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नेहरू को सोमनाथ के पुनरुद्धार का अवसर मिला पर वह डिस्कवरी लिखते रहे...विरासत भूल गए

SaumyaV
15 Jan 2024 8:36 AM IST
नेहरू को सोमनाथ के पुनरुद्धार का अवसर मिला पर वह डिस्कवरी लिखते रहे...विरासत भूल गए
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कहते हैं कि लंबे समय तक उपेक्षा का दंश झेलने वाला अयोध्या धाम आज फिर से सप्तपुरियों की प्रथम पुरी के रूप में दुनियाभर को आकर्षित कर रहा है। अयोध्या के लिए वह सबकुछ होगा, जो सनातन हिंदू धर्मावलंबियों की भावनाएं होंगी...जनभावनाओं का आदर करना चाहिए...कांग्रेस को भी अवसर मिला था, पर वे सम्मान नहीं कर सके।

रामनगरी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भावुक हैं। कहते हैं, लंबे समय तक उपेक्षा का दंश झेलने वाला अयोध्या धाम आज फिर से सप्तपुरियों की प्रथम पुरी के रूप में दुनियाभर को आकर्षित कर रहा है। अयोध्या के लिए वह सबकुछ होगा, जो सनातन हिंदू धर्मावलंबियों की भावनाएं होंगी...जनभावनाओं का आदर करना चाहिए...कांग्रेस को भी अवसर मिला था, पर वे सम्मान नहीं कर सके। योगी आदित्यनाथ ने अमर उजाला से विशेष बातचीत में आस्था से लेकर सियासत तक के मुद्दों पर खुलकर जवाब दिए...

प्राण प्रतिष्ठा को एक रामभक्त, गोरक्ष पीठाधीश्वर व सरकार के मुखिया के रूप में कैसे देखते हैं?

यह हमारे लिए भावनात्मक क्षण है। पीढ़ियों के संघर्ष को स्मरण करते हुए उनके संकल्पों की पूर्ति होने की संतुष्टि का क्षण है। शांतिपूर्ण तरीके से समस्या का समाधान होने के कारण अंत:करण को संतुष्टि भी प्रदान करता है। आम जनमानस की आस्था का सम्मान होने के कारण भावविह्वल करने वाला है, तो रामजन्मभूमि संघर्ष से गोरक्ष पीठ के भी जुड़ाव के कारण इस दिन की प्रतीक्षा के लिए खुद और वर्तमान पीढ़ी को गौरवान्वित करने वाला दिन भी है। एक नए युग और नए भारत के शुभारंभ की तिथि है 22 जनवरी, 2024। पीएम नरेंद्र मोदी के यशस्वी नेतृत्व में विश्व मानवता के लिए नए संदेश की तिथि भी है। हमें बेसब्री के साथ इसका इंतजार है। हम पूरे मनोयोग से इसकी तैयारी कर रहे हैं।

आंदोलन की स्मृति, जो अब भी बनी हो?

रामजन्मभूमि आंदोलन के कारण ही मैं गोरक्षपीठ से जुड़ पाया था। पूज्य महंत अवेद्यनाथ महाराज के दर्शन हुए। मैं तो संघ का सामान्य स्वयंसेवक था। आंदोलन के कारण उनसे मिल भी पाया क्योंकि वह मुक्ति आंदोलन समिति के अध्यक्ष थे। अशोक सिंघलजी से वैचारिक-परिवार के कारण मुलाकात हो पाई। परमहंस महाराज, वामदेवजी महाराज जैसे संतों से मुलाकात हो पाई। मेरा जन्म और जीवन रामजन्मभूमि को समर्पित है।

जब पहली बार अयोध्या गए थे, तब और आज को किस तरह देखते हैं?

गोरक्षपीठ की कई पीढ़ियां रामजन्मभूमि आंदोलन की अग्रिम पंक्तियों में रही हैं। मेरे दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज 1934 व 1949 के अभियान के नेतृत्व करने वालों में थे। मेरे गुरुदेव महंत अवेद्यनाथ महाराज श्रीराम जन्मभूमि मुक्तियज्ञ समिति के अध्यक्ष के नाते आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से थे। 1987-88 से लेकर 2019 तक माननीय उच्चतम न्यायालय का फैसला आने तक, अभियान में एक-एक कड़ी को हमने बहुत नजदीक से महसूस किया। संकल्प फलीभूत होंगे, पहले दिन से अहसास था। मन में विश्वास था कि होइए वही जो राम रचि राखा...प्रभु राम ने जो तय किया है, होना वही है। हम तो निमित्त मात्र हैं। इसलिए जब 2017 में पार्टी ने मुझे मुख्यमंत्री बनाया, तो अयोध्या में भव्य दीपोत्सव शुरू कराया, जो दुनिया को आकर्षित करता है। स्वाभाविक रूप से सनातन धर्मावलंबियों, वैचारिक परिवार और पूर्वजों का संघर्ष, सपना साकार होना...हमें आनंद से भावविभोर कर देता है।

