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प्रधानमंत्री के सपने देखती ममता और हाथ से छूटता वोटर्स क्या होगा लोकसभा चुनाव में
लोकसभा चुनाव 2024 (Lok Sabha Election 2024) के लिए जहां विपक्ष सारा एक साथ खड़ा है । वही उनकी एक मजबूत सिपाही ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) अपने ही क्षेत्र में पिछड़ती अगर आ रही है। दरअसल मार्च 2023 में पश्चिम बंगाल (West Bengal) के सागर्दिघी में उप चुनाव हुए जिसमें टीएमसी (TMC) की हार हुई। पश्चिम बंगाल 64 फीसदी मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र है। जहां टीएमसी की अच्छी पकड़ मानी जाती है। इसके बावजूद टीएमसी चुनाव हारती है तो सवाल तो उठेंगे ही। दरअसल मुस्लिम बहुल इलाकों में टीएमसी के सामने एक नई पार्टी आय एस एफ आकर खड़ी हो गई है और पंचायत चुनाव में उसने 43 सीटें जीत मिली।
वैसे तो मुस्लिम बहुल बालीगंज में हुए उपचुनाव में टीएमसी की जीत हुई है लेकिन मार्जिन केवल 20 फीसदी था। यहा 7 वार्डों में 60 फीसदी मुस्लिम आबादी है । इसका मतलब साफ है पश्चिम बंगाल के मुस्लिम वोटर्स ममता बनर्जी की धीरे-धीरे दूर जा रहे हैं । अब वोटर्स अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेकुलर फ्रंट को ज्यादा तवज्जू देने लग गए हैं। मुस्लिम्स को अब टीएमसी पर विश्वास नहीं रहा यही समझ में आ रहा है। पिछले 2 सालों में जिस तरह ममता सरकार में दंगे हुए हैं। उसके कारण मुस्लिम वोटर दूसरी पार्टी जगह शिफ्ट हो रहे हैं। यह वह वोटर्स है जो एक समय पर ममता बनर्जी के साथ खड़े रहते थे।
इस बात अंदाजा इसी लगा लीजिए कि मुर्शिदाबाद की सागर्दिघी सीट पर टीएमसी को 13 साल बाद हार का सामना करना पड़ा।मतलब मुस्लिम वोटर्स ममता को लेकर काफी गंभीर तो थे पर जिस तरह उनका इस्तेमाल टीएमसी कर रही है उसे देखकर मुस्लिम वोटर्स नाराज है और यही कारण है कि जहां पिछले 13 सालों से हर मुस्लिम मतदाता ममता बनर्जी के साथ खड़े थे अब वही कोई और ऑप्शन तलाश रहे हैं । कई दंगों में अल्पसंख्यक लोगों की मौतें हो रही है जिस पर ममता बनर्जी चुप्पी साधे हुए हैं। एकतरफा चलता शासन शायद अब पश्चिम बंगाल की जनता को नागवार है।
पश्चिम बंगाल में 27 फ़ीसदी मुस्लिम आबादी चुनाव में हार या जीत को तय करते हैं। पहले उनका सपोर्ट लेफ्ट को था । जिसके वजह से सीपीआई 34 साल तक पश्चिम बंगाल में सत्ता पर थी। फिर 2008 आया और मुस्लिमों का सपोर्ट ममता बनर्जी की तृणमूल कांग्रेस को मिलना शुरू हो गया। 2021 में यह पीक पर था पर पिछले 2 सालों में हुए चुनाव के नतीजों ने यह साफ कर दिया है कि टीएमसी के वोट फिर से लेफ्ट की तरफ शिफ्ट हो रहे हैं। हालांकि TMC अभी तक इस बात को पचा नहीं पा रही है । पर फिर भी सच तो सच है। देखना होगा कि आने वाले लोकसभा चुनाव में टीएमसी अपनी साख बचा पाती है या नहीं।