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आज ये फोटो सोशल मीडिया पर क्यों वायरल है? माजिद कावौसिफ़र फ़ाँसी लगते वक़्त अपनी बेटी की तरफ हाथ हिलाकर क्यों मुस्करा रहा है? क्या है वो घटना ? ईरान के राष्ट्रपति से क्या संबंध है ?

सम्पादक
20 May 2024 3:17 PM IST
आज ये फोटो सोशल मीडिया पर क्यों वायरल है?   माजिद कावौसिफ़र फ़ाँसी लगते वक़्त अपनी बेटी की तरफ हाथ हिलाकर  क्यों मुस्करा रहा है? क्या है वो घटना ? ईरान के राष्ट्रपति से क्या संबंध है ?
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ईरान: ये फोटो आज सोशल मीडिया में बहुत वायरल हो रहा है जिसमें ये बताया जा रहा है कि जब ईरान के राष्ट्रपति ने अपने खिलाफ सोशल मीडिया पर लिखने के आरोप में एक शख्स को मौत की सजा दिया दी, उस शख्स को जब क्रेन से फांसी पर लटकाया जा रहा था तब उसकी 5 साल की बेटी कैसे अपने पिता को देख रही थी और अपनी बेटी को उदास देख उसका पिता अंतिम पलो में भी अपनी बेटी को हंस कर खुश करने की कोशिश कर रहा था।

उस पोस्ट में आगे लिख है सोचिए पिता को मालूम था कि वह मरने जा रहा है फिर भी वह अपनी बेटी को हंस कर, खिलखिला कर उसके चेहरे की उदासी खत्म करना चाहता था।

घटना का सच:-

ये फोटो माजिद कावौसिफ़र की है जब उसे फ़ाँसी दी जा रही थी। ये एक ईरानी था, जिसे अपने भतीजे होसैन कावौसिफ़र के साथ न्यायाधीश मसूद अहमदी मोघद्दसी की हत्या का दोषी ठहराया गया था। माजिद और होसैन कावौसिफ़र दोनों को अगस्त 2007 में तेहरान में सार्वजनिक रूप से फाँसी पर लटका दिया गया था, ये उसी समय का फोटो है।

मसूद अहमदी मोगद्दसी ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी कोर्ट के कई न्यायाधीशों में से एक थे, जिन्होंने 1988 में ईरानी राजनीतिक कैदियों की फांसी के दौरान सामूहिक रूप से 2800 से 3800 से अधिक राजनीतिक कैदियों को फांसी की सजा सुनाई थी। फाँसी को बड़े पैमाने पर राजनीतिक शुद्धिकरण माना जाता था और फाँसी से पहले ऑपरेशन मेर्सड किया गया था। न्यायाधीश मोगद्दसी ने अकबर गंजी जैसे ईरानी राजनीतिक असंतुष्टों के मुकदमे की भी अध्यक्षता की।

2 अगस्त 2005 को जब न्यायाधीश मोघद्दसी तेहरान में एक अदालत भवन से बाहर निकल रहे थे, मोटरसाइकिल पर सवार एक हमलावर ने न्यायाधीश को पिस्तौल से दो बार गोली मारी, जिससे उनकी मौत हो गई। बाद में उस हमलावर की पहचान माजिद कावौसी के रूप में हुई।

जज की हत्या के बाद माजिद यूएई भाग गया और वहॉं जाकर अमरिका के दूतावास में जाकर राजनीतिक शरण माँगी परंतु दूतावास ने उसे संयुक्त अरब अमीरात की पुलिस के हवाले कर दिया जहाँ से उसे तेहरान प्रत्यर्पित कर दिया गया।

ईरान की खुफिया एजेंसी ने माजिद से पूछताछ की तो उसने जज की हत्या की बात मान ली, उसने बताया कि जज ने उसे गलत तरीके से एक झूठे मामले में उसे कोड़े मारने की सजा दी थी इस कारण उसने प्रतिशोध बस उसकी हत्या की।

14.मार्च 2007 को कोर्ट ने माजिद और उसके भतीजे हुसैन को मौत की सजा सुनाई।

2 अगस्त 2007 को जब माजिद के गले में क्रेन से लटकी रस्सी डाली गई तो उन्होंने देखा कि उनका भतीजा हुसैन अपनी फ़ाँसी की बारी की प्रतीक्षा में बेहद डरा हुआ है तो उसे भयमुक्त करने के लिए माजिद मुस्कुराये। ये उसी समय का फोटो है। दोनों को फ़ाँसी देने के बाद उनके शवों को एम्बुलेंस मे रख कर भेजा गया।

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