अयोध्या में और क्या करने जा रहे हैं? विरासत को संजोने की कोशिशें भी बताइए।

अयोध्या को दुनिया की भव्यतम विरासत नगरी बनाना चाहते हैं। परंपराओं के साथ आधुनिकता का समावेश होगा। स्वावलंबी नगर के रूप में विकसित करेंगे। इसके साथ, घाटों का सुंदरीकरण कर रहे हैं। युद्धस्तर पर काम हो रहा है। सभी बुनियादी सुविधाएं दी जा रही हैं। पुराने मंदिर मठ घाट के सुंदरीकरण के काम हो रहे हैं। कुछ के हो चुके हैं। गुप्तार घाट, भरतकुंड से सूरजकुंड तक, हम नए तरीकों से काम कर रहे हैं।

इनलैंड वाटर अथॉरिटी का गठन कर चुके हैं। इस पर भी युद्धस्तर पर कार्य कर रहे हैं। अयोध्या की अवस्थापना सुविधाओं, यात्रियों और श्रद्धालुओं की सहूलियतों के लिए बहुत कुछ करने के लिए कार्ययोजना को आगे बढ़ाया है। सब धर्म-पंथ संप्रदाय से जुड़े अनुयायियों के लिए धर्मशाला और उनके साथ आने वाले श्रद्वालुओं के लिए कुछ निर्माण कार्य कर सकें, इसके लिए भूमि आवंटन की प्रकिया पूर्ण हो चुकी है।

इसके अलावा विभिन्न राज्य अपने अतिथि गृह बनाने आगे आए हैं...

विभिन्न देश भी अपने गेस्ट हाउस बनाने के लिए प्रस्ताव दे रहे हैं। आधुनिकतम टाउनशिप बनाई जा रही है।

मठ मंदिरों से जुड़ी धर्मशालाओं में डॉरमेट्रीज बन रही हैं। श्रद्धालुओं के लिए शबरी माता के नाम पर भोजनालय बन रहे हैं।

यात्री विश्रामालय निषादराज के नाम पर बन रहा है। माता अरुंधति के नाम पर भी डॉरमेट्रीज बनाई गई हैं।

हर रामायणकालीन ऋषि मुनि, प्रभु श्रीराम से जुड़े उनके मित्र थे, सहयोगी थे...उन सबकी स्मृति को भी संजोने का प्रयास किया जा रहा है।

प्रदेशवासियों को आप 22 के बाद अयोध्या आने का निमंत्रण दे रहे हैं। आपने कहा कि व्यवस्था सांसद व विधायक करेंगे। कैसे?

हम सिस्टम तैयार कर रहे हैं कि देश-प्रदेश के लोग भी व्यवस्थित रूप से दर्शन कर सकें। स्थानीय स्तर पर कार्ययोजना बनाई जा रही है। बिना बताए अनावश्यक भीड़ आएगी, तो अव्यवस्था फैलेगी। इसलिए व्यवस्था बनाई जा रही है कि हर व्यक्ति दर्शन भी कर सके और अव्यवस्था भी न फैले। 22 जनवरी के साथ उन सभी तिथियों को सामने रखेंगे और अयोध्या तक सकुशल पहुंचाने और उनके दर्शन कराने की व्यवस्था भी करेंगे।

नई अयोध्या आपके नेतृत्व में आकार ले रही है। इसमें और ऐसा क्या है, जो आपका सपना हो और जिसे आप पूरा करना चाहेंगे?

अयोध्या सप्तपुरियों में प्रथम पुरी है। जब हम सप्तपुरियों की बात करते हैं, तो अयोध्या, मथुरा, माया, काशी, कांची, अवंतिका, द्वारकाधाम...जो सात पुरियां हैं, उनमें अयोध्या पहली पुरी है। प्राचीनतम नगरों में से एक है। हजारों वर्षों के एक समृद्ध विरासत की पवित्र सनातन धर्मावलंबियों का धाम है। अयोध्या के लिए वह सबकुछ होगा, जो सनातन हिंदू धर्मावलंबियों की भावनाएं होंगी। उनकी आस्था के अनुरूप अयोध्या को बनाने के लिए कोई कोर कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे। यह हमारा सौभाग्य है कि यहां हर ओर से फोरलेन कनेक्टिविटी दी है। रेलवे को डबल लाइन से जोड़ दिया गया है। इंटरनेशनल एयरपोर्ट शुरू हो गया है। इन सबका लोकार्पण प्रधानमंत्री मोदी ने 30 दिसंबर को कर दिया है। अयोध्या को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने की बड़ी कार्ययोजना को हम बहुत शीघ्र कार्यान्वित करने जा रहे हैं। यात्री सुविधाओं का विकास हो रहा है। अयोध्या के कुछ घाट नया रूप ले चुके हैं, कुछ लेने जा रहे हैं। अयोध्या से जुड़े पौराणिक और ऐतिहासिक सभी स्थलों का सुंदरीकरण हो रहा है। ये सभी कार्य युद्धस्तर पर चल रहे हैं।

काशी विश्वनाथ धाम, राममंदिर, नैमिषारण्य, चित्रकूट...आगे क्या?

