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AI के कारण हो सकती है बिजली संकट, ChatGPT हर घंटे खपत कर रहा 17,000 घरों के बराबर बिजली

Sanjiv Kumar
12 March 2024 11:50 AM IST
AI के कारण हो सकती है बिजली संकट, ChatGPT हर घंटे खपत कर रहा 17,000 घरों के बराबर बिजली
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल दुनिया के कई देशों में हर रोज हो रहा है। आप में से भी कई लोग एआई टूल जैसे ChatGPT का इस्तेमाल कर रहे होंगे, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये एआई टूल किसी दिन पूरी दुनिया में बिजली संकट की वजह बन सकते हैं।

दुनिया के कई देशों में बिजली की संकट है और गर्मियों के मौसम में यह संकट काफी बढ़ जाती है। भारत में भी बिजली को लेकर कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल दुनिया के कई देशों में हर रोज हो रहा है। आप में से भी कई लोग एआई टूल जैसे ChatGPT का इस्तेमाल कर रहे होंगे, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि ये एआई टूल किसी दिन पूरी दुनिया में बिजली संकट की वजह बन सकते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक OpenAI का पोपुलर एआई चैटटूल ChatGPT अकेले हर घंटे 5,000 किलोवॉट बिजली खपत कर रहा है। यह खपत केवल 200 मिलियन यूजर्स के रोज के रिक्वेस्ट पर ही हो रही है और यदि रिक्वेस्ट का आंकड़ा बढ़ता है तो खपत भी बढ़ सकती है। अगर औसत निकाला जाए तो ChatGPT प्रतिदिन औसत अमेरिकी घरों की तुलना में 17,000 गुना अदिक बिजली खपत कर रहा है।

यदि जेनरेटिव एआई का इस्तेमाल और बढ़ता है तो ऊर्जा की खपत भी और बढ़ सकती है। डाटा वैज्ञानिक एलेक्स डी व्रीज के मुताबिकयदि Google प्रत्येक सर्च में जेनरेटिव एआई को शामिल करता है, तो यह सालाना लगभग 29 बिलियन किलोवाट-घंटे की खपत कर सकता है, जो केन्या, ग्वाटेमाला और क्रोएशिया जैसे पूरे देशों की वार्षिक बिजली खपत को पार कर जाएगा।

डी व्रीज ने एआई की ऊर्जा खपत पर जोर देते हुए कहा कि पहले भी यह सामने आ चुका है कि प्रत्येक एआई सर्वर पहले से ही ब्रिटेन के एक दर्जन से अधिक घरों के बराबर बिजली की खपत कर रहे हैं, हालांकि बड़ी टेक कंपनियों की ओर से पारदर्शिता की कमी के कारण एआई जगत की कुल बिजली खपत का अनुमान लगाना चुनौतीपूर्ण है।

व्रीज ने एआई क्षेत्र की अग्रणी चिप निर्माता कंपनी एनवीडिया के डाटा पर अनुमान लगाकर कहा है कि 2027 तक संपूर्ण एआई क्षेत्र सालाना 85 से 134 टेरावाट-घंटे के बीच इस्तेमाल कर सकता है। यह वैश्विक बिजली खपत के एक महत्वपूर्ण हिस्से का प्रतिनिधित्व करेगा, जो संभावित रूप से 2027 तक आधा प्रतिशत तक पहुंच जाएगा।

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