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विश्व वैदिक सनातन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कृतिवासेश्वर मंदिर को लेकर वाराणसी कोर्ट में याचिका की दायर, की ये मांग

Neelu Keshari
7 Sep 2024 9:10 AM GMT
विश्व वैदिक सनातन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कृतिवासेश्वर मंदिर को लेकर वाराणसी कोर्ट में याचिका की दायर, की ये मांग
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वाराणसी। विश्व वैदिक सनातन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सिंह ने कृतिवासेश्वर मंदिर को लेकर वाराणसी कोर्ट में याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता का आरोप है कि वहां पहले मंदिर था जिसे औरंगजेब ने तोड़कर मस्जिद बनाई। साथ ही याचिकाकर्ता ने मांग की है कि कोर्ट कृतिवासेश्वर के पूरे परिसर को हिंदुओं को सौंप दे और वहां गैर हिंदुओं के प्रवेश पर रोक लगा दिया जाए।

याचिकाकर्ता और विश्व वैदिक सनातन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सिंह का कहना है कि जब औरंगजेब ने काशी पर हमला किया तो उसने कृति वासेश्वर मंदिर को ध्वस्त कर दिया। इसके बाद उसने काशी विश्वनाथ और बिंदु माधव मंदिर को भी ध्वस्त कर दिया। अपनी याचिका के जरिए हम चाहते हैं कि कोर्ट कृतिवासेश्वर के पूरे परिसर को हिंदुओं को सौंप दे। गैर हिंदुओं को वहां प्रवेश न करने दिया जाए ताकि वहां भव्य मंदिर का निर्माण हो सके। मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनाई गई। मस्जिद में कमल, स्वस्तिक के चिह्न पाए जाते हैं।

आलमगीर मस्जिद के मुतवल्ली जहीर हैदर का कहना है कि औरंगजेब का इस मस्जिद से कोई लेना-देना नहीं है। औरंगजेब के भाई दारा शिकोह ने कभी दारानगर में निवास किया था और दारानगर का नाम उनके नाम पर रखा गया है।उन्होंने ही इस मस्जिद का निर्माण करवाया था। भारत हिंदू बहुल देश है इसलिए पत्थरों और ईंटों पर तरह-तरह की आकृतियां बनाई गई हैं। अगर 200 साल बाद ओम लिखी ईंट मिलती है तो क्या इसका मतलब यह होगा कि वह किसी खास धर्म की है? धर्म का इससे कोई लेना-देना नहीं है।

मस्जिद के मुतवल्ली ने कहा कि शिवलिंग की जगह पर एक फव्वारा जैसी संरचना थी। बाद में यह संरचना ढह गई और इसे जबरन बनाया गया। 2006 में एक पंचायत में यह तय किया गया कि उन्हें एक दिन के लिए यहां पूजा करने की अनुमति दी जाए। वे नमाज अदा करते रहे क्योंकि यह इस इलाके में एकमात्र मुस्लिम घर है। रिकॉर्ड बताते हैं कि वहां एक फव्वारा जैसी संरचना थी।

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