Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य समाचार

पंजाब सरकार ने एक अप्रत्याशित उठाया और विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर पंजाब पुलिस ऐक्ट में संशोधन किया, अब सरकार राज्य में अपनी मर्जी के पुलिस अफसर को DGP नियुक्त कर सकेगी।

सम्पादक
21 Jun 2023 8:13 AM GMT
पंजाब सरकार ने एक अप्रत्याशित उठाया और विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर पंजाब पुलिस ऐक्ट में संशोधन किया, अब सरकार राज्य में अपनी मर्जी के पुलिस अफसर को DGP नियुक्त कर सकेगी।
x

कल 20 जून 2023 को पंजाब सरकार ने एक अप्रत्याशित उठाया और विधान सभा का विशेष सत्र बुलाकर पंजाब पुलिस ऐक्ट में संशोधन किया, अब सरकार राज्य में अपनी मर्जी के पुलिस अफसर को DGP नियुक्त कर सकेगी। यह बिल तब पास किया गया है, जब पंजाब में नियुक्त कार्यकारी DGP गौरव यादव को एक साल पूरा होने वाला है।

विधानसभा में पास बिल के अनुसार राज्य में एक कमेटी बनेगी, जिसमें 7 सदस्य होंगे। जिसके अध्यक्ष पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस होंगे। कमेटी पुलिस अफसरों का पैनल फाइनल करके राज्य सरकार को भेजेगी। सरकार पैनल में से किसी एक अफसर को पंजाब का DGP नियुक्त कर सकेगी, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं हो रहा था।

DGP की नियुक्ति कैसे होती है

किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में पुलिस विभाग की कमान डीजीपी के हाथों में होती है। यानी कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार सबसे वरिष्ठ अधिकारी। इस पद पर सीधे नियुक्ति नहीं होती है। एसपी, एसएसपी, डीआईजी, आईजी, एडीजीपी के बाद पुलिस महानिदेशक का पद मिलता है। अब तक ऐसा चला आ रहा है कि UPSC तीन सबसे वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों का एक पैनल राज्य सरकार को भेजता है। सुप्रीम कोर्ट ने प्रकाश सिंह मामले में दिए आदेश के अनुसार डीजीपी की नियुक्ति कम से कम दो वर्ष के लिए होती है। डीजीपी को हटाने की प्रक्रिया सर्विस रूल्स के उल्लंघन या क्रिमिनल केस में कोर्ट का फैसला आने, भ्रष्टाचार साबित होने पर शुरू होती है। या डीजीपी को तब हटाया जा सकता है जब वह अपने कर्तव्यों का पालन करने में असमर्थ हों।

प्रकाश सिंह मामला क्या है

यह फैसला साल 2006 का है। तब प्रकाश सिंह बनाम भारत संघ मामले में डीजीपी की नियुक्ति और हटाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम दिशानिर्देश दिए थे। इसे प्रकाश सिंह मामला कहा जाता है क्योंकि SC ने यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह की PIL पर आदेश दिया था। 17 साल होने को हैं

अब आपका ये जानना जरुरी है की पंजाब के नए कानून के हिसाब कौन होगा इस नियुक्ति कमेटी का सदस्य

इस एक्ट के अनुसार कमेटी में 7 सदस्य होंगे। जिसमें मुख्य सचिव, पंजाब पब्लिक सर्विस कमिशन के एक नॉमिनेटिड सदस्य, गृह विभाग का प्रबंधकीय सचिव, केंद्रीय विदेश मंत्रालय द्वारा नॉमिनेटिड और पंजाब पुलिस का एक सेवामुक्त DGP इस कमेटी के सदस्य होंगे।

अब सवाल ये उठता है कि सरकार ये बिल लेकर क्यों आई?

पंजाब में 1992 बैच के आईपीएस गौरव यादव के पास पंजाब का एडिशनल चार्ज है. 5 जुलाई को गौरव यादव को डीजीपी का पदभार संभाले एक साल हो जाएगा. केंद्र से पक्का डीजीपी नियुक्त करने को लेकर दबाव बन रहा है. इसलिए पंजाब सरकार ने विधानसभा में बिल लाने का फैसला किया

अब कार्यकाल क्या होगा?

बिल में कहा गया है कि चुने गए तीन नामों में से मेरिट के आधार पर चुनाव किया जाएगा। चुने गए नए DGP का कार्यकाल कम से कम तीन साल का होगा। इसके अलावा DGP का पद खाली होने की स्थिति में, राज्य सरकार बराबर के किसी भी अधिकारी को अतिरिक्त चार्ज दे सकती है।

अब देखना यह है कि कौन कौन से राज्य इसका अनुसरण करते है क्योंकि कई राज्य है जहाँ कार्यवाहक DGP बने हुए है उत्तर प्रदेश में मुकुल गोयल के बाद देवेंद्र सिंह चौहान फिर राजकुमार विश्वकर्मा और अब विजय कुमार कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक है, हाँ यहाँ उत्तर प्रदेश में जो भी कार्यवाहक DGP बने वो seniority में भी आते है और अगर UPSC भी पेनल भेजता तो इनका नाम उस में भी होता, वर्तमान के DGP विजय कुमार 1988 बेच के IPS अधिकारी है सरकार द्वारा हटाए गए DGP मुकुल गोयल को छोड़ दे ये सबसे वरिष्ठ पुलिस अधिकारी है.

अब ये भी देखना होगा की सर्वोच्च न्यायालय का इस क़ानून पर क्या रुख़ होगा ये तो वक़्त बताएगा.

सम्पादक

सम्पादक

    Next Story