पेड़ों की छांव तले फाउंडेशन के तत्वाधान में 10 वीं बाल मौलिक रचना लेखन एवं वाचन प्रतियोगिता 2024 सम्पन्न
गाजियाबाद। पेड़ों की छांव तले फाउंडेशन के तत्वाधान में पिछले वर्षों कि भांति उसकी 118 वीं गोष्ठी के अवसर पर “10 वीं बाल मौलिक रचना लेखन एवं वाचन प्रतियोगिता 2024” सम्पन्न हुई।
इस प्रतियोगिता की स्क्रीनिंग कई चरणों में वीडियो क्लिप और भौतिक लेखन द्वारा किया गया। दिए गए विषयों में मातापिता, राष्ट्र गौरव और मेरे प्रिय कवि पर अधिकतर बच्चों ने लेखन-वाचन किया। कक्षा चार से कक्षा आठ तक के 65 बच्चों ने प्रतियोगिता में हिस्सा लिया जिसमें कुल 24 बच्चों का चयन पुरस्कार हेतु किया गया।
मूल्यांकन का काम वरिष्ठ लेखिका बाल साहित्यकार डॉ आरती स्मित द्वारा किया गया। बाल साहित्यकार डॉ राकेश चक्र द्वारा पुरस्कार अर्पण किया गया। पुरस्कार प्राप्त बच्चों में प्रमुख रूप से अक्षरा, प्रतिज्ञा ठाकुर, शिवानी, दिनेश, मो फैजान, सानिया, पायल, शिवानी कुमारी, विद्या अहिरवार, आयुष, कियार आदि रहे। संयोजक वरिष्ठ कवि ने मंच का संचालन किया ।
इस अवसर पर साहित्य अकादेमी के वरिष्ठ अधिकारी एवं उप सचिव डॉ देवेन्द्र कुमार देवेश, कवि अशोक अरोरा, कम्पोजिट स्कूल की ओर से प्रिन्सपल पुष्प लता, रेखाराज तथा पूर्व प्रिन्सपल शादाब कमर की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही।
“कविता की पहली पंक्ति के आखिरी शब्द से जो स्वर उभर रहा यदि वही स्वर दूसरी पंक्ति से उभरना चाहिए ताकि पढ़ने में एक लय बने। इसी को तुकबंदी या तुक मिलाना कहते हैं। इसी अभ्यास से कवि अपने लेखन को आगे बढ़ाते हैं और बड़े लेखक या कवि के रूप में अपना नाम करते हैं। छोटी छोटी तुकबंदियों से कविता या गीत लेखन की शुरुआत सभी रचनाकार अपने आरंभिक दौर में करते हैं” यह कहना था वरिष्ठ साहित्यकार बृज किशोर वर्मा शैदी का जो आज पेड़ों की छांव तले फाउंडेशन के तत्वाधान में आयोजित दसवीं बाल मौलिक रचना लेखन एवं वाचन प्रतियोगिता 2024 की अध्यक्षता कर रहे थे।
कई बड़े पुरस्कारों से सम्मानित एवं सौ से ज्यादा बाल पुस्तकों को लिखने वाले वरिष्ठ बाल साहित्यकार डॉ राकेश चक्र ने मोबाइल शीर्षक से अपनी बाल कविता का पाठ किया तथा कविता के माध्यम से मोबाइल के दुरपयोग करने से बचने की सलाह बच्चों को दी। इसी क्रम में कवि डॉ ईश्वर सिंह तेवतिया ने पिता शीर्षक से अपनी कविता के माध्यम से पिता के त्याग स्नेह का गान करते हुए पिता को पृथ्वी का जीवित देवता बताया।
बच्चों के लिए मौलिक लेखन की कार्यशाला को कवयित्री शशि किरण द्वारा किया गया जिसमें बच्चों को मौलिकता क्या है और साहित्य क्या है इसकी बारीकियों को स्पष्ट करते हुए लेखन कार्य का अभ्यास कराया गया।