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इस बार का लोकसभा चुनाव एतिहासिक; आयोग नेताओं पर सबसे ज्यादा सख्त और मतदाताओं के लिए सबसे ज्यादा सहूलियत

Suman Kaushik
16 March 2024 6:41 PM IST
इस बार का लोकसभा चुनाव एतिहासिक; आयोग नेताओं पर सबसे ज्यादा सख्त और मतदाताओं के लिए सबसे ज्यादा सहूलियत
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मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि हमने राजनीतिक दलों से कहा है कि वे चुनाव आयोग की गाइडलाइन को अपने स्टार कैम्पेनर के संज्ञान में लाएं। पिछली बार नैतिक सेंसर था, लेकिन अब हम अतीत भी देखेंगे। अगर किसी ने नफरत भरे भाषण दिए, निजी जिंदगी से जुड़े पहलुओं पर गलत बयान दिए, धार्मिक नफरत फैलाने की बात कही तो कार्रवाई होगी।

चुनाव आयोग ने शनिवार को लोकसभा और राज्य विधानसभा के चुनावों की तारीखों की घोषणा की। आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए इसका एलान किया। इस दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने चुनावी प्रक्रिया को विस्तार से समझाया और आयोग की पूरी योजना बताई। चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद एक बात तो साफ हो गई है कि आयोग पूरी प्रक्रिया को शांतिपूर्ण और निष्पक्ष कराने के लिए पूरी तैयार कर चुका है। इतना ही नहीं, इस बार निर्वाचन आयोग नेताओं पर सबसे ज्यादा सख्त रहेगा और मतदाताओं को सबसे ज्यादा सहूलियत दी जाएगी। आइए पढ़ते हैं विस्तार से...

2024 दुनिया के लिए भी चुनावों का साल

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि यह हम लोगों के लिए ऐतिहासिक क्षण है। 2024 दुनिया के लिए भी चुनावों का साल है। दुनिया के सबसे बड़े और सबसे जीवंत लोकतंत्र के रूप में भारत पर सभी का ध्यान केंद्रित रहता है। लोकतंत्र के रंग यहां उभरते हैं और सभी हिस्सों का इसमें समावेश होता है। हमारा वादा है कि हम चुनाव इस तरह कराएंगे जो देश की चमक को बढ़ाएगा। 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून को खत्म हो रहा है। जम्मू-कश्मीर में भी विधानसभा चुनाव होना बाकी हैं।

अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया से ज्यादा मतदाता

राजीव कुमार ने कहा कि भौगोलिक, सांस्कृतिक रूप से विविध इस देश के सबसे बड़े चुनाव के लिए हमने दो वर्ष तक तैयारी की है। हमारे पास 97 करोड़ मतदाता हैं। यह संख्या अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया के कुल मतदाताओं से कहीं ज्यादा है। हमारे पास 10.5 लाख मतदान केंद्र हैं, जिनकी जिम्मेदारी डेढ़ करोड़ लोगों के पास होती है। 55 लाख ईवीएम हैं। चुनाव आयोग अब तक 17 आम चुनाव और 400 से ज्यादा विधानसभा चुनाव करा चुका है। पिछले 11 चुनाव शांतिपूर्ण रहे हैं। अदालती मुकदमे कम हुए हैं।

मतदाता सूची की प्रक्रिया में राजनीतिक दलों को शामिल किया गया

उन्होंने कहा कि राजनीतिक दलों को मतदाता सूची तैयार करने की प्रक्रिया में शामिल किया गया है ताकि बाद में कोई यह नहीं कहे कि हमें नहीं बताया गया। जिलाधिकारियों ने हर जिले में राजनीतिक दलों के साथ बैठकें की हैं। उनकी आपत्तियों का निराकरण किया गया है।

नए मतदाताओं में 85 लाख महिलाएं, 1 अप्रैल से 13.4 लाख नए मतदाता जुड़ेंगे

उन्होंने कहा कि महिला मतदाताओं को जोड़ने में भी हमने मेहनत की है। देश के 12 राज्य ऐसे हैं, जहां महिला वोटरों की संख्या पुरुष मतदाताओं से ज्यादा हो गई है। इस बार 18 से 19 वर्ष के 1.8 करोड़ मतदाताओं में 85 लाख तो महिला मतदाता हैं। 17 से ज्यादा उम्र के 13.4 लाख नए मतदाताओं की अग्रिम अर्जियां हमारे पास आ चुकी हैं। ये ऐसे वोटर होंगे, जो 1 अप्रैल को 18 साल की उम्र पूरी कर लेंगे।

