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सपा से गठबंधन को गर्त में और परिवार को शीर्ष पर रखने की सोनिया ने कैसी चली चाल ?
नई दिल्ली। 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अमेठी लोकसभा की पांचों सीटों पर बेहतर प्रदर्शन किया था। सपा ने तीन सीट जीती थी और अमेठी विधानसभा में तो शानदार जीत हासिल किया था। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी महाराज जी प्रजापति ने 18 096 वोट से बीजेपी के डॉ संजय सिंह को हराया था। कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही थी और आशीष शुक्ला को मात्र 14080 वोट मिले थे। सवाल है कि इसके बावजूद सोनिया ने यह सीट समाजवादी पार्टी को क्यों नहीं दी। उन्होंने अपना प्रत्याशी किशोरी लाल शर्मा को बनाया जो पिछले कई चुनाव में कांग्रेस के लिए चुनाव प्रबंधन का काम देखते आए हैं।
अगर शर्मा को टिकट देने के कारणों के तह में जाएंगे तो इसके पीछे सोनिया का परिवारवाद का मोह ही दिखेगा। राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि सोनिया अपने परिवार के लिए बहुत दूर तक का सोच रखती हैं। सोनिया को लग रहा है कि 2019 की लोकसभा चुनाव में वह रायबरेली से 17 प्रतिशत मतों से जीती थीं। शायद इस मत प्रतिशत को वह अभी बरकरार देख रही हैं। कहीं अगर राहुल रायबरेली सीट और वायनाड जीत गए तो राहुल रायबरेली की सीट छोड़ देंगे। यहां से उपचुनाव में प्रियंका गांधी को उतार दिया जाएगा। इस तरह से राहुल और प्रियंका दोनों संसद में पहुंच जाएंगे। खैर भविष्य में सोनिया का ख्याली प्लाव पकेगा या नहीं, यह तो वक्त ही बताएगा। बाकी उन्होंने किशोरी लाल शर्मा को इसलिए अपना प्रत्याशी बनाया ताकि अमेठी सीट से अगर जीत गए तो इस पर कब्जा गांधी परिवार का ही रहेगा। इस कब्जे के चक्कर में अखिलेश यादव को हासिये कर रख दिया गया। सोनिया भक्ति में अखिलेश ने हासिये पर जाना स्वीकार कर लिया क्योंकि गांधी के परिवारवाद मोह के सामने उनकी एक न चली, यह अखिलेश की कमजोरी को दर्शाता है।
सोनिया को रायबरेली सीट भी सपा को दे देनी चाहिए थी क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में रायबरेली लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत पांच विधानसभा क्षेत्र में सपा को सबसे अधिक 4 लाख वोट मिले थे जबकि पांच में से चार सीट पर कांग्रेस की जमानत जप्त हो गई थी लेकिन सोनिया ने गठबंधन की जीत से ज्यादा तवज्जो परिवारवाद के मोह को दिया।
इतना तक भी सोनिया ने नहीं देखा
पिछले चार विधानसभा चुनाव में अमेठी में कांग्रेस का मत प्रतिशत गौरतलब है। 2007 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का मत प्रतिशत 34% घट गया था और धीरे-धीरे घटता ही गया था। 2012 में 29% 2017 में 24% और 2022 में 14% मत प्रतिशत घट गया था। वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में अमेठी की पांचों सीटों पर समाजवादी पार्टी ने बेहतर मत प्रतिशत लाया था लेकिन परिवारवाद के चक्कर में सोनिया ने इन मत प्रतिशत को दरकिनार कर दिया।
सबसे कम मुस्लिम फिर भी मुस्लिम से ही उम्मीद
अमेठी लोकसभा क्षेत्र में ओबीसी 34 फ़ीसदी, दलित 26 फीसदी, राजपूत 12 फीसदी, ब्राह्मण 8 फ़ीसदी और सबसे कम मुसलमान 3. 5 फीस यानी 17 लाख है। इंडिया गठबंधन अपना पक्का वोट मुस्लिम को मानता है लेकिन इतने कम मुस्लिम मतों से क्या होगा।