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एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक! सरकार की मंजूरी के बाद बढ़ा राजनीतिक टकराव
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नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' विधेयक को मंजूरी मिलने के बाद राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिल रही हैं।
भाजपा सांसद कंगना रनौत ने इस कदम की सराहना करते हुए कहा कि यह देश के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। बार-बार चुनाव कराने से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ता है। साथ ही मतदाता प्रतिशत हर साल गिरता जा रहा है। यह समय की मांग है, और सभी को इसका समर्थन करना चाहिए।
वहीं टीएमसी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने आलोचना करते हुए कहा कि यह सिर्फ ध्यान भटकाने का प्रयास है। यह व्यावहारिक और स्वाभाविक नहीं है। यदि यह संभव होता तो पहले ही हो चुका होता। इसके जरिए चुनाव आयोग की स्वतंत्रता को खतरा है।
राजद सांसद मनोज झा ने कहा कि हमें अंतिम विवरण का इंतजार है। महिला आरक्षण विधेयक की तरह, इसमें भी परिसीमन और जनगणना जैसे सवाल अनुत्तरित हैं। अगर सरकार बीच में गिर जाए, तो क्या तंत्र होगा? ये चिंताएं देश को परेशान कर रही हैं।
शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा कि हमें संसद में विधेयक पेश होने का इंतजार है। इसे लागू करने के लिए विस्तृत प्रक्रिया की जरूरत होगी, जिसमें खर्च, ईवीएम की संख्या और अन्य व्यवस्थाओं पर विचार करना होगा।