मथुरा, वृंदावन, बरसाना, गोकुल, बलदेव इन सभी तीर्थों के विकास के लिए भी व्यवस्थित तरीके से कार्ययोजना बनाकर आगे बढ़ रहे हैं। वृंदावन, गोवर्धन परिक्रमा मार्ग के सुंदरीकरण के लिए यात्री सुविधाओं और तीर्थ के रूप में उसको विकसित करने के लिए ब्रज तीर्थ विकास परिषद का गठन पहले से ही कर दिया गया है। काम युद्धस्तर पर आगे बढ़ चुका है। चित्रकूट के व्यवस्थित विकास के लिए भी सरकार काम कर रही है। नैमिष के लिए, शुकतीर्थ के लिए और भी ऐसे अन्य पवित्र धाम और तीर्थों के लिए जहां आम जनता की आस्था का सम्मान हो सके, उसके लिए सरकार काम कर रही है।

शंकराचार्य को लेकर चर्चाएं हैं। क्या व्यक्तिगत तौर पर आप उन्हें आमंत्रित करेंगे? कैसे मनाने की कोशिश करेंगे?

देखिए, पूज्य संतों और आचार्यों का आशीर्वाद इस अभियान के साथ रहा है। उन्होंने मन-वचन-कर्म से, तन-मन-धन से श्रीराम जन्मभूमि आंदोलन को अपना आशीर्वाद दिया। प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से पूज्य आचार्यगण, संतगण उनके अनुयायी इससे जुड़े हैं। आज अभियान सफलता का मूर्त रूप लेकर सनातन धर्मावलंबियों को आनंद की अनुभूति के साथ आह्लादित कर रहा है। इस अवसर पर व्यक्तिगत मान-अपमान की चिंता किए बगैर सभी का आशीर्वाद मिलना चाहिए, क्योंकि हम सभी संतों का जीवन तो प्रभु श्रीराम के चरणों में ही समर्पित है। हमारी व्यक्तिगत कोई भी अपेक्षा नहीं होनी चाहिए। सभी पूज्य संतों, जिनको आमंत्रण मिला है, उनका आशीर्वाद चाहता हूं। हो सकता है कि उनकी व्यस्तता हो, तो जब भी अवसर मिले, उन्हें अयोध्या धाम पधारना चाहिए। पूर्व सूचना मिलने पर पूरी सरकार उनकी सेवा के लिए तत्पर रहेगी।

कांग्रेस के निमंत्रण अस्वीकार करने को कैसे देखते हैं?

उन्हें जनभावनाओं का आदर करना चाहिए। ऐसा नहीं कि कांग्रेस को आम जनमानस की आस्था के सम्मान का अवसर नहीं मिला। पंडित जवाहर लाल नेहरू को सोमनाथ मंदिर के पुनरुद्धार का अवसर मिला, पर वह डिस्कवरी ऑफ इंडिया लिखते रहे, विरासत को भूल गए। उन्होंने सोमनाथ के पुनरुद्धार का विरोध कर दिया था।

पीएम मोदी ने पंच प्रण का संकल्प दिलवाया और उसमें विरासत का सम्मान शामिल है। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हो रहा हो...

योग को वैश्विक मंच पर पहुंचाना, कुंभ को मानवता व सांस्कृतिक धरोहर के रूप में विकसित करना, दशकों पूर्व तस्करी से विदेश पहुंचाई गई मूर्तियों को वापस लाने का काम हो, यह सब मोदीजी के नेतृत्व में हुआ है।

अयोध्या का कार्य हो या काशी विश्वनाथ का, महाकाल का महालोक हो या केदारनाथ बद्रीनाथ धाम के पुनरुद्धार-विकास का काम हो, सब विरासत के सम्मान की श्रेणी में आते हैं।

समाजवादी पार्टी के नेता कहते हैं कि उनके लिए पीडीए भगवान हैं?

जनता को तो हमारे लोकतंत्र ने हमारा जनार्दन माना ही है। संविधान भी यही कहता है। लेकिन, हर व्यक्ति जानता है कि इनके लिए पीडीए कितना भगवान रहा है। जब सत्ता में थे, तब परिवार से बाहर नहीं निकल पाए। आज जब जनता जनार्दन ने सत्ता से वंचित किया, तो अब जनता को खांचे में बांटने से परहेज नहीं कर रहे। क्या प्रदेश की जनता इनकी वास्तविकता को नहीं जानती?

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