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स्मृति ईरानी के रोड शो से सहमे राहुल, फिर भी क्या लड़ेंगे चुनाव
नई दिल्ली। लोकसभा के तीसरे चरण के चुनाव के लिए 3 मई को नामांकन भरने की तिथि समाप्त हो जाएगी यानी नामांकन भरने के लिए चार दिन बचे हैं लेकिन राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने पर अभी भी सस्पेंस बरकरार है। ऐसा क्यों है इसके पीछे सरल सी समझ यानी अंडरस्टूड है कि अगर अमेठी में राहुल की पकड़ मजबूत होती तो अपने लड़ने की घोषणा करने में बहुत देर नहीं करते। राजनीतिक सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी ने अमेठी में एक सर्वे कराया था। सर्वे में उन्हें बहुमत मिलने की बात थी। इस आधार पर चार-पांच दिनों पहले यह बात उछली कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन शायद इस सर्वे पर राहुल को पूरा यकीन नहीं है। संभवत इसी कारण से राहुल गांधी अब तक खुद को अमेठी से चुनाव लड़ने के लिए तैयार नहीं कर पा रहे हैं। वह अमेठी में भाजपा की स्थिति की जायजा लेने में लगे हैं।
आज जब स्मृति ईरानी के रोड शो में भारी भीड़ उमड़ी तो फिर यह चर्चा चल पड़ी कि अब तो राहुल गांधी शायद ही अमेठी से चुनाव लड़ेंगे। एक खास बात यह भी है कि अब तक अमेठी में लोगों से मिलने जुलने या दौरा करने का कोई कार्यक्रम राहुल गांधी ने नहीं कियाः दूसरी तरफ स्मृति अमेठी के मतदाता से लगातार संपर्क कर रही हैं। पिछले तीन-चार महीने में स्मृति ईरानी ने अमेठी के दर्जनों गांव का दौरा किया। इस दौरे के बाद स्मृति बुलंद दिख रही हैं। उनमें चुनाव जीतने का यह आत्मविश्वास ही था कि उन्होंने कई बार राहुल को चुनाव लड़ने के लिए ललकारा। इस ललकर पर राहुल खामोश रहे। रोड शो के दौरान भी स्मृति ने राहुल को अमेठी से लड़ने की चुनौती दी। सोचने की बात है कि अगर अमेठी पर राहुल की पकड़ मजबूत होती तो राहुल खामोश नहीं रहते।
मुद्दों की कमी नहीं फिर भी चुनाव से परहेज क्यों
अगर आप अमेठी के गांवों का भ्रमण करेंगे तो कई समस्याएं मुंह बाये खड़ी मिलेगी। कई गांव में सड़कों की स्थिति बिल्कुल अच्छी नहीं है। पेयजल का संकट है। अस्पतालों की अपेक्षित संख्या नहीं है। इसके अलावा बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दे भी हैं। चाहे तो इन मुद्दों को राहुल चुनाव में भुना सकते हैं लेकिन एक बात यह भी है कि लंबे समय से अमेठी पर राज गांधी परिवार ने किया है। यहां से सोनिया गांधी एक बार, राजीव गांधी चार बार, संजय गांधी एक बार और राहुल गांधी तीन बार सांसद रह चुके हैं और उनके कार्यकाल के दौरान अमेठी में समस्याओं की कमी नहीं थी। बता दे कि 2014 में राहुल ने स्मृति ईरानी को सवा लाख वोट से हराया था। इसके बाद 2019 के चुनाव में स्मृति ईरानी ने 49 प्रतिशत मतों से राहुल को शिकस्त दी थी। उधर सूत्रों का कहना है कि 1 मई तक यह निर्णय हो जाएगा कि राहुल गांधी अमेठी से लड़ेंगे या नहीं।