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इस सीट पर आंकड़े भाजपा के पक्ष में, पर गठबंधन बड़ी चुनौती, बसपा भी खेल बिगाड़ने में सक्षम; ऐसे हैं समीकरण

SaumyaV
18 March 2024 12:14 PM IST
इस सीट पर आंकड़े भाजपा के पक्ष में, पर गठबंधन बड़ी चुनौती, बसपा भी खेल बिगाड़ने में सक्षम; ऐसे हैं समीकरण
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अकबरपुर लोकसभा सीट के आंकड़े भाजपा के पक्ष में हैं, पर गठबंधन की चुनौती भी बड़ी है। बसपा खेल बिगाड़ने में सक्षम है। पिछले तीन चुनावों में लगातार दूसरे नंबर पर बसपा रही है। एक बार कांग्रेस तो दो बार भाजपा के हाथ जीत लगी है।

अकबरपुर लोकसभा सीट पर चुनावी बिसात बिछ चुकी है। भाजपा, बसपा और इंडिया गठबंधन ने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। 14 लाख 89 हजार 589 मतदाताओं वाले इस लोकसभा क्षेत्र से 2014 और 2019 के चुनावों में भाजपा के देवेंद्र सिंह भोले जीतकर संसद में पहुंचे हैं। खास बात यह है कि वह सिर्फ जीते ही नहीं हैं, उनका वोट बैंक भी बढ़ा है।

इस बार उनका मुकाबला इंडिया गठबंधन के राजाराम पाल से है, जो सपा से मैदान में हैं और 2009 में कांग्रेस के टिकट पर सांसद बने थे। इस सीट पर बसपा का भी खासा जनाधार है। उसका प्रत्याशी कभी जीता भले ही न हो पर दूसरे नंबर पर हमेशा रहा है।

इस बार बसपा ने राजेश द्विवेदी को मैदान में उतारा है। ऐसे में आंकड़े जहां भाजपा के पक्ष में हैं, वहीं कांग्रेस का साथ पाकर सपा के राजाराम पाल भी मजबूत दिखाई दे रहे हैं, जबकि बसपा किसी का भी खेल बिगाड़ने की हैसियत में नजर आ रही है।

अकबरपुर लोकसभा सीट के पिछले तीन चुनाव के आंकड़ों का जायजा लें तो पता चलता है कि इस लोकसभा क्षेत्र ने भाजपा और कांग्रेस दोनों को प्रतिनिधित्व का मौका दिया है। इसके पहले 2004 में बसपा की यहां (तब बिल्हौर लोकसभा क्षेत्र) से जीत हुई थी। पिछले तीन चुनावों में लोकसभा सीट की तस्वीर में अधिक बदलाव आया है।

वर्ष 2009 के चुनाव में यहां से कांग्रेस जीती थी। दूसरे नंबर पर बसपा रही। तब तीसरे नंबर पर रही भाजपा का वोट प्रतिशत 21.48 था। कांग्रेस और बसपा के प्रत्याशियों के बीच मतों का अंतर 32043 रहा।

अगर इंडिया गठबंधन के मद्देनजर देखा जाए तो कांग्रेस और सपा को मिलाकर 307369 वोट मिले थे। भाजपा के खाते में 136907 वोट आए थे। तब सपा चौथे नंबर पर थी।

मतदान का प्रतिशत बढ़ा तो पहले और दूसरे नंबर के प्रत्याशी के बीच मतों की दूरी भी बढ़ती गई।

मतदान प्रतिशत बढ़ा तो पहले और दूसरे नंबर के प्रत्याशी के बीच मतों की दूरी भी बढ़ती गई

वर्ष 2009 के बाद वर्ष 2014 के चुनाव में मतदाताओं के रुझान में बड़ा बदलाव आ गया। इस चुनाव में भाजपा की जीत हुई और भाजपा का वोट प्रतिशत बढ़कर 49.57 हो गया। दूसरे नंबर पर इस बार भी बसपा थी। भाजपा और बसपा के मतों का फर्क 278997 का था। सपा तीसरे और कांग्रेस चौथे नंबर पर रही।

इस बार के गठबंधन इंडिया की नजर से देखा जाए तो सपा और कांग्रेस को मिलाकर कुल 243829 वोट मिले। भाजपा और इन दो दलों के संयुक्त वोटों में 237755 का फर्क रहा था। वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा के वोट बढ़कर 56.69 प्रतिशत पर पहुंच गए।

इस बार सपा-बसपा के गठबंधन ने मिलकर चुनाव लड़ा और गठबंधन को 29.86 प्रतिशत वोट के साथ दूसरे नमंबर पर रहा। कांग्रेस ने 10.57 प्रतिशत ही वोट मिले। सपा-बसपा गठबंधन और भाजपा को मिले मतों में 275142 का फर्क रहा।

ऐसे बढ़ा भाजपा का ग्राफ

वर्ष 2019

भाजपा-581282 मत

सपा-बसपा गठबंधन-306140 मत

कांग्रेस-108341 मत

वर्ष 2014

भाजपा-481584 मत

बसपा-202587 मत

सपा-147002 मत

कांग्रेस-96827 मत

वर्ष 2009

कांग्रेस-192549 मत

बसपा-160506 मत

भाजपा-136907 मत

सपा-114820 मत

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