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उत्तर प्रदेश

100 लोग थे फंसे... किसी को छत तो किसी को खिड़की तोड़कर निकाला; ओटी में भयावह अग्निकांड की कहानी

SaumyaV
19 Dec 2023 8:51 AM GMT
100 लोग थे फंसे... किसी को छत तो किसी को खिड़की तोड़कर निकाला; ओटी में भयावह अग्निकांड की कहानी
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लखनऊ स्थित एसजीपीजीआई के ऑपरेशन थियेटर में आग लगने से दो मरीजों की मौत हो गई। सर्जरी के दौरान शिफ्ट करने में महिला और नवजात की जान चली गई। मॉनिटर में स्पार्किंग से आग लगी थी। डिप्टी सीएम ने जांच के आदेश दिए हैं।

लखनऊ स्थित संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में सोमवार दोपहर इंडोक्राइन सर्जरी के ऑपरेशन थियेटर (ओटी) में आग लग गई। इससे इंडोक्राइन सर्जरी के साथ ही बगल की ओटी में धुआं भर गया। इसे देखकर सर्जरी करा रही पीलीभीत की महिला व गाजीपुर के नवजात बच्चे को शिफ्ट किया जा रहा था कि दोनों ने दम तोड़ दिया। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने मामले के जांच के आदेश दिए हैं।

एसजीपीजीआई में सोमवार दोपहर 12:40 बजे इंडोक्राइन सर्जरी की ओटी में ऑपरेशन चल रहा था। उसी समय वहां लगे मॉनिटर में स्पार्किंग से आग लग गई। ओटी में धुआं भरने लगा तो पीलीभीत की तैयबा की सर्जरी बीच में रोककर दूसरी जगह शिफ्ट करने की कोशिश में उनकी मौत हो गई। बगल के सीवीटीएस ओटी में भी धुआं भरने लगा। वहां गाजीपुर निवासी नेहा के नवजात बच्चे की दिल की सर्जरी चल रही थी। उसे भी शिफ्ट करने का प्रयास किया गया, लेकिन उसकी भी मौत हो गई।

बाल-बाल बचा बच्चा

धुआं तेजी से पूरे ओटी कॉम्प्लेक्स में भरने लगा। उसी वक्त रोबोटिक सर्जरी की ओटी में भी एक बच्चे का ऑपरेशन चल रहा था। राहत की बात यह रही कि उसकी सर्जरी लगभग हो चुकी थी। इसलिए, उसे शिफ्ट करने में समस्या नहीं हुई।

हर तरफ धुआं, आननफानन शिफ्ट किए गए मरीज

आग लगने के बाद पूरे ओटी कॉम्प्लेक्स में धुआं भर गया। आननफानन मरीजों को शिफ्ट किया गया। कुछ पोस्ट ऑपरेटिव आईसीयू में भी थे। उन्हें पीएमएसवाई भवन स्थित आईसीयू में भेजा गया। कुछ मरीजों को सामान्य वार्ड में भेजा गया। तीमारदारों की भी हालत खराब हो गई।

100 लोग थे फंसे, खिड़की तोड़कर भी निकाले गए

सूचना पर पहुंचे फायर ब्रिगेड व पुलिस ने कर्मचारी की मदद से कॉम्प्लेक्स में फंसे करीब 100 लोगों को मुख्य द्वार और खिड़की तोड़कर बाहर निकाला। करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद हालत सामान्य हुए।

मरीजों को निकालने में कर्मचारियों ने लगाई जान की बाजी

मरीजों को बाहर निकालने में कर्मचारियों ने अपनी जान की बाजी लगा दी। हालत यह थी कि मरीजों को बाहर निकालते हुए उनके फेफड़ों में धुआं भर गया। नेबुलाइजर के माध्यम से धुआं निकालना पड़ा। इन कर्मचारियों में राजीव सक्सेना, चंद्रेश कश्यप, राहुल कुमार, अरुण और नवीन शामिल रहे। इसके बाद पहुंचे फायर ब्रिगेड के जुगल किशोर, मंगेश कुमार, मामचंद, संतोष त्रिपाठी, विशाल, आकाश और वीरेंद्र ने स्थिति सामान्य करने में पूरा जोर लगाया।

07 गाड़ियां, 55 दमकल कर्मी, दो घंटे में बुझाई आग

आग लगने की सूचना दोपहर 12:58 बजे फायर कंट्रोल रूम को मिली। चंद मिनट में सबसे पहले पीजीआई फायर स्टेशन से गाड़ी पहुंची। इसके बाद सरोजनीनगर, गोमतीनगर और हजरतगंज से एक के बाद एक सात गाड़ियां पहुंचीं। करीब 55 दमकलकर्मी करीब दो घंटे में आग पर काबू पा सके। धुआं इतना ज्यादा था कि उसमें दम घुट रहा था। कुछ दिखाई भी नहीं दे रहा था। ऑक्सीजन लगाकर दमकलकर्मियों ने पूरा रेस्क्यू ऑपरेशन किया।

