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बांग्लादेश में राजनीतिक संकट पर पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने रखीं अलग-अलग राय! जानें उन्होंने क्या कहा

Neelu Keshari
6 Aug 2024 6:11 AM GMT
बांग्लादेश में राजनीतिक संकट पर पक्ष-विपक्ष के नेताओं ने रखीं अलग-अलग राय! जानें उन्होंने क्या कहा
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नई दिल्ली। बांग्लादेश में भारी विरोध के बीच शेख हसीना ने सोमवार को बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया है और ढाका में अपना आवास छोड़ भारत आ गई हैं। शेख हसीना का हेलीकॉप्टर गाजियाबाद के हिंडन एयर बेस पर लैंड हुआ था। वहीं बांग्लादेश में राजनीतिक संकट पर सियासी घमासान मचा हुआ है। इसे लेकर पक्ष-विपक्ष के कई नेताओं की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं।

कांग्रेस सांसद शशि थरुर ने कहा कि सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण संकेत जो हमें बांग्लादेश के लोगों को भेजना है, वह यह है कि हम उनके साथ खड़े हैं। हम उनके अपने राजनीतिक भाग्य और अपने प्रतिनिधि का निर्धारण करने के अधिकार के लिए खड़े हैं। यह कहने के बाद, हमें स्पष्ट रूप से बहुत अधिक सतर्क रहना होगा। कुछ परेशान करने वाली रिपोर्टें सामने आ रही हैं। उम्मीद है कि वहां माहौल शांत हो। वहां स्थिति आने वाले एक-दो दिन में स्थिर हो सकती है। अगर ऐसा नहीं होता है, तो निश्चित रूप से हमारे देश में शरणार्थियों के आने का खतरा है।

कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि बांग्लादेश की परिस्थिति बहुत संवेदनशील है। जिस तरह के हालात इस समय बांग्लादेश में बने हुए हैं वो पूर्व और दक्षिण एशिया के लिए चिंताजनक हैं। मैं उम्मीद करता हूं कि आज दोनों सदनों में इस पर विस्तृत बहस होगी। यह बहुत जरूरी है कि इस मुद्दे पर सदन में बहस हो।

कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम ने कहा कि मुझे लगता है कि यह एक अच्छा कदम है कि विदेश मंत्री सभी पार्टी नेताओं को जानकारी दे रहे हैं। हम इस कदम का स्वागत करते हैं। जहां तक राष्ट्रीय सुरक्षा और हमारे नागरिकों की सुरक्षा का सवाल है, हम पूरी तरह से सरकार के साथ हैं। बांग्लादेश में जो कुछ हो रहा है, वह बहुत चिंताजनक है। हम सिर्फ यह नहीं कह सकते कि यह सिर्फ़ एक अलोकप्रिय सरकार को गिराने की घटना है, ऐसा लगता है कि यह उससे कहीं ज़्यादा गंभीर है।

तो वहीं भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार ने कहा कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहा है। यही कारण है कि उस देश के अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का निर्णय हमारे प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा लिया गया है। यह काम पीएम मोदी ही कर सकते हैं और कोई देश अल्पसंख्यक समाज के लोगों को संरक्षण नहीं दे सकता है इसलिए पीएम मोदी को इस मामले में जल्द से जल्द कदम उठाने चाहिए।

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