे पता ही नहीं है कि वह एक गंभीर दिमागी बीमारी की शिकार हो चुकी है। डॉक्टरों की मानें तो वह पॉली सब्सटेंस डिपेंडेंस सिंड्रोम की चपेट में है। यह बीमारी सिर्फ शराब की लत ही नहीं लगाती, बल्कि गांजा, भांग आदि की तलब को भी जगा देती है। इस सिंड्रोम का ही असर है कि महिला को किसी भी तरह के लोक-लाज या रिश्तों के बजाय सिर्फ नशा नजर आ रहा है।यही वजह है कि महिला के घरवाले भी परेशान हैं, लेकिन चूक उनकी निगरानी की भी है। यदि ऐसे मामलों से अपने बच्चों को बचाना चाहते हैं तो उन पर बचपन से निगरानी की जरुरत है। आज एकल परिवारों में तो ऐसे खतरे और ज्यादा हैं। बीआरडी मेडिकल कॉलेज के मनोचिकित्सा विभागाध्यक्ष डॉ. तपस कुमार अईच ने बताया कि पिछले 12 सालों में पहला ऐसा केस देखा है, जो इतनी खराब स्थिति में हैं।आम तौर पर पुरुषों में इस तरह के लक्षण तो मिल जाते हैं, लेकिन महिलाओं में ऐसी लत नहीं मिलती। इससे एक बात तो स्पष्ट है कि महिला शुरुआत में शराब का नशा नहीं करती रही होगी, उसने नशे के रूप में पहले गांजा या भांग से शुरुआत की होगी। क्योंकि, इसका नशा दिमाग पर अलग तरह से चढ़ता है और सेवन करने वाले को पूरी तरह से इसमें डूबो देता है।
इसके बाद धीरे-धीरे उसने शराब पीने की शुरुआत की। यही कारण है कि अब वह पॉली सब्सटेंस डिपेंडेंस सिंड्रोम का शिकार हो चुकी है। इस बीमारी में लत छूट नहीं पाती। इससे मुक्ति के लिए लंबे इलाज की जरूरत होती है, जो बिना परिवार के सहयोग के संभव नहीं है।
दिमाग को बूढ़ा कर चुका है सिंड्रोम
डॉ. तपस कुमार ने बताया कि महिला का दिमाग अब बूढ़ा हो चुका है। नशे के कारण उसके दिमाग की नस में एल्कोहल विथ डिलेरियम बीमारी भी हो चुकी है। इस बीमारी में दिमाग में कुछ भी सुनने और समझने की क्षमता खत्म हो जाती है। यह बीमारी, दिमाग के चारों तरफ की सुनने वाली इंद्रियों को ब्लॉक कर देती है। ऐसे में मरीज को केवल अपनी ही बात सही लगती है और वह जो सोचता है, उसे ही करने की जी-जान से कोशिश करता है। महिला के साथ भी स्थिति ऐसी हो चुकी है। अब उसे लंबे इलाज की जरूरत वह भी किसी बड़े सेंटर में, जहां पर उसकी सही से देखभाल हो सके।
ऐसा नहीं किया गया, तो जैसे ही उसे मौका मिलेगा, वह भागकर फिर किसी भी तरह का नशा कर लेगी। बचपन से हुई लापरवाही ही इसकी वजह है। यदि बच्चों को ऐसे मामलों से बचाना है तो उन पर पल-पल नजर रखना जरूरी है। उनकी हर गतिविधि को एक उम्र तक बहुत बारीक नजर और मार्गदर्शन की जरुरत होती है।
5.4 प्रतिशत बेटियां 15 की उम्र से कर रहीं तंबाकू का सेवन
जिले की 5.4 प्रतिशत बेटियां ऐसी हैं, जो 15 वर्ष की उम्र से तंबाकू का सेवन कर रही हैं। जबकि किशोरों का प्रतिशत 44.6 है। इसके अलावा 15 वर्ष की उम्र वाली दो प्रतिशत बेटियां ऐसी हैं, जो शराब का सेवन कर रही हैं। किशोरों की तुलना में यह काफी कम है। 18.9 प्रतिशत किशोर ऐसे हैं, जो 15 वर्ष की उम्र से शराब का सेवन शुरू कर दे रहे हैं। यह आंकड़े नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे पांच के हैं।
Trinath Mishra
Trinath Mishra is a senior journalist from Meerut and he has more than 11 years of Print and Digital Media Experience.