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अखिलेश की रणनीति के जवाब में भाजपा ने भी खेला पीडीए कार्ड; दो पिछड़े, एक दलित और एक अगड़े को बनाया मंत्री

Shashank
6 March 2024 3:00 AM GMT
अखिलेश की रणनीति के जवाब में भाजपा ने भी खेला पीडीए कार्ड; दो पिछड़े, एक दलित और एक अगड़े को बनाया मंत्री
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योगी मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया है। अब कैबिनेट में 56 मंत्री हो गए हैं। इसमें 22 कैबिनेट, 14 राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार और 20 राज्य मंत्री शामिल हैं। चार की जगह अभी भी कैबिनेट में शेष है।

योगी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल के पहले मंत्रिमंडल विस्तार से समाजवादी पार्टी के पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यक (पीडीए) कार्ड पर अपना पिछड़ा, दलित और अगड़ा (पीडीए) कार्ड चला है।

पार्टी ने न सिर्फ चुनाव से पहले सहयोगी दलों को संतुष्ट करने के लिए मंत्री पद का तोहफा दिया, बल्कि लोकसभा चुनाव से पहले क्षेत्रीय व जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश की है। सपा ने बीते कई महीनों से पीडीए को चुनावी नारा बना रखा है।

इसके जरिये सपा पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक वोट बैंक में जनाधार बढ़ाने का प्रयास कर रही है। भाजपा ने मंत्रिमंडल विस्तार में अति पिछड़ी जाति के ओमप्रकाश राजभर और दारा सिंह चौहान को मंत्री बनाया है। दलित वर्ग से अनिल कुमार और अगड़े वर्ग में ब्राह्मण समाज से सुनील शर्मा को मंत्री बनाया है।

जानकारों का मानना है कि सुभासपा के अलग होने से 2019 और 2022 में भाजपा को पूर्वांचल में नुकसान हुआ था। सुभासपा के साथ आने से अब लोकसभा चुनाव 2024 और उसके बाद 2027 तक राजभर वोट बैंक साधने में मदद मिलेगी। सरकार में पश्चिमी यूपी से ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधित्व नहीं था। उस उस कमी को भी पूरा किया गया है।

भाजपा ने रालोद को लोकसभा की दो और विधान परिषद की एक सीट गठबंधन में दी है। रालोद ने एक लोकसभा व एक विधान परिषद सीट जाट समाज को व एक लोकसभा सीट पर गुर्जर समाज को मौका दिया है।

जानकारों के मुताबिक भाजपा ने इस गठबंधन के जरिए जहां पश्चिमी यूपी में जाट व गुर्जर वोटबैंक को साधा है, वहीं मंत्रिमंडल में रालोद से दलित समाज को मौका देकर जाटव वोट बैंक साधने का प्रयास भी किया है।

इसलिए कराया लंबा इंतजार

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भाजपा ने तय रणनीति के तहत मंत्रिमंडल विस्तार को चुनाव के करीब तक टाला। सुभासपा मुखिया ओम प्रकाश राजभर को लंबा इंतजार कराकर स्पष्ट संदेश दिया गया कि सियासत में आरोप-प्रत्यारोप के बावजूद मर्यादा की सीमा लांघने से बचना चाहिए। दूसरा, राजभर को पहले मंत्री बना दिया जाता तो लोकसभा चुनाव के टिकट बंटवारे में उनका मोलभाव बढ़ता।

अब मंत्री बनाने से उन्हें एक सीट पर संतुष्ट करना आसान होगा। दारा सिंह को भी लंबा इंतजार कराकर चुनाव से पहले पार्टी छोड़कर जाने की गलती का अहसास कराया गया। चुनाव नजदीक आते ही नोनिया चौहान मतों को साधने के लिए उन्हें मंत्री पद दे दिया गया।

मंत्रिमंडल में अब भी चार पद खाली

योगी मंत्रिमंडल में चार नए मंत्री शामिल होने के बाद भी 4 पद खाली रह जाएंगे। विधानसभा में विधायकों की कुल संख्या के 15 फीसदी मंत्री बनाए जा सकते हैं। प्रदेश में विधानसभा में सदस्य संख्या 403 है। ऐसे में 60 मंत्री बनाए जा सकते हैं। योगी सरकार 2.0 के शपथ ग्रहण के समय 25 मार्च 2022 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक सहित 53 मंत्रियों ने शपथ ली थी।

इनमें से जुलाई 2022 में योगी सरकार के पंचायतीराज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी को भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने के बाद उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। योगी सरकार में 52 मंत्री थे। चार नए मंत्री शामिल होने के बाद मंत्रिमंडल में 56 सदस्य हो गए हैं। मंत्रिमंडल में अभी भी चार पद खाली है।

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