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कोलकाता रेप-मर्डर केस सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों से हड़ताल को वापस लेने को कहा, कहा- बंगाल पुलिस का व्यवहार शर्मनाक

Tripada Dwivedi
22 Aug 2024 8:25 AM GMT
कोलकाता रेप-मर्डर केस सुप्रीम कोर्ट ने डॉक्टरों से हड़ताल को वापस लेने को कहा, कहा- बंगाल पुलिस का व्यवहार शर्मनाक
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कोलकाता। कोलकाता रेप-मर्डर केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता के पीठ ने कहा कि डॉक्टरों को काम पर लौटना पड़ेगा। डॉक्टरों की हड़ताल की वजह से हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रभावित होगा। हम समझते हैं कि आप इस मामले को लेकर क्रोधित हैं लेकिन आपको काम पर लौटना होगा। दरअसल डॉक्टरों ने कोर्ट को बताया था कि प्रोटेस्ट में शामिल होने की वजह से उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।

कोलकाता मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता ने कहा कि डॉक्टर्स 36-36 घंटे काम कर रहे हैं। उन्हें अपनी बात कहने का मौका दिया जाए। इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि डॉक्टरों की 36 से 48 घंटों की ड्यूटी सही नहीं है। हम जानते हैं कि डॉक्टर 36 घंटे काम कर रहे हैं। मैं खुद एक सरकारी अस्पताल में फर्श पर सोया हूं, जब मेरे परिवार का एक सदस्य बीमार थे। हमें बहुत सारे ईमेल मिले हैं जिसमें कहा गया है कि डॉक्टर्स पर बहुत दबाव है। सीजेआई ने कहा कि समिति को पहले फैसला करने दीजिए। समिति सुनिश्चित करेगी कि डॉक्टरों और इंटर्न की चिंताओं का समाधान किया जाएगा।

सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट में पेश की गई स्टेटस रिपोर्ट में कहा है कि कोलकाता में मौका-ए-वारदात से छेड़छाड़ की गई है। केस की लीपापोती की कोशिश की गई है। अंतिम संस्कार के बाद एफआईआर दर्ज हुई। परिवार को पहले सुसाइड की खबर दी गई। मर्डर को सुसाइड बताने की कोशिश करना संदेह पैदा करता है। कोर्ट ने बंगाल पुलिस को फटकार लगाई है। कोर्ट ने कहा कि पुलिस डायरी और पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अतंर है। आरोपी की मेडिकल जांच पर भी कोर्ट ने सवाल उठाए हैं।

जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि ये केस चौंकाने वाला है। हमने बीते 30 साल में ऐसा केस नहीं देखा है। यह पूरा मामला सदमा देने वाला है। बंगाल पुलिस का व्यवहार शर्मनाक है।

सीजेआई चंद्रचूड़ ने वकीलों को हिदायत दी कि वे अपने तर्क सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर तैयार नहीं करें। सीजेआई ने पोस्टमार्टम रिपोर्ट में 151 एमएल सीमेन मिलने वाली थ्योरी को खारिज कर दिया। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पुलिस का ये आरोप सरासर गलत है कि डॉक्टर की मौत से सदमे में आए उसके पिता ने शुरुआत में एफआईआर दर्ज नहीं करने को कहा था लेकिन बाद में पिता के कहने पर एफआईआर दर्ज हुई। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि एफआईआर हॉस्पिटल ने नहीं बल्कि पीड़िता के पिता ने दर्ज कराई।

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