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क्या होगा संसद के मॉनसून सत्र का नहीं हो पा कोई चर्चा
संसद के मॉनसून सत्र (Monsoon session) के चौथे दिन भी लोकसभा (Lok Sabha) शुरू होते ही 2 बजे तक के लिए स्थगित हो गई । इससे पहले कांग्रेस (Congress) और आम आदमी पार्टी (AAP) ने मणिपुर (Manipur) पर चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव दिया था। विपक्षी पार्टियों का गठबंधन इंडिया (INDIA) ने भी बैठक की जिसमें उन्होंने मोदी सरकार (Modi Govt.) के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने पर चर्चा की। कल यानी सोमवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) की कार्रवाई के दौरान आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह (Sanjay Singh) को मणिपुर पर चर्चा और प्रधानमंत्री (PM) के बयान पर आवाज उठाई थी जिसके लिए वे सीधे उपसभापति के वेल में पहुंच गए थे।
जिसके बाद उन्हें पूरे सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया था।यह तो सिर्फ ट्रेलर था पूरी फिल्म बाकी थी। यह होने के बाद विपक्ष के सभी सांसदों ने यह फैसला लिया कि वे संसद में गांधी प्रतिमा के पास पूरी रात धरना देंगे और हुआ भी वही कल पूरी रात सभी विपक्ष के सांसद गांधी प्रतिमा के पास धरने पर बैठे रहे और आज फिर से उन्होंने मणिपुर पर चर्चा की मांग की।आज लोकसभा में कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी और गौरव हो गई मणिपुर के हालातों पर चर्चा की मांग के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया। वहीं राज्यसभा में राजीव शुक्ला, इमरान प्रतापगढ़ी समेत कई सांसदों ने मणिपुर मामले में चर्चा के लिए सगन प्रस्ताव जारी किया।पिछले 4 दिनों से जिस तरह से संसद की कार्यवाही रुकी हुई है यह देखते हुए भाजपा ने भी संसदीय दलों की बैठक बुलाई जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पहुंचे। मणिपुर मामले में पक्ष और विपक्ष दोनों ही चर्चा चाहते हैं पर बस 2 नियमों के तहत यह चर्चा अटकी हुई है।
विपक्ष जहां 267 के तहत लंबी चर्चा चाहते हैं वहीं सत्तारूढ़ दल 176 के तहत छोटी चर्चा करने के लिए तैयार है । 267 यह नियम 1990 के बाद लागू हुआ है तब से अब तक इस नियम के तहत 11 बार चर्चा हुई है । इसमें नोटबंदी, कोयला घोटाला और धर्मनिरपेक्षता के मुद्दे शामिल है। केंद्र सरकार 17 बैठकों वाले इस मानसून सत्र में 31 दिन लाने की तैयारी में इसमें 21 नए बिल है और 10 पहले से किसी ना किसी सदन में पेश हो चुके हैं । अब बस उन पर चर्चा होनी बाकी है । पर जिस हालातों में संसद का मॉनसून सत्र चल रहा है। उसे देखते हुए कहना मुश्किल होगा कि इस बार किसी भी तरह से संसद का कामकाज हो पाएगा । दोनों ही पक्ष अपनी अपनी बात पर अडिग है। और कोई दूसरे की बात समझने को और सुनने को तैयार नहीं ऐसे में देखना होगा कि आखिर इस सत्र का क्या परिणाम होता है।