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आईएमएफ ने आर्थिक मोर्चे पर भारत को स्टार परफॉर्मर बताया, कहा- वैश्विक विकास में भारत का योगदान 16% रहेगा

SaumyaV
19 Dec 2023 12:44 PM IST
आईएमएफ ने आर्थिक मोर्चे पर भारत को स्टार परफॉर्मर बताया, कहा- वैश्विक विकास में भारत का योगदान 16% रहेगा
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आईएमएफ के अनुसार बेतहर आर्थिक नीतियों कारण इस साल भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की राह पर है। भारत सरकार ने कई संरचनात्मक सुधार किए हैं, जिनमें डिजिटलीकरण प्रमुख है। बीते वर्षों में इस पर काफी काम हुआ है और भविष्य में उत्पादकता व विकास में वृद्धि के लिहाज से यह देश को एक मजबूत मंच प्रदान करता है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने आर्थिक मोर्चे पर भारत को स्टार परफॉर्मर बताया है। आईएमएफ ने सोमवार को कहा कि डिजिटलीकरण और बुनियादी ढांचा जैसे प्रमुख क्षेत्रों में आर्थिक सुधारों के कारण मजबूत दर से वृद्धि करते हुए भारत एक स्टार परफॉर्मर के रूप में उभरा है। आईएमएफ के अनुसार वैश्विक वृद्धि में भारत का योगदान 16 प्रतिशत से अधिक रहने का अनुमान है।

आईएमएफ में भारत के मिशन नाडा चौइरी ने एक साक्षात्कार में कहा, "हम पिछले कुछ समय से देख रहे हैं कि भारत बहुत मजबूत दर से वृद्धि कर रहा है। जब आप दूसरे देशों से वास्तविक विकास के मोर्चे पर तुलना करें तो भारत एक स्टार परफॉर्मर रहा है। यह सबसे तेजी से बढ़ते बड़े उभरते बाजारों में से एक है और यह हमारे मौजूदा अनुमानों में इस साल वैश्विक वृद्धि में 16 प्रतिशत से अधिक का योगदान दे रहा है।"


अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने सोमवार को भारत पर वार्षिक आर्टिकल IV परामर्श जारी किया। इसके अनुसार विवेकपूर्ण वृहद आर्थिक नीतियों कारण इस साल भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में से एक बनने की राह पर है। चौइरी ने कहा कि फिर भी, अर्थव्यवस्था वैश्विक चुनौतियों का सामना कर रही है, इसका कारण पूरी दुनिया में अलग-अलग क्षेत्रों में तनाव के कारण बढ़ रही मंदी है। चौइरी के अनुसार सरकार बुनियादी ढांचे में निवेश करने और विकास के लिए ठोस आधार के लिए आवश्यक रसद विकसित करने पर जोर दे रही है।

भारत अपनी युवा आबादी का इस्तेमाल कर तेजी से बढ़ सकता है: आईएमएफ

उन्होंने कहा कि भारत में एक बहुत बड़ी और युवा आबादी है और इसलिए यदि संरचनात्मक सुधारों के माध्यम से इस क्षमता का उपयोग किया जाता है तो इसमें मजबूत दर से बढ़ने की क्षमता है।सरकार ने कई संरचनात्मक सुधार किए हैं, जिनमें से प्रमुख डिजिटलीकरण है। बीते वर्षों में इस पर काफी काम हुआ है और भविष्य में उत्पादकता व विकास में वृद्धि के लिहाज से यह देश को एक मजबूत मंच प्रदान करता है।

आईएमएफ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में सिफारिश की है कि नीतिगत प्राथमिकताओं को राजकोषीय बफर को फिर से भरने, मूल्य स्थिरता हासिल करने, वित्तीय स्थिरता बनाए रखने और ऋण स्थिरता को संरक्षित करते पर केंद्रित किया जाना चाहिए।

रिपोर्ट के अनुसार भारत की अर्थव्यवस्था वैश्विक विकास का एक महत्वपूर्ण चालक बनने के लिए महामारी से मजबूती से उबरी है। वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान वृद्धि के बाद, हेडलाइन मुद्रास्फीति में औसत रूप से कमी आई है। हालांकि यह अस्थिर बनी हुई है। इसमें कहा गया है कि रोजगार महामारी से पहले के स्तर को पार कर गया है और अनौपचारिक क्षेत्र का दबदबा बना हुआ है जबकि औपचारिकरण में प्रगति हुई है।

भारत का वित्तीय क्षेत्र वैश्विक वित्तीय तनाव से काफी हद तक अप्रभावित

रिपोर्ट में कहा गया है, "वित्तीय क्षेत्र लचीला रहा है, जो 2023 की शुरुआत में वैश्विक वित्तीय तनाव से काफी हद तक अप्रभावित रहा है। जबकि बजट घाटा कम हो गया है, सार्वजनिक ऋण ऊंचा बना हुआ है, और राजकोषीय बफर को फिर से बनाने की आवश्यकता है। वैश्विक स्तर पर, भारत की 2023 की जी-20 अध्यक्षता ने बहुपक्षीय नीति प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने में देश की महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित किया है।"

रिपोर्ट के अनुसार राजनीतिक मोर्चे पर आम चुनाव अप्रैल 2024 में होने की उम्मीद है। वृहद आर्थिक नीतियां आंशिक रूप से आईएमएफ के पूर्व कर्मचारियों की सलाह के अनुरूप रही हैं। यदि व्यापक सुधारों को लागू किया जाता है तो भारत में अतिरिक्त श्रम और मानव पूंजी की मदद से उच्च विकास का स्तर हासिल करने की क्षमता है।

भारत का सेवा निर्यात एक दशक के उच्च स्तर पर पहुंचा, इससे शुद्ध निर्यात बढ़ा

आईएमएफ ने कहा कि वित्त वर्ष 2022-23 में जीडीपी वृद्धि 7.2 प्रतिशत तक पहुंच गई, जो वित्त वर्ष 2021-22 में 9.1 प्रतिशत थी। रिपोर्ट के अनुसार महामारी के कारण आउटसोर्सिंग की मजबूत वैश्विक मांग ने वित्त वर्ष 2022-23 में सेवा निर्यात वृद्धि को एक दशक के उच्च स्तर पर पहुंचा दिया, जिससे शुद्ध निर्यात में इजाफा हुआ। रिपोर्ट में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2023-24 की शुरुआत में सेवा निर्यात में कुछ गति आई, जो मुख्य रूप से भागीदार देशों में मांग में मंदी को दर्शाता है। वित्त वर्ष 2023-24 की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि 7.8 प्रतिशत पर मजबूत बनी रही, जिसे मजबूत घरेलू मांग का समर्थन मिला।

एक सवाल के जवाब में चौइरी ने कहा कि निवेश और वृद्धि के लिए राजनीतिक स्थिरता महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, "हमने कोई आंकड़ा बताने के लिए कोई मात्रात्मक विश्लेषण नहीं किया है, लेकिन बहुत सारे शोध हैं जो राजनीतिक स्थिरता और एक स्पष्ट नीतिगत माहौल के महत्व की ओर इशारा करते हैं। उन्होंने कहा कि आईएमएफ का मानना है कि श्रम सुधार की जरूरत है। इसलिए, हमारे विचार में, यह सुनिश्चित करने के लिए एक बहुत ही ठोस प्रयास होना चाहिए। इसका मतलब शिक्षा, कौशल और महिला श्रम बल की भागीदारी बढ़ाना है।"

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