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आखिरी दम तक शीशा तोड़ने की जद्दोजहद, चालक और खलासी जिंदा जले; हुलिया और सीट से हुई पहचान ...देखें तस्वीरें

Sanjiv Kumar
15 March 2024 9:04 AM IST
आखिरी दम तक शीशा तोड़ने की जद्दोजहद, चालक और खलासी जिंदा जले; हुलिया और सीट से हुई पहचान ...देखें तस्वीरें
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फतेहपुर जिले में आग का गोला बने डंपर में फंसे चालक और खलासी को ग्रामीणों ने तड़पकर मरते देखा। लाख कोशिश के बाद भी उन्हें बचाने में असफल रहे। केबिन में फंसे होने की वजह से दोनों छटपटा रहे थे। शीशों में ठोकर मारकर आखिरी दम तक मदद की गुहार लगाते रहे। उन्हें देखकर ग्रामीणों की आंखे नम हो गई।

खटौली गांव के प्रत्यक्षदर्शी बाबू खान, रामस्वरूप पासवान, समरजीत, राजू, शिवगोपाल, उमाशंकर, अंकित और मन्नू पासवान भिड़ंत की आवाज पर पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि वे लोग कुछ समझते कि तभी गिट्टी लदे डंपर में आग विकराल हो गई। आग इतनी भीषण थी कि आसपास रहने वाले घर छोड़कर भागने लगे।

केबिन के अंदर से चिल्ला रहे थे दोनों

डंपर की केबिन धू-धूकर जल रही थी। फंसे चालक और खलासी जान बचाने के लिए केबिन के अंदर से चिल्ला रहे थे। आसपास के पांच नलकूप चालू कराकर ग्रामीणों ने आग पर काबू पाने का प्रयास किया। ग्रामीणों ने बताया कि पहली बार आंखो के सामने किसी को तड़पकर मरते हुए देखा। परिजनों ने चालक की पहचान तंदुरुस्त शरीर और खलासी की पहचान दुबले बदन से की।

हाथ-पैर मांस के लोथड़े में तब्दील

पुलिस ने सीट से चालक सीट और खलासी की पहचान स्पष्ट होने का दावा किया। उन दोनों के हाथ-पैर मांस के लोथड़े में तब्दील हो गए थे। पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे इबरार के भाई नियाज व शान ने बताया कि दो साल पहले भाई की शादी हुई थी। खलासी दिलीप के भाई विनोद ने बताया कि दिलीप के अलावा दो भाई विनोद, सतीश हैं। तीसरे नंबर का दिलीप है। वह अविवाहित था। भाई की मौत से मां राजकुमारी का हाल बेहाल है।

जिंदपुर टोल तक छह किलोमीटर लंबा जाम लगा

हादसे के बाद एक तरफ घटनास्थल खटौली से बहुआ और दूसरी ओर जिंदपुर टोल प्लाजा तक दोनों ओर करीब छह-छह किलोमीटर तक जाम लगा रहा। सूचना पर पुलिस ने बहुआ कस्बे से रुट डायवर्जन कर राधानगर से वाहनों को गाजीपुर से निकाला गया। दूसरी ओर बहुआ से बिंदकी मार्ग पर वाहनों को निकाला गया।

हाईवे किनारे घरों के छप्पर और गृहस्थी जली

डंपरों के टायर आग लगने के बाद प्रेशर से फट गए। टायरों के जलते टुकड़े रोड किनारे बाबू खान और रामस्वरूप के छप्पर पर गिरने से उनमें आग लग गई। बाबूखान का छप्पर जल गया। वहीं, रामस्वरूप पासवान के घर में लगी आग से चारपाई, बिस्तर, बर्तन, कपड़े व गृहस्थी जल गई। पड़ोसियों ने रामस्वरूप की पत्नी पुरखिन, बेटे मोनू, बहू मंजू, पौत्र शुभम को घर से बाहर निकाल जान बचाई।

देर से पहुंची दमकल, ग्रामीणों में नाराजगी

ग्रामीण रामस्वरूप, उमाशंकर, शिवनरेश, गोविंद, रामआसरे समेत कई ने दमकल के देर से आने पर नाराजगी जताई। आरोप है कि हादसे की सूचना दमकल को फौरन दी गई थी। करीब आधे घंटे का वक्त दमकल को आने में लगता है। करीब डेढ़ घंटे बाद दमकल पहुंच सकी। इस दौरान नलकूपों की मदद से काफी हद तक ग्रामीण आग पर काबू पा चुके थे। दमकल जल्दी पहुंचती, तो शायद फंसे चालक और खलासी की जान बचाई जा सकती थी। सीएफओ उमेश गौतम ने बताया कि रास्ते में जाम की वजह से सहायता पहुंचने में देर हुई है।

देर से पहुंची दमकल, ग्रामीणों में नाराजगी

ग्रामीण रामस्वरूप, उमाशंकर, शिवनरेश, गोविंद, रामआसरे समेत कई ने दमकल के देर से आने पर नाराजगी जताई। आरोप है कि हादसे की सूचना दमकल को फौरन दी गई थी। करीब आधे घंटे का वक्त दमकल को आने में लगता है। करीब डेढ़ घंटे बाद दमकल पहुंच सकी। इस दौरान नलकूपों की मदद से काफी हद तक ग्रामीण आग पर काबू पा चुके थे। दमकल जल्दी पहुंचती, तो शायद फंसे चालक और खलासी की जान बचाई जा सकती थी। सीएफओ उमेश गौतम ने बताया कि रास्ते में जाम की वजह से सहायता पहुंचने में देर हुई है।

शार्ट सर्किट के बाद फटे टैंक से फैली आग

बाराबंकी जिले के असंद्र थाना क्षेत्र के डीगसरी निवासी सामिन अली का पुत्र इबरार अली (28) डंपर चालक था। वहीं के रामसनेही घाट थाना हथौरा निवासी दिलीप (24) खलासी था। वह कबरई से गिट्टी लादकर रात को बाराबंकी जा रहे थे। खटौली गांव के पास बिगड़ा ट्रक खड़ा था। ट्रक को ओवरटेक करते समय बाराबंकी जा रहे डंपर की सामने से आ रहे खाली डंपर से भिड़ंत हो गई। हादसे के बाद गिट्टी लदे डंपर में आग लग गई।

कोई मदद करने की हिम्मत नहीं जुटा सका

आवाज सुनकर आसपास के लोग पहुंचे। इस दौरान डंपर की आग विकराल हो चुकी था। इसी दौरान दूसरा डंपर भी आग की चपेट में आ गया। उसके चालक-खलासी कूदकर भाग निकले। बाराबंकी जिले के चालक और खलासी डंपर के अंदर छटपटाते रहे। आग की लपटें देख कोई मदद करने की हिम्मत नहीं जुटा सका। ग्रामीणों ने नलकूप चलाकर आग पर काबू पाने की कोशिश की। करीब डेढ़ घंटे बाद दमकल पहुंची।

परिजनों के आने के बाद शवों की पहचान हो सकी

आग बुझाने में करीब ढाई घंटे लगे। आग बुझने के बाद सुबह शव बाहर निकाले जा सके। हाइड्रा और क्रेन की मदद से डंपरों को सड़क से हटवाने के बाद सुबह सात बजे यातायात बहाल हो सका। करीब चार घंटे जाम लगा रहा। प्रभारी निरीक्षक तारकेश्वर राय ने बताया कि परिजनों के आने के बाद शवों की पहचान हो सकी। तहरीर मिलने पर मुकदमा दर्ज किया जाएगा।

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