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मनीष सिसोदिया की जमानत पर संजय सिंह ने भाजपा पर कसा तंज! उठाया सवाल- जो 17 महीने सिसोदिया के बर्बाद हुए उसका हिसाब क्या देश के प्रधानमंत्री देंगे?

Tripada Dwivedi
9 Aug 2024 6:15 AM GMT
मनीष सिसोदिया की जमानत पर संजय सिंह ने भाजपा पर कसा तंज! उठाया सवाल- जो 17 महीने सिसोदिया के बर्बाद हुए उसका हिसाब क्या देश के प्रधानमंत्री देंगे?
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नई दिल्ली। आबकारी नीति मामले में मनीष सिसोदिया की जमानत पर आप नेता संजय सिंह ने कहा कि ये आप और दिल्ली के लोगों के लिए बहुत बड़ी राहत है। अरविंद केजरीवाल और सत्येंद्र जैन के लिए न्याय का रास्ता जल्द ही खुलेगा। जो 17 महीने मनीष सिसोदिया के बर्बाद हुए उसका हिसाब क्या देश के प्रधानमंत्री देंगे। जो 17 महीने दिल्ली के बच्चों के बर्बाद हुए हैं। एक योग्य शिक्षा मंत्री के रूप में मनीष सिसोदिया जो दिल्ली के बच्चों को दे सकते थे उसका हिसाब कौन देगा। भाजपा का मकसद केवल एक है। विपक्ष के नेताओं को पकड़ कर जेल में डालो। मनीष सियोदिया के घर से एक रुपया बरामद नहीं हुआ, कोई प्रोपर्टी और गहना नहीं मिला फिर भी आपने 17 महीने जेल में रखा। ED हमेशा समय मांगती रही और मामले को टरकाती रही। आज उन सब पर विराम लगा है ये हमारे लिए बहुत बड़ी खबर है।

सुप्रीम कोर्ट से मनीष सिसोदिया के वकील ऋषिकेश कुमार ने कहा कि इस बात को ध्यान में रखते हुए कि 17 महीने की जेल मनीष सिसोदिया काट चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जैसा ED ने कहा था कि ये ट्रायल 6-8 महीने में खत्म हो जाएगा। वो होता नहीं दिख रहा है। ईडी का आरोप खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया ने ट्रायल में देरी नहीं की है। सुप्रीम कोर्ट ने मनीष सिसोदिया को जमानत दी है। ये ऐतिहासिक फैसला है।

कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने मनीष सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट द्वारा जमानत दिए जाने पर कहा कि यह अच्छी बात है कि जेल नहीं बल्कि जमानत के सिद्धांत का पालन किया गया है क्योंकि तथ्य यह है कि हमारे देश में यही शासन का आदर्श माना जाता है। यह अब तक नहीं हुआ है। जिसका सीधा सा कारण केवल न्यायपालिका ही बता सकती है।

दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन के मामलों में आप नेता मनीष सिसोदिया को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा जमानत दिए जाने पर अधिवक्ता विवेक जैन ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय ने बहुत स्पष्ट रूप से माना है कि लंबे समय तक कारावास और सुनवाई में देरी को धारा 45 के अंतर्गत पढ़ा जाना चाहिए। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि जमानत नियम है, जेल अपवाद है।

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