नेताओं का बाहुबल-धनबल काम नहीं आएगा

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि चुनाव में हिंसा कोई स्थान नहीं होना चाहिए। इस बार नया प्रयोग किया जा रहा है। जो भी हमें सख्ती से करना होगा, हम करेंगे। हर जिले में एक कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है। वहां टीवी, सोशल मीडिया, वेब कास्टिंग, 1950 हेल्पलाइन और शिकायत पोर्टल होगा। इस पर निगरानी के लिए हर जिले के ऐसे कंट्रोल रूम में एक अधिकारी नियुक्त किया जाएगा। जहां भी शिकायत मिलेगी, वहां सख्त कार्रवाई होगी। जिन लोगों के पास गैर जमानती वॉरंट हैं और जो हिस्ट्रीशीटर्स हैं, उन पर देशभर में कार्रवाई की जा रही है। जो लोग तीन साल से किसी एक जिले में पदस्थ हैं, उन्हें बदलने को कहा गया है। जहां भी वॉलंटियर और अनुबंध पर लोग काम कर रहे हैं, उन्हें चुनाव ड्यूटी में नहीं लगाया जाएगा। कुछ राज्यों में धन का उपयोग ज्यादा है। हम इससे भी निपट रहे हैं। पिछले 11 चुनाव में 3,400 करोड़ रुपये की नकदी के गैरकानूनी इस्तेमाल को रोका गया है। 2017-18 के मुकाबले 2022-23 में ऐसे धन की जब्ती में 835 फीसदी का इजाफा हुआ है। शराब, कैश, कुकर, साड़ी बांटने जैसे तरीकों को रोकने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। बैंक भी यह देखेंगे कि कहीं अचानक से नकदी की मांग में इजाफा तो नहीं हो रहा। हर बंदरगाहों, हवाई अड्डों, रेलवे स्टेशनों, सड़क मार्ग पर सख्त निगरानी होगी। जहां हेलीकॉप्टर या चार्टर्ड उड़ानें उतरेंगी, वहां सामान की जांच होगी।

'झूठ के बाजार में रौनक बहुत होती है'

राजीव कुमार ने कहा कि चुनाव आयोग समेत किसी की भी आलोचना करने की पूर्ण स्वतंत्रता है, लेकिन फेक न्यूज, अफवाहें फैलाने की आजादी नहीं है। हर राज्य के अधिकारियों को अधिकार दिया गया है ताकि वे आपत्तिजनक बयानों से जुड़ी पोस्ट हटाने को कह सकें। अगर कोई झूठा नरैटिव फैला रहा है तो हम उसका पुरजोर मुकाबला करेंगे। चुनाव आयोग की वेबसाइट पर झूठ बनाम हकीकत नाम से शृंखला शुरू की जाएगी। मतदाताओं से भी अनुरोध है कि सोशल मीडिया पर जो भी आए, उसे आंख बंदकर आगे न बढ़ाएं। झूठ के बाजार में रौनक बहुत होती है।

नफरत भरे भाषणों पर भी इस बार सख्ती होगी

मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि हमने राजनीतिक दलों से कहा है कि वे चुनाव आयोग की गाइडलाइन को अपने स्टार कैम्पेनर के संज्ञान में लाएं। पिछली बार नैतिक सेंसर था, लेकिन अब हम अतीत भी देखेंगे। अगर किसी ने नफरत भरे भाषण दिए, निजी जिंदगी से जुड़े पहलुओं पर गलत बयान दिए, धार्मिक नफरत फैलाने की बात कही तो कार्रवाई होगी। प्रचार अभियान के दौरान लक्ष्मण रेखा को पार न करें। डिजिटल के जमाने में जो भी आपके मुंह से निकलेगा, उसका रिकॉर्ड सौ साल तक रहेगा। लड़ाई-झगड़े में प्रेम का धागा टूट जाता है तो बड़ी मुश्किल होती है। हमने 537 अपंजीकृत राजनीतिक दलों को अधिकृत सूची से बाहर किया है। राजनीतिक दलों के हर खातों की जानकारी डिजिटल रूप में चुनाव आयोग को भेजनी होगी। इस बार चुनाव प्रचार में बच्चों का इस्तेमाल नहीं कर सकेंगे। हम 2,100 पर्यवेक्षकों की तैनाती कर रहे हैं। वे जिला निर्वाचन अधिकारियों की निष्पक्षता पर नजर रखेंगे। सुरक्षा बलों की तैनाती सही तरीके से हो रही है या नहीं, इस पर भी नजर रखी जाएगी। हमारा लक्ष्य है कि कहीं भी पुनर्मतदान की जरूरत न पड़े, कहीं हिंसा न हो, कहीं बदमिजाजी न हो, फेक न्यूज न फैले।

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