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राम मंदिर में क्यों हो रही है प्रायश्चित पूजा? जानें प्राण प्रतिष्ठा के लिए ये पूजन क्यों है जरूरी

Divya Dubey
16 Jan 2024 12:09 PM IST
राम मंदिर में क्यों हो रही है प्रायश्चित पूजा? जानें प्राण प्रतिष्ठा के लिए ये पूजन क्यों है जरूरी
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राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व की जाने वाली इस पूजा का नाम प्रायश्चित पूजा है। इस प्रायश्चित पूजा को 121 ब्राह्मण सम्पन्न कराएंगे। इस प्रायश्चित पूजन से ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआत मानी जाएगी।

अयोध्या के राम मंदिर में मंगलवार 16 जनवरी से प्राण प्रतिष्ठा का अनुष्ठान आरंभ हो चुका है। यह पूजा प्रातः 9:30 बजे से शुरू हो चुकी है और करीब 5 घंटे तक ये पूजा चलेगी। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व की जाने वाली इस पूजा का नाम प्रायश्चित पूजा है। इस प्रायश्चित पूजा को 121 ब्राह्मण सम्पन्न कराएंगे। इस प्रायश्चित पूजन से ही रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की शुरुआत मानी जाएगी। आइए जानते हैं क्या है ये प्रायश्चित पूजा और क्या है इससे जुड़े नियम।

क्या है प्रायश्चित पूजा?

रामलला के प्राण प्रतिष्ठा से पूर्व की जाने वाली प्रायश्चित पूजा पूजन की वह विधि है, जिसमें शारीरिक, आंतरिक, मानसिक और बाह्य इन तीनों तरीके का प्रायश्चित किया जाता है। बाह्य प्रायश्चित के लिए यजमान को 10 विधि स्नान करना होता हैं। इस स्नान में पंच द्रव्य और कई अन्य सामग्रियां सम्मिलित होती हैं। इसके साथ ही गोदान प्रायश्चित भी होता है जिसका संकल्प लिया जाता है। इसमें यजमान गोदान के माध्यम से प्रायश्चित करता है। इसमें कुछ द्रव्य दान से भी प्रायश्चित किया जाता है, इस दान में स्वर्ण दान भी शामिल है।

कौन करता है प्रायश्चित पूजा

प्रायश्चित पूजा यजमान द्वारा की जाती है। इसे सामान्य पंडित नहीं करते हैं। इस पूजन के पीछे की मूलभावना यह है कि जाने अनजाने में जीतने भी तरीके के पाप हुए हैं उनका प्रायश्चित किया जाए। यह एक प्रकार का शुद्धिकरण होता है जो किसी भी प्रकार की गलतियों की क्षमा मांगने के लिए प्रायश्चित के रूप में किया जाता है।

प्रायश्चित पूजन के साथ ही होगा कर्मकुटी पूजन

प्रायश्चित पूजन के समाप्त होने के बाद कर्मकुटी पूजन भी किया जाएगा। इस पूजन का मतलब यज्ञशाला पूजन है। यज्ञशाला आरंभ होने से पहले हवं कुंड का पूजान किया जाता है। इसमें छोटा सा विष्णु जी का पूजान होता है और इसके बाद ही मंदिर में अंदर प्रवेश मिलता है। मंदिर के हर क्षेत्र में प्रवेश प्राप्ति के लिए पूजन होता है और इसके बाद ही बाकी पूजा पद्धति आरंभ होती हैं।

पूजा में लगेगा कितना समय

प्रायश्चित पूजन में कम से कम डेढ़ से दो घंटे लग सकते हैं और इतना ही समय विष्णु पूजन में लगेगा। प्रायश्चित पूजा सुबह 9:30 बजे शुरू हो गई है और लगभग 5 घंटे तक यह पूजा अर्चना होगी। इस पूजा-अर्चना को पूरे विधि-विधान से 121 ब्राह्मण कर रहे हैं।

Divya Dubey

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