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जेलों में जाति के आधार पर काम नहीं दिया जाएगा, ऐसा करना अनुच्छेद 15 का उल्लंघन, जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला
नई दिल्ली। जेलों में जाति-आधारित भेदभाव को रोकने की मांग करने वाली जनहित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने आज यानी गुरुवार को अपना फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को जेल मैनुअल प्रावधानों को संशोधित करने का निर्देश दिया है। साथ ही जो जेल में जातिगत भेदभाव को कायम रखते हैं, मैनुअल में आदतन अपराधियों के संदर्भों को असंवैधानिक घोषित किया जाता है, दोषी या विचाराधीन कैदियों के रजिस्ट्रार में जाति कॉलम को हटा दिया जाएगा। इस फैसले के अनुपालन की रिपोर्ट पेश करने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मैनुअल निचली जाति को सफाई और झाड़ू लगाने का काम और उच्च जाति को खाना पकाने का काम सौंपकर सीधे भेदभाव करता है और यह अनुच्छेद 15 का उल्लंघन है। कोर्ट ने आगे कहा कि इस तरह की प्रथाओं से जेलों में श्रम का अनुचित विभाजन होता है और जाति आदि के आधार पर श्रम आवंटन की अनुमति नहीं दी जा सकती।