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लोकसभा में क्यो रखते है अविश्वास प्रस्ताव कब कब गिरी है सरकारें
मणिपुर हिंसा (Manipur) को लेकर संसद के मॉनसून सत्र (Parliament Monsoon Session) में विपक्ष जमकर मोदी सरकार (Modi Govt.) को घेरने की तैयारी में है। इस के लिए विपक्ष ने लोकसभा (Lok sabha) में मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion) पेश किया है।
इसके लिए कांग्रेस (Congress) और बाकी विपक्षी दलों के साथ बातचीत कर यह प्रस्ताव रखा है । पर यह पहली बार नहीं है जब संसद में किसी पार्टी के खिलाफ या सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया गया । अब तक संसद में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव लाया जा चुका है । मोदी सरकार (Modi Govt.) के खिलाफ 18 जुलाई में 2018 को अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion) लाया गया था। संसद में 11 घंटे तक बहस चली और जैसा कि सबको पता है नंबर गेम में बीजेपी सारे विपक्ष पर भारी पड़ी और बड़े आसानी से जीती थी।
अविश्वास प्रस्ताव क्या है इतिहास
लोकसभा (lok sabha)में विपक्ष को लगता है कि मौजूदा सरकार के पास बहुमत नहीं है या फिर सरकार सदन में विश्वास खो चुकी है तो वह अविश्वास प्रस्ताव लाता है । संविधान के आर्टिकल 75 अविश्वास प्रस्ताव (No confidence motion) का उल्लेख किया गया है। जिसके अनुसार केंद्रीय मंत्रिपरिषद लोकसभा के प्रति जवाबदेह हैं और अगर सदन में अपना बहुमत साबित नहीं कर पाते तो प्रधानमंत्री समेत पूरे मंत्रिमंडल को अपना इस्तीफा देना होता है । लोकसभा के कानूनी नियमों में अविश्वास प्रस्ताव की काफी अहमियत है।यह प्रस्ताव केवल एक लाइन का होता है जिसमें लिखा होता है कि यह सदन मंत्रिपरिषद में अविश्वास व्यक्त करता है।
जिसके बाद मौजूदा सरकार को अपना बहुमत सिद्ध करना होता है । पर इसके लिए कुछ खास नियम भी है । पहला नियम कहता है कि जो सदस्य अविश्वास लाना चाहता है वह स्पीकर के बुलावे पर सदन में अनुमति मांगे जिसके बाद सदस्य को प्रस्ताव की लिखित सूचना सुबह 10 बजे तक लोकसभा सेक्रेटरी को दे देनी होती है। अविश्वास प्रस्ताव के पक्ष में कम से कम 50 सदस्यों का समर्थन होना जरूरी है वरना स्पीकर इसकी अनुमति नहीं देते । इन सब के बाद जब स्पीकर की अनुमति मिल जाए तब इस मामले में चर्चा की जाती है। यह चर्चा एक या 2 दिन की होती है ।अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के आखिरी दिन पकर वोटिंग कर आते हैं और फैसला सुना देते हैं।
बता दें कि जब वोटिंग होती है तब केवल लोकसभा के सांसद ही वोटिंग कर सकते हैं ।राज्यसभा के सांसदों को वोटिंग की इजाजत नहीं होती है। हां पर सरकार अपने सांसदों को व्हिप जरूर जारी कर सकती है। अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग करते समय अगर आधे से एक भी ज्यादा ज्यादा वोट सरकार के खिलाफ गिरा तो पूरी सरकार गिर सकती है। अब तक लोकसभा में 27 बार अविश्वास प्रस्ताव रखा गया । पिछली बार 2018 जुलाई में भी प्रस्ताव रखा गया था। जो पूरी तरह फेल हो गया। तब मोदी सरकार के खिलाफ केवल 126 वोट पड़े थे।
जबकि उनके समर्थन में 325 सांसदों ने वोट किया था। लोकसभा में पहली बार 1963 में अविश्वास प्रस्ताव रखा गया था। तब समाजवादी पार्टी के नेता आचार्य कृपलानी ने तब के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव रखा था। तब 347 वोट के साथ जवाहरलाल नेहरू प्रस्ताव जीत गए थे और उनकी सरकार बरकरार रही थी।
सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव
लोकसभा में अब तक सबसे ज्यादा अविश्वास प्रस्ताव का सामना इंदिरा गांधी सरकार ने किया । उनके सरकार के खिलाफ कुल 15 बार अविश्वास प्रस्ताव लाए गए थे ।वही लाल बहादुर शास्त्री और नरसिंह राव तीन तीन बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा था। अटल बिहारी वाजपेई को भी दो बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा ।इसके अलावा राजीव गांधी, वी पी सिंह, चौधरी चरण सिंह, मनमोहन सिंह और नरेंद्र मोदी सरकार को एक बार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा।इस प्रस्ताव के कारण कई बार सरकारी गिरी भी है ऐसा 3 बार हुआ जब अविश्वास प्रस्ताव के कारण सरकार गिरी।
पहली बार 1990 में हुआ जब वीपी सिंह की सरकार थी। दूसरी बार 1997 में एच डी देवगौड़ा और तीसरी बार 1999 में अटल बिहारी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पास हुआ था।बात करते है इस समय की तो मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आना विपक्ष को कोई बहुत फायदा दिलाने वाला नहीं रहेगा। फिलहाल लोकसभा में मोदी सरकार के पास बेहद मजबूत समर्थन है । लोकसभा में बीजेपी के पास 301 और पूरे एनडीए के पास 333 सांसद है। वही पूरे विपक्ष के पास कुल मिलाकर 142 लोकसभा सदस्य हैं। जिनमें सबसे ज्यादा कांग्रेस के पास यही 50 । बीजेपी के कुछ सांसद बीमार है इसलिए कुछ नंबर ऊपर नीचे हो भी जाए तब भी मोदी सरकार बड़े आसानी से अविश्वास प्रस्ताव जीत सकते हैं । इसलिए विपक्ष द्वारा रखा गया यह प्रस्ताव केवल संसद की कार्यवाही को लटकाने की कोशिश मात्र है।