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150 वां आर्य समाज स्थापना दिवस सोल्लास सम्पन्न, स्वामी आर्य वेश बोले- पाखंड अंधविश्वास समाज के लिए चुनौती
गाजियाबाद। आर्य केन्द्रीय सभा गाजियाबाद ने 150 वां आर्य समाज स्थापना दिवस और नव सम्वत्सर 2081 के उपलक्ष्य में शम्भू दयाल दयानन्द वैदिक संन्यास आश्रम दयानन्द नगर में भव्य समारोह का बुधवार को आयोजन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ यज्ञब्रह्मा स्वामी सुर्यवेश ने यज्ञ कर किया। मुख्य यज्ञमान आंचल आर्य एवं गौरव सिंह आर्य रहे। मेरठ से पधारे सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक पंडित अजय आर्य के मधुर भजनों का सभी ने आनंद लिया। मुख्य अतिथि सुभाष गर्ग ने कहा कि आज नवसंवत्सर के प्रति लोगों में जागृति आई है जो सोशल मीडिया पर लोग एक-दूसरे को बधाई संदेश दे रहे हैं।
वैदिक विद्वान कृष्ण शास्त्री ने कहा कि महर्षि दयानन्द सरस्वती का संदेश घर घर पहुंचाने की आवश्कता है तभी एक आदर्श समाज की स्थापना हो सकती है। वैदिक विद्वान आचार्य संजय याज्ञिक ने कहा कि किसी भी देश का किसान खेत की मिट्टी तैयार करने पर ही बीज डालता है परिणाम फसल अच्छी होती है। इसी तरह मंच से बीज रूपी विचार दिए जाते हैं। श्रोता को सत्संग में जाने से पहले हृदय रूपी मन की जमीन को तैयार करना पड़ता है तभी प्रवचन का लाभ होता है।
वैदिक राष्ट्रवाद की चर्चा में उन्होंने कहा कि मानव जिस जलवायु, वातावरण में पैदा होता है,वहीं की जलवायु, वातावरण में उत्पन हुई खाद्य पदार्थ उसके अनुकूल पड़ती हैं। इसलिए हमें अपनी मूल संस्कृति,सभ्यता से जुड़ना चाहिए। आज सारी सृष्टि का जन्म दिवस है। प्रतिवर्ष पड़ने वाले जन्म दिवस रूपी पड़ाव पर विश्लेषण कीजिए। अच्छा बुरा जो किया जो कमी समझ में आती है, उसे पूरा करने का संकल्प दिवस भी है। प्रभु ने सृष्टि और पदार्थ मानव के लिए बनाए हैं, इन साधनों का कितना सदुपयोग किया है?दूसरों के अधिकारों के लिए लड़ना,उनकी रक्षा करना न्याय है।
मुख्य वक्ता स्वामी आर्य (प्रधान, सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा) ने कहा कि सम्राट विक्रमादित्य ने राष्ट्र को ऋणमुक्त किया,समृद्धि के उच्च शिखर पर ले गए वहीं से विक्रमी सम्वत शुरू किया गया। आज आर्य समाज का जन्म दिन और राम के राज्याभिषेक के दिवस को हम मना रहे हैं। प्रतिवर्ष हमारे संगठन में जो कार्यशेली हैं उसकी समीक्षा करें। जन्म दिन पर समीक्षा करने वाला व्यक्ति उन्नति करता है। आर्य समाज को यह श्रेय है कि जो सृष्टि 1,96,08,53,124 वर्ष पूर्व प्रारम्भ हुई। परमात्मा के दिए वेद ज्ञान को आर्य समाज मानता है। उस सनातन संस्कृति से बच्चों, युवाओं को परिचित कराने की आवश्यकता है। स्वामी दयानन्द सरस्वती ने पाखण्ड,अंधविश्वास, अवैदिक मान्यताओं को देखकर आर्य समाज की स्थापना की थी। आज और भी महत्वपूर्ण बातें हैं, जिन्हें लेकर कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि बढ़ता पाखंड अन्धविश्वास चुनौती है जिसे सबने मिलकर दूर करना है।
समारोह अध्यक्ष श्रद्धानंद शर्मा ने कहा कि आर्य समाजों के अधिकारियों को नई योजनाएं बनाकर नए जोश नई उमंग के साथ आगे बढ़ना चाहिए और अपने पुराने वैभवशाली गौरव को प्राप्त करना चाहिए। इस कार्यक्रम में आर्य नेता डॉ.आर के आर्य,प्रवीण आर्य,तेजपाल आर्य,गौरव सिंह आर्य,वेद व्यास,देवेन्द्र मेहता, त्रिलोक शास्त्री,सत्यकेतु एडवोकेट,सत्य पाल आर्य,डा प्रतिभा सिंघल,आशा आर्या और डा. प्रमोद सक्सेना आदि उपस्थित रहे।