सीएफओ मंगेश कुमार ने बताया कि धुआं निकालने के लिए शीशे तोड़े गए। फायर एग्जास्ट का इस्तेमाल किया गया, जिससे कम समय में बिल्डिंग से धुआं निकाला जा सका। शीशा तोड़ते वक्त एक दमकलकर्मी संजय के हाथ में चोट लग गई। बाकी किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा। आसानी से रेस्क्यू कर लिया गया। पुलिस कर्मी भी मौजूद रहे। वहां पर इधर उधर भाग रहे लोगों को पुलिसकर्मियों ने रोका, जिससे किसी तरह की पैनिक स्थिति न बने।

एनओसी नहीं

एफएसओ मामचंद ने बताया कि जिस बिल्डिंग में आग लगी थी वह काफी पुरानी है। तब फायर एनओसी की व्यवस्था नहीं थी, इसलिए एनओसी उपलब्ध नहीं है। अन्य बिल्डिंग की एनओसी है। एफएसओ ने बताया कि वहां मौजूद फायर फाइटिंग सिस्टम से भी आग पर काबू पाने में काफी मदद मिली। चूंकि भीतर काफी संकरा रास्ता था, इसलिए रेस्क्यू में थोड़ी दिक्कत हुई। गनीमत रही कि वक्त रहते आग पर काबू पा लिया गया। इससे बिल्डिंग के अन्य हिस्से को बचा लिया गया।

दम घुटने से मेरे बेटे की हुई मौत, एसजीपीजीआई ने कहा-बीमारी से हुई

एसजीपीजीआई में आग लगने की घटना के बाद क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में भर्ती सोनभद्र निवासी गौरव पांडेय (15) की भी मौत हो गई। गौरव के पिता संतोष कुमार पांडेय का आरोप है कि धुएं से दम घुटने से उनके बेटे की मौत हुई। वहीं संस्थान के निदेशक प्रो. आरके धीमन का कहना है कि गौरव 28 नवंबर से गंभीर हालत में भर्ती था। बीमारी के चलते उसकी मौत हुई है।

संतोष कुमार पांडेय के अनुसार आग के बाद वार्ड में धुआं भरने के बाद किसी को अंदर नहीं जाने दिया गया। कर्मचारियों ने बताया कि सभी मरीजों को शिफ्ट किया जा रहा है। कई घंटे बाद हम लोगों को बुलाकर बताया गया कि आपके बेटे ने सांस लेना बंद कर दिया है। उनका आरोप है कि दम घुटने से ही उनके बेटे की मौत हुई।

एक महीने के बच्चे की मौत पर छलका नाना का दर्द, कहा-अभी तो नाम भी नहीं रख पाए थे

हादसे में जान गंवाने वाले गाजीपुर निवासी नेहा के करीब एक महीने के बच्चे के नाना रामपूजन यादव ने बताया कि 11 दिसंबर को उसे भर्तीं किया गया था। बच्चे के दिल में छेद था। अभी उसका नाम भी नहीं रख पाए थे। रामपूजन के अनुसार सुबह 10 बजे के करीब उसे ऑपरेशन थियेटर लेकर गए थे। डॉक्टरों ने करीब छह घंटे ऑपरेशन चलने की बात कही थी। इसी दौरान यह घटना हो गई। चारों ओर धुआं भरा हुआ था। सब लोग भाग रहे थे। पता नहीं किसी को नन्ही जान का ख्याल भी रहा कि नहीं। कई घंटे बाद बताया गया कि बच्चे की मौत हो गई है।

मॉनिटर में स्पार्किंग से आग लगने का अपनी तरह का पहला मामला

ओटी जैसे संवेदनशील स्थान पर लगे मॉनिटर में स्पार्किंग से आग लगने से उपकरण आपूर्ति करने वाली एजेंसी भी सवालों के घेरे में आ गई है। यह अपने तरीके का पहला मामला है जिसमें किसी ओटी में लगे मॉनिटर से इतनी बड़ी घटना हुई है।

सामान्य रूप से इलेक्ट्रिकल उपकरणों को बेहद सावधानी के साथ बनाया जाता है। उनमें सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन करना होता है। बात जब ओटी से संबंधित हो, तो सतर्कता का स्तर और भी बढ़ जाता है। सवाल उठ रहा है कि आखिर मॉनिटर में स्पार्किंग क्यों हुई? जानकारों का कहना है कि सामान्य तौर पर ऐसे उपकरणों में स्पार्किंग हो भी जाए तो इतनी भयंकर आग नहीं लगती। एसजीपीजीआई की ओर से गठित जांच समिति इसको लेकर भी अपनी पड़ताल करेगी।

बेहद दुखद घटना

घटना बेहद दुखद है। प्रारंभिक जांच में मॉनिटर में स्पार्किंग से आग लगने की बात सामने आई है। लोगों को बचाने का पूरा प्रयास किया गया। दुर्भाग्य से महिला व नवजात की सर्जरी के दौरान शिफ्ट करते समय मौत हो गई। घटना की जांच के आदेश दे दिए गए हैं।

- प्रो. आरके धीमन, निदेशक, एसजीपीजीआई

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