Begin typing your search above and press return to search.
मुख्य समाचार

महिलाओं को देह व्यापार में धकेलने के रैकेट पर एनएचआरसी हुआ सख्त! देश के तमाम मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुखों को जारी किया नोटिस

Neelu Keshari
6 July 2024 1:56 PM IST
महिलाओं को देह व्यापार में धकेलने के रैकेट पर एनएचआरसी हुआ सख्त! देश के तमाम मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुखों को जारी किया नोटिस
x

नई दिल्ली। हाल के वर्षों में देश के कई हिस्से में ऐसी घटनाएं सामने आईं जब पुलिस ने विभिन्न व्यवसायिक संस्थानों, होटलों पर छापा मारकर महिलाओं को देह व्यापार के आरोप में पकड़ा। ऐसी घटनाओं में प्राय: महिलाओं का यह कहना था कि वह यहां नौकरी मांगने आई थी लेकिन मैनेजर ने तिकड़म करके उन्हें देह व्यापार करने पर विवश कर दिया। ऐसे मामले दिल्ली और आसपास के इलाकों में खूब देखने को मिले। पुलिस ने इन घटनाओं में महिलाओं को छोड़ने का काम किया लेकिन ऐसी घटनाएं रुकी नहीं। अब इन घटनाओं को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने गंभीरता से लिया है। आयोग ने देश के तमाम राज्यों के मुख्य सचिव और पुलिस प्रमुखों को नोटिस जारी किया है।

एनएचआरसी ने एक बयान जारी किया है। इसमें उन्होंने कहा कि छापे के दौरान गिरफ्तार महिलाओं के बयानों को उद्धृत करने वाली एक समाचार रिपोर्ट यदि सच है, तो जाति, धर्म और भौगोलिक सीमाओं के बावजूद महिलाओं के जीवन, स्वतंत्रता, समानता और सम्मान से संबंधित एक गंभीर चिंता पैदा करती है। एनएचआरसी ने मीडिया रिपोर्ट का स्वतः संज्ञान लेते हुए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों और पुलिस महानिदेशकों को नोटिस जारी किया है। जिसमें महिलाओं को देह व्यापार में धकेलने वाले असामाजिक तत्वों से निपटने के लिए उठाए गए और प्रस्तावित कदमों पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। नोटिस में आयोग ने महिलाओं की सुरक्षा, संरक्षा और कल्याण के लिए देश में कई कानून और योजनाएं होने के बावजूद असामाजिक और आपराधिक तत्व समाज के कमजोर वर्गों, खासकर महिलाओं को निशाना बनाने में कामयाब होने पर शर्मिदंगी जताई है।

जबरन भीख मांगने के किसी भी रैकेट को रोकने के लिए मानव तस्करी विरोधी कानून बनाने के लिए समाजशास्त्रीय और आर्थिक प्रभाव मूल्यांकन करने की भी सिफारिश की। इस कानून में भीख मांगने को मानव तस्करी के मूल कारणों में से एक के रूप में पहचाना जाना चाहिए और अपराधियों के खिलाफ दंडात्मक अपराध शामिल किए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि केंद्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा नगर निगमों और सरकारी एजेंसियों की मदद से विस्तृत जानकारी एकत्र करने के लिए एक मानकीकृत सर्वेक्षण प्रारूप विकसित किया जाना है। जिससे भीख मांगने में लगे व्यक्तियों की शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्थिति के साथ एक राष्ट्रीय डेटाबेस बनाया जा सके।

Next Story