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बद्रीनाथ जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी ! देर रात भी कर सकते हैं बद्री विशाल का दर्शन, जानिए इन दिनों कैसा है माहौल
बद्रीनाथ। कहते हैं कि बद्री विशाल जिसको दर्शन देना चाहते हैं उसे ही दर्शन का सौभाग्य प्राप्त होता है। आजकल यह सौभाग्य उन श्रद्धालुओं को भी प्राप्त हो रहा है जो दिन की लंबी लाइन से बचकर देर रात तक में बद्री विशाल का दर्शन प्राप्त कर रहे हैं। मंदिर परिसर में जब तक श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है तब तक भगवान बद्री दर्शन देते रहते हैं। वैसे लगती तो लाइन रात में भी है लेकिन श्रद्धालुओं को यह उम्मीद रहती है कि भले ही देर रात सही भगवान के दर्शन जरूर हो जाएंगे।
मान्यता है कि जिनको बद्री विशाल का दर्शन हो जाता है उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है। बता दें कि मंदिर सुबह 6 बजे खुल जाता है और रात में 8 बजे तक खुला रहता है। हाल तक ऐसा ही चल रहा था। मंदिर के एक पदाधिकारी ने बताया कि कुछ दिनों से मंदिर 8 बजे के बजाय करीब 11:30 बजे रात तक दर्शन के लिए खुला रहता है। ऐसे में भारी संख्या में श्रद्धालु भगवान का दर्शन कर पाते हैं। यह समय सीमा बढ़ाने से श्रद्धालुओं में भारी खुशी है क्योंकि वे दिन में दो से तीन किलोमीटर लंबी लाइन में लगने से बच जाते हैं। वहीं मंदिर परिसर में दुकानें खुली रहती हैं और देर रात तक मेला जैसा नजारा रहता है। लोग भोजन करने के बाद दूध और जलेबी जरूर खाते हैं।
इन दिनों रात में कंपकंपा देने वाली होती है ठंड
बद्रीनाथ मंदिर परिसर के आसपास की चोटियां इन दोनों बर्फ से लदी रहती हैं। शाम होते ही बेहद ठंडी हवा चलती है और रात में पारा गिरकर चार डिग्री तापमान तक पहुंच जाता है। ऐसे में ठंड कंपकंपी छुड़ा देती है। दिन में धूप खिलने से राहत मिलती है लेकिन हवा सर्द रहती है।
केदारनाथ में दोपहर बाद ही शुरू हो जाती है गलन वाली सर्दी
केदारनाथ धाम मंदिर परिसर में सिर्फ एक स्वेटर से काम नहीं चलता है, ऊपर से जैकेट और इनर भी पहनना पड़ता है। यहां ठंड गलन वाली होती है। अक्सर दोपहर 2 बजे के बाद धूप नहीं दिखती है और देखते ही देखते बादल छा जाते हैं। बारिश शुरू हो जाती है तो रात तक रह-रह कर होती ही रहती है। हेलीकॉप्टर सेवा भी मौसम पर निर्भर करता है। मौसम साफ रहा तो शाम 6 बजे तक हेलीकॉप्टर सेवा मिलती है लेकिन मौसम के खराब होते ही यह सेवा तत्काल बंद कर दी जाती है। और मौसम कब खराब हो जाए इसे जानने के लिए कोई वैज्ञानिक पैमाना वहां उपलब्ध नहीं है। रात में रुकने के लिए डॉरिमेट्री या टेंट ही रहती है। इनके लिए शौचालय सार्वजनिक रहता है। वहीं बारिश के साथ बर्फ का भी गिर जाना आम बात होती है।
भारत का प्रथम गांव माणा भी घूमने जाते हैं श्रद्धालु
बद्रीनाथ मंदिर परिसर क्षेत्र से बाहर निकलते ही भारत का पहला गांव माणा शुरू हो जाता है। करीब 2 किलोमीटर चलने पर माणा गांव के निवासियों से लोग मुलाकात करते हैं। गांव की आबादी का मुख्य व्यवसाय हस्तकला है। यह ऊन से वस्त्र बनाते हैं। इन्हें अपने गांव में रहने का मौका सिर्फ 6 महीना ही मिलता है। 6 महीना तक माणा गांव बर्फ से ढका रहता है और ऐसे में यहां की आबादी बाकी के 6 महीने पहाड़ों के निचले हिस्से में बिताती है। बता दें कि माणा गांव के बाद चीन का बॉर्डर शुरू हो जाता है।
केदारनाथ और बद्रीनाथ यात्रा का सबसे बड़ा कष्ट है ऋषिकेश का जाम
दिल्ली की तरफ से आप केदारनाथ-बद्रीनाथ की तरफ निकलते हैं तो ऋषिकेश में भारी जाम का सामना करना पड़ेगा। आलम यह होता है कि सिर्फ मेन रोड ही नहीं शहर का अंदरुनी मार्ग भी गाड़ियों से घिर जाता है। यहां आप कितने घंटे फंस सकते हैं, यह आपकी किस्मत पर है। बाकी पुलिस जाम से लोगों को निजात देने दिलाने में फेल ही नजर आती है। लोग स्थानीय प्रशासन को जाम के लिए कोसते हुए दिखते हैं। ऋषिकेश के जाम से निकलने के बाद केदारनाथ के बीच वहीं जाम मिलता है जहां किसी निर्माण कार्य या अन्य वजह से रास्ते को वन वे किया जाता है।