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सिंधिया समर्थक का फिर छलका दर्द, इमरती बोलीं- कांग्रेस में जीतती थी लेकिन भाजपा में हार रही हूं
मध्य प्रदेश की पूर्व मंत्री और ज्योतिरादित्य सिंधिया की कट्टर समर्थक इमरती देवी का दर्द छलक आया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में थी तो जीत हासिल करती थी। जब से भाजपा में आई हूं, मुझे हार मिल रही है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए नेता खुद को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ताओं पर प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष असहयोग के आरोप लगा रेह हैं। इसकी बानगी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर बुलाए गए कार्यकर्ता सम्मेलन में देखने को मिली। सिंधिया समर्थक पूर्व मंत्री इमरती देवी ने मंच से ही अपनी पीड़ा सुनानी शुरू कर दी। उन्होंने यह कहकर सबको चौंका दिया कि जब वे कांग्रेस में थी तो लगातार जीत रही थी। जब से भाजपा में आई हैं, उन्हें हार का सामना करना पड़ रहा है।
दरअसल, भाजपा ने ग्वालियर लोकसभा सीट से अपने वर्तमान सांसद विवेक नारायण शेजवलकर का टिकट काटकर हाल ही में विधानसभा चुनाव हार चुके पूर्व मंत्री भारत सिंह को प्रत्याशी बनाया है। इसके बाद से विधानसभावार पार्टी के कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित हो रहे हैं। डबरा में ऐसा ही कार्यकर्ता सम्मेलन था, जिसमें सांसद शेजवलकर, प्रत्याशी कुशवाह सहित सभी नेता मौजूद थे। मंच पर पूर्व मंत्री इमरती देवी भी थी। वक्ता भाजपा संगठन और पार्टी कार्यकर्ताओं की निष्ठा को लेकर गुणगान कर रहे थे तभी पूर्व मंत्री इमरती देवी को भाषण के लिए आमंत्रित किया गया। वे आईं तो मन का गुबार मन मे नहीं रोक सकीं। लगातार हुई अपनी दो हार से व्यथित इमरती का दर्द जुबां पर आ गया।
उन्होंने पार्टी में व्याप्त गुटबाजी की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आप ऐसे लोगों से बचें जो मंच पर खड़े होकर कहते है कि भाजपा हमारीं मां हैं और जब मां का टाइम आता है तो लातें मारते हैं। इमरती ने कहा कि अभी तक भाजपा से जो भी सांसद का चुनाव लड़े हैं, उन्हें डबरा में पराजय मिली है। वे हारे हैं, मैं इसलिए कह रही हूँ कि जब मैं कांग्रेस में थी तो 62- 62 हजार वोटों से जीततीं थी लेकिन जब भाजपा में आई हूँ और चुनाव लड़ी हूं तो नही जीत सकी। हमने पार्टी के वोट बढ़ाए हैं। हमें 51 हजार वोट ज्यादा मिले हैं। उन्होंने कहा कि मैं भाजपा को मां कह रही हूं तो उसे जिताने के लिए झोली फैलाकर वोट भी मांगूंगी।
दो बार हार चुकी हैं इमरती
इमरती देवी ने 2018 में विधानसभा चुनाव लड़ा और कमलनाथ सरकार में मंत्री भी रही थीं। 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ पाला बदला तो उपचुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2023 के विधानसभा चुनावों में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा। दिलचस्प बात यह है कि उन्हें हराने वाले कोई और नहीं, बल्कि रिश्ते में उनके समधी ही